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कहीं जालोर में भी ना हो जाए दिल्ली जैसा हादसा…पढ़ें पूरी खबर

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जालोरDec 09, 2019 / 11:33 am

Dharmendra Kumar Ramawat

damage fire brigade in Jalore city

जालोर. दिल्ली के अनाज मंडी क्षेत्र में रविवार अल सुबह लगी भयंकर आग के बाद ४० से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। यहां संसाधन होने के बावजूद इतने बड़े हादसे पर काबू पाने के लिए प्रशासन को काफी जद्दोजहद करनी पड़ी, लेकिन जालोर जिला मुख्यालय की बात करें तो शहर के भीतरी भागों और तंग गलियों में आग की छोटी सी घटना भी हो जाए तो यहां दमकल का पहुंच पाना भी संभव नहीं है। बीते दस साल से नगरपरिषद पार्षद दमकल शाखा की ओर से छोटी दमकल की खरीद के लिए अधिकारियों को कई मर्तबा बताया जा चुका है, लेकिन कोई भी इस पर ध्यान नहीं दे रहा है। ऐसे में यह साफ तौर पर कहा जा सकता है कि प्रशासन किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है। नगरपरिषद के पास फिलहाल तीन बड़ी दमकलें हैं। जिनमें से एक डेमेज है। वहीं पीछे बची दोनों दमकलें तेरह से चौदह साल पुरानी हैं। छोटी दमकल नहीं होने के कारण शहर परकोटे या मुख्य बाजार के आस पास के इलाकों में आग लग जाए तो ये दमकलें वहां पहुंच ही नहीं सकती। वहीं कुछ गलियां तो इतनी तंग हैं कि यहां पानी के टैंकर भी बड़ी मुश्किल से पहुंच पाते हैं। इसके बावजूद छोटी दमकल की खरीद नहीं करना समझ से परे है। अगर समय रहते प्रशासन ने इस बारे में कोई ठोस कदम नहीं उठाया तो शहरवासियों को इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।
जा चुकी है दो सगे भाइयों की जान
गौरतलब है कि शहर के भीड़भाड़ वाले इलाके घांचियों की पिलानी के निकट भी इससे पहले भीषण आग लगने से दो सगे भाइयों की मौत हो चुकी है। घांचियों की पिलानी स्थित एक घी की दुकान में आग लगने के बाद सिलेंडर फट गया था। वहीं संकरा मार्ग होने के कारण दमकल के यहां पहुंचने के बाद भी आग पर काबू नहीं पाया जा सका।
यहां नहीं पहुंच सकती बड़ी दमकल
शहर के सरावास, गांधी चौक, मुख्य बाजार, सरावास, खानपुरावास, फोलावास, भंडारियों का वास, किले की घाटी, गुर्जरों का वास, पुरानी सब्जी मंडी, वीरमदेव चौक व ऊपर कोटा समेत कई जगहों पर ऐसी काफी इमारतें हैं, जहां आग लगने के दौरान गंभीर हादसे हो सकते हैं। शहर के भीतरी भागों में बनी इन इमारतों और कॉम्पलेक्स तक बड़ी दमकल का पहुंचना संभव ही नहीं है। ऐसे में प्रशासन को इस बारे में सख्त कदम उठाने की जरूरत है।
पिछले बोर्ड में सांसद ने की थी घोषणा
जालोर नगरपरिषद में कहने को दो दमकलें ठीक ठाक हालात में जरूर हैं, लेकिन शहर के भीतरी भागों में अगर आग लग जाए तो ये किसी काम की नहीं हैं। मार्ग संकरा होने के कारण यहां छोटी दमकल की जरूरत है और पिछले दस साल से इसकी मांग भी की जाती रही है। नगरपरिषद के पिछले बोर्ड की पहली बैठक में सांसद देवजी पटेल इसकी घोषणा भी कर चुके हैं, लेकिन अब तक नगरपरिषद इसकी खरीद नहीं कर पाई है।
हर साल आग की सवा सौ घटनाएं
जालोर नगपरिषद क्षेत्र सहित आस पास के इलाकों की बात करें तो यहां हर साल आग की करीब सवा सौ घटनाएं होती हैं। इसके बावजूद महज दो दकमलों के भरोसे काम चलाया जा रहा है। नगरपरिषद की तीन दकमलों में से एक डेमेज है। जबकि शेष दो 2002 व 2005 मॉडल की हैं। यानी यह भी जवाब दे चुकी हैं।
अवगत कराया है…
छोटी दमकल के लिए उच्चाधिकारियों को अवगत करवा रखा है। फिलहाल दमकल शाखा में तीन दमकलें हैं और इनमें से एक डेमेज है। शेष दो दकमलें काफी पुरानी है। छोटी दमकल आने से शहर के भीतरी भागों में आग की घटनाओं के दौरान काबू पाने में सहुलियत हो सकेगी।
– द्वारकाप्रसाद वैष्णव, प्रभारी, दकमल शाखा

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