जालोर

सरकारी अस्पताल में एक्सपायर दवाइयां, डॉक्टर नहीं दिखे पर गंदगी जरूर दिखी

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जालोरSep 01, 2019 / 01:13 am

Jitesh kumar Rawal

सरकारी अस्पताल में एक्सपायर दवाइयां, डॉक्टर नहीं दिखे पर गंदगी जरूर दिखी

पीपीपी मोड पर चल रहे अस्पतालों में भारी अनियमितता, भंवराणी व घाणा के अस्पतालों का आकस्मिक निरीक्षण

जालोर. जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश नरेन्द्रसिंह ने शनिवार को पीपीपी मोड पर संचालित राजकीय प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र भंवरानी व घाणा का आकस्मिक निरीक्षण कर व्यवस्थाओं का जायजा लिया। इस दौरान दोनों अस्पतालों में भारी अनियमितताएं मिली। जगह-जगह गंदगी का आलम दिखा। भंवरानी अस्पताल में तो अवधिपार दवाइयां मिली। उल्लेखनीय है कि राजस्थान उच्च न्यायालय की डीबी सिविल याचिका के आदेशानुसार टीम ने अस्पतालों का जायजा लिया। इसके तहत जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव नरेन्द्रसिंह, सीएमएचओ डॉ गजेंद्रसिंह देवल, ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी डॉ वीरेन्द्रसिंह, लेखा अधिकारी ने संयुक्त रूप से अस्पतालों का निरीक्षण किया।

दो कमरों में एक्सपायर दवाइयां
भंवरानी में दो कमरे अवधिपार दवाइयों से भरे हुए मिले। निरीक्षण के दौरान दवाइयां रखने वाले कमरे में पहुंचे और एक बॉक्स से दवाइयां निकाली, जो अवधिपार थी। इस तरह की अवधिपार दवाइयां दो कमरों में पाई गई।
चहुंओर गंदगी का आलम
भंवरानी में निरीक्षण के दौरान पाया गया कि अस्पताल में जगह जगह कचरा बिखरा हुआ पड़ा था, ऐसा लग रहा था जैसे कई दिनों से अस्पताल में सफाई नहीं हुई है। टॉयलेट्स की साफ -सफाई नहीं हो रखी थी। बैडशीट गंदी हालत में पाई गई। यहीं हालत घाणा के अस्पताल की थी।

कम्पाउंडर चला रहे अस्पताल
टीम सुबह करीब 11 बजे भंवरानी अस्पताल में पहुंची। जिस समय मरीजों की कतार लगी हुई थी, लेकिन जांच करने वाला एक भी चिकित्सक नहीं था। ऐसे में लोग परेशान हो रहे थे। घाणा में भी चिकित्सक नहीं मिला। जानकारी के अनुसार दोनों स्थानों पर डॉक्टर की नियुक्ति नहीं की गई है। ऐसे में कम्पाउंडरों के भरोसे ही अस्पताल संचालित हो रहे हैं।

मरीजों को भारी पड़ रहा पीपीपी मोड
भंवरानी एवं घाणा के अस्पताल पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशीप मोड पर संचालित हो रहा है, लेकिन यहां सुविधाएं बहुत ही कम मिल रही है। जब टीम अस्पताल में पहुंची तो लोगों ने यहां पर सुविधाएं नहीं मिलने की शिकायतें भी की। ग्रामीणों ने बताया कि सरकार की ओर से अस्पताल संचालित होने पर सुविधाएं मिल रही थी, लेकिन पीपीपी मोड पर देने के बाद से सुविधाएं नहीं मिल रही। इन अस्पतालों को वापस सरकार की ओर से संचालित करने की लोगों ने मांग रखी।

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