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सहकारी समितियों में घोटालों की परत खुलने की उम्मीद

locationजालोरPublished: Dec 06, 2019 09:31:00 am

Submitted by:

Jitesh kumar Rawal

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सहकारी समितियों में घोटालों की परत खुलने की उम्मीद

सहकारी समितियों में घोटालों की परत खुलने की उम्मीद

गंभीर हुआ मुख्यमंत्री कार्यालय, मामलों की जांच शुरू, प्रमुख शासन सचिव से मांगी तथ्यात्मक रिपोर्ट


जालोर. राजस्थान फसली ऋण वितरण योजना के तहत घोटाले सामने आने के बाद मुख्यमंत्री कार्यालय भी अब गंभीर हो गया है। इस मामले में सहकारिता विभाग के प्रमुख शासन सचिव से तथ्यात्मक रिपोर्ट भी मांगी गई है।
राजस्थान पत्रिका में ४ दिसम्बर को ‘जालोर में फसली ऋण माफी में ५० करोड़ से अधिक का घोटालाÓ शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया गया था। इसमें बताया कि किसानों की ऋण माफी योजना में जालोर की करीब २७ ग्राम सेवा सहकारी समितियों (जीएसएस) में ५० करोड़ रुपए से अधिक का घोटाला सामने आया है। जीएसएस कर्मचारियों, सरकारी कर्मचारियों, आयकरदाताओं के फर्जी ऋण माफ कर दिए गए। सरकार ने प्राथमिक जांच के बाद केंद्रीय सहकारी बैंक जालोर के प्रबंध निदेशक ओमपालसिंह भाटी को एपीओ (पदस्थापना की प्रतीक्षा में) कर दिया। साथ ही जिले की विभिन्न सहकारी समितियों में जांच भी शुरू की गई है। समाचार प्रकाशित होने के बाद मुख्यमंत्री कार्यालय से सहकारिता विभाग के प्रमुख शासन सचिव को पत्र भेजकर इस समाचार का अवलोकन करने एवं इस सम्बंध में तथ्यात्मक रिपोर्ट तत्काल ही भेजने की बात कही गई है।
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घोटालों के लिए ताक पर रखे नियम
ऋण माफी योजना के तहत गत वर्ष लघु व सीमांत किसानों का ५० हजार रुपए का ऋण माफ किया गया। सामान्य किसानों का उनकी जोत के आकार के आधार पर ऋण माफ करने का मानदण्ड तय किया था। इसमें कई जीएसएस व्यवस्थापकों ने दो हैक्टेयर से अधिक जोत वाले ऋणियों को ऋण माफी की सूची में दो हैक्टेयर से कम वाली श्रेणी में रखकर पात्रता शर्तों का उल्लंघन किया गया। काश्तकारों के नामों में भी हेरफेरी की गई। फसल बीमा क्लेम की राशि का गबन किया गया। राज्य सरकार को भेजी गई सूचियों में अपात्र के नाम भी सम्मिलित किए गए।
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घपलेबाजों को बचाते रहे प्रबंध निदेशक
बालवाड़ा, पादरली, चौराऊ समेत जिले की कई सहकारी समितियों में घपलों के मामले सामने आए हैं। किसानों की शिकायत के बावजूद कई दिनों इस मामले में कार्रवाई तक नहीं की गई। यहां तक कि सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के प्रबंध निदेशक ने घपले के आरोपी व्यवस्थापकों को इच्छित जगहों पर नियुक्त कर रखा था। बालवाड़ा में कार्यरत व्यवस्थापक आसाराम मेघवाल को भी सायला में ऋण पर्यवेक्षक का कार्यभार दे रखा था। इस तरह के मामलों से घपलों की जांच भी प्रभावित होती रही। पादरली जीएसएस में व्यवस्थापक आशाराम के खिलाफ भी घोटाले के आरोप लगाए है। इसमें बताया कि भूमिहीन व मर चुके किसानों के नाम से भी ऋण स्वीकृत किए गए हैं। राजस्थान पत्रिका ने इन मामलों को सिलसिलेवार प्रकाशित किया था। उधर, कवराड़ा जीएसएस में भी घोटाले का आरोप लगाया गया है। ग्रामीणों ने उप रजिस्ट्रार को पत्र भेजकर बताया कि यहां वर्ष- २०१७ तक व्यवस्थापक रहे कार्मिक ने फर्जी तरीके से ऋण उठाए और बाद में माफ करवा दिए। इसकी जांच एवं वसूली करवाने की मांग की।
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