read more rajasthan-loan-mafi: बैंक प्रबंधन ने बिल्ली को सौंप दी दूध की रखवाली! :::http://bit.ly/2lPrBsG :::जिन संस्थाओं में किया घालमेल, वापस वहीं बैठा दिया jalore::: http://bit.ly/2nqNMpD ढाई माह पहले ही दोषी पाए जाने पर किया था एपीओ::: ऋण वितरण में वित्तीय अनियमितता का दोषी व्यवस्थापक अब फिर बांटेगा ऋण
घोटालों के लिए ताक पर रखे नियम
ऋण माफी योजना के तहत गत वर्ष लघु व सीमांत किसानों का ५० हजार रुपए का ऋण माफ किया गया। सामान्य किसानों का उनकी जोत के आकार के आधार पर ऋण माफ करने का मानदण्ड तय किया था। इसमें कई जीएसएस व्यवस्थापकों ने दो हैक्टेयर से अधिक जोत वाले ऋणियों को ऋण माफी की सूची में दो हैक्टेयर से कम वाली श्रेणी में रखकर पात्रता शर्तों का उल्लंघन किया गया। काश्तकारों के नामों में भी हेरफेरी की गई। फसल बीमा क्लेम की राशि का गबन किया गया। राज्य सरकार को भेजी गई सूचियों में अपात्र के नाम भी सम्मिलित किए गए।
read more jalore::: http://bit.ly/2mEvu3y::: जालोर सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक का कारनामा::: ऋण माफी में डेढ़ करोड़ के घालमेल के आरोपी को इनाम से नवाजा, बनाया ऋण पर्यवेक्षक
घपलेबाजों को बचाते रहे प्रबंध निदेशक
बालवाड़ा, पादरली, चौराऊ समेत जिले की कई सहकारी समितियों में घपलों के मामले सामने आए हैं। किसानों की शिकायत के बावजूद कई दिनों इस मामले में कार्रवाई तक नहीं की गई। यहां तक कि सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के प्रबंध निदेशक ने घपले के आरोपी व्यवस्थापकों को इच्छित जगहों पर नियुक्त कर रखा था। बालवाड़ा में कार्यरत व्यवस्थापक आसाराम मेघवाल को भी सायला में ऋण पर्यवेक्षक का कार्यभार दे रखा था। इस तरह के मामलों से घपलों की जांच भी प्रभावित होती रही। पादरली जीएसएस में व्यवस्थापक आशाराम के खिलाफ भी घोटाले के आरोप लगाए है। इसमें बताया कि भूमिहीन व मर चुके किसानों के नाम से भी ऋण स्वीकृत किए गए हैं। राजस्थान पत्रिका ने इन मामलों को सिलसिलेवार प्रकाशित किया था। उधर, कवराड़ा जीएसएस में भी घोटाले का आरोप लगाया गया है। ग्रामीणों ने उप रजिस्ट्रार को पत्र भेजकर बताया कि यहां वर्ष- २०१७ तक व्यवस्थापक रहे कार्मिक ने फर्जी तरीके से ऋण उठाए और बाद में माफ करवा दिए। इसकी जांच एवं वसूली करवाने की मांग की।
घपलेबाजों को बचाते रहे प्रबंध निदेशक
बालवाड़ा, पादरली, चौराऊ समेत जिले की कई सहकारी समितियों में घपलों के मामले सामने आए हैं। किसानों की शिकायत के बावजूद कई दिनों इस मामले में कार्रवाई तक नहीं की गई। यहां तक कि सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के प्रबंध निदेशक ने घपले के आरोपी व्यवस्थापकों को इच्छित जगहों पर नियुक्त कर रखा था। बालवाड़ा में कार्यरत व्यवस्थापक आसाराम मेघवाल को भी सायला में ऋण पर्यवेक्षक का कार्यभार दे रखा था। इस तरह के मामलों से घपलों की जांच भी प्रभावित होती रही। पादरली जीएसएस में व्यवस्थापक आशाराम के खिलाफ भी घोटाले के आरोप लगाए है। इसमें बताया कि भूमिहीन व मर चुके किसानों के नाम से भी ऋण स्वीकृत किए गए हैं। राजस्थान पत्रिका ने इन मामलों को सिलसिलेवार प्रकाशित किया था। उधर, कवराड़ा जीएसएस में भी घोटाले का आरोप लगाया गया है। ग्रामीणों ने उप रजिस्ट्रार को पत्र भेजकर बताया कि यहां वर्ष- २०१७ तक व्यवस्थापक रहे कार्मिक ने फर्जी तरीके से ऋण उठाए और बाद में माफ करवा दिए। इसकी जांच एवं वसूली करवाने की मांग की।