जालोर. नगरपरिषद से बार-बार फाइलें गुम होने का सिलसिला थमने का नाम ही हीं ले रहा है। दरअसल, नगरपरिषद की विभिन्न शाखाओं में लगे कार्मिकों की ओर से जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों को मूवमेंट रजिस्टर में एंट्री कर कई पत्रावलियां दी गईं और ये पत्रावलियां लेने के बाद अधिकारियों या जनप्रतिनिधियों की ओर से कई दिनों तक संबंधित लिपिक को लौटाई ही नहीं गई। जबकि मूवमेंट रजिस्टर में एंट्री कर पत्रावलियां देने का ऐसा कोई नियम नगर निकायों तो क्या किसी भी सरकारी दफ्तर में नहीं है। हालांकि नगरपरिषद से इस तरह मूवमेंट रजिस्टर में एंट्री कर जनप्रतिनिधियों को पत्रावली देने का मामला पत्रिका में उजागर होने के बाद तत्कालीन आयुक्त शिकेश कांकरिया ने १४ मार्च २०१८ को इस बारे में सख्त निर्देश जारी किए थे। आयुक्त कांकरिया ने निर्देश जारी किए थे कि भविष्य में किसी को भी इस तरह मूवमेंट रजिस्टर में एंट्री कर फाइलें नहीं दी जाएंगी। जनप्रतिनिधि चाहे तो इसके लिए आवेदन कर उनकी मौजूदगी में पत्रावली का अवलोकन कर सकेगा। जबकि खुद अधिकारी उनके ही जारी फरमानों की अवहेलना करते रहे। सूत्रों की मानें तो हाल ही में डीडीआर जोधपुर से जांच के लिए जालोर पहुंची टीम को नगरपरिषद की विभिन्न शाखाओं से काफी फाइलें नहीं मिल पाई। कुछ फाइलें मूवमेंट रजिस्टर में एंट्री कर तत्कालीन आयुक्त को देना बताया गया, जबकि काफी फाइलें बिना एंट्री के दी गई हंै। जिनका अब मिल पाना मुश्किल नजर आ रहा है।
ऐसा कोई नियम ही नहीं…
गौरतलब है कि इस संबंध में पत्रिका ने १४ मार्च २०१८ के अंक में ‘नियम : मूवमेंट रजिस्टर में एंट्री कर नहीं दे सकते, सभापति ने कहा-मेरे चेम्बर में ही तो पड़ी हैं फाइलेंÓ शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया था। जिसमें खुद डीएलबी जयपुर के वरिष्ठ संयुक्त विधि परामर्शी अशोककुमार सिंह का भी यही कहना था कि नगर निकायों में चुना गया पालिकाध्यक्ष, सभापति, अधिकारी या इनके अलावा कोई भी जनप्रतिनिधि सरकारी पत्रावली को खुद के चेंबर तो क्या कहीं और भी नहीं ले जा सकता। अगर वह पत्रावली देखना चाहे तो संबंधित कार्मिक उसे पत्रावली का अवलोकन मौके पर ही करवा सकता है। जिसके बाद वह पत्रावली पुन: संबंधित लिपिक को देना जरूरी है। मूवमेंट रजिस्टर में एंट्री करके पत्रावली देने का कोई नियम ही नहीं है। अगर ऐसा हो रहा है तो गलत है। ऐसा करने वाले के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जा सकती है।
पहले भी गुम हो चुकी हैं फाइलें
गौरतलब है कि इससे पहले भी नगरपरिषद की विभिन्न शाखाओं में लगे कार्मिकों की ओर से जनप्रतिनिधियों को बिना मूवमेंट रजिस्टर में एंट्री के पत्रावलियां दी जा चुकी हैं। जिसके बाद से ऐसी सभी फाइलें गायब हैं। इस बारे में संबंधित लिपिक व अधिकारियों के बयान भी लिए गए और बाद में पुलिस में एफआईआर भी दर्ज कराई गई। वहीं कुछ फाइलें नाटकीय तरीके से लिपिक के घर भी पहुंचाई गई थी।
पत्र लिख मांगी फाइलें
नगरपरिषद आयुक्त महिपालसिंह ने गत १२ जुलाई को तत्कालीन आयुक्त कांकरिया को पत्र लिखकर विधि अनुभाग से संबंधित चार फाइलें संबंधित शाखा के लिपिक को सुपुर्द करने के बारे में लिखा है। ये पत्रावलियां १५ जून २०१८ व २२ जून २०१८ को मूवमेंट रजिस्टर में क्रम संख्या २३ से २६ तक हस्ताक्षर करवाकर सुपुर्द की गई थी जो अब तक लौटाई नहीं गई हैं।
सौ से ज्यादा गायब हैं…
करीब छह माह पूर्व नगरपरिषद से मैंने आरटीआई के तहत पत्रावलियों की नकलें, एनओसी व जारी पट्टों को की सूचना मांगी थी, लेकिन मुझे अब तक उपलब्ध नहीं कराई गई है। नगरपरिषद की विभिन्न शाखाओं के लिपिकों का भी यही कहना है कि जो सूचना मांगी गई है, उनसे संबंधित फाइलें तत्कालीन आयुक्त को दी गई थी जो अब तक लौटाई नहीं गई है। वैसे जहां तक मेरी जानकारी में है नगरपरिषद में विभिन्न शाखाओं से सौ से ज्यादा फाइलें आज भी गायब हैं।
– मंजू सोलंकी, उपसभापति, नगरपरिषद जालोर
शिकायत मिली थी…
जालोर नगरपरिषद से पत्रावलियां गुम होने और नष्ट करने की संभावना को लेकर शिकायत मिली थी। हाल ही में जोधपुर की टीम ने जालोर नगरपरिषद में जांच की है। जांच रिपोर्ट में क्या है अभी मैंने देखा नहीं है। जालोर नगरपरिषद से कुछ फाइलें मिसिंग जरूर हैं। पत्रावलियां नहीं मिलने पर इस बारे में पुलिस में एफआईआर दर्ज कराई जाएगी।
– विशाल दवे, डीडीआर, जोधपुर