scriptचौदह साल बाद फिर किसानों को अकाल के कालचक्र का डर | Fourteen years later, farmers are afraid of famine | Patrika News

चौदह साल बाद फिर किसानों को अकाल के कालचक्र का डर

locationजालोरPublished: Sep 19, 2018 10:11:26 am

इस बार औसत से आधी बारिश तक नहीं हो पाई

farmers afraid

Fourteen years later, farmers are afraid of famine

भीनमाल. मानसून की बेरुखी के बाद अकाल के असर ने इस बार किसानों की उम्मीदों को पूरी तरह से धूमिल कर दिया है। सूखे के हालातों के बीच इस बार मानसून विदाई ले चुका है और बारिश नहीं होने से किसानों की उम्मीदें खेतों में जल चुकी है। बारिश के आंकड़ों पर नजर डाले तो करीब 14 साल बाद इस बार फिर भयंकर सूखे के हालात बन रहे है। खेत-खलीहानों में बोई खरीफ की फसल तो बर्बाद हो चुकी है।
इसके अलावा नाडी तालाबों में पानी की आवक नहीं होने से रबी का रकबा भी घट जाएगा। कम बारिश के चलते इस बार नाड़ी-तालाबों में भी पानी की आवक नहीं हुई है।
गहराएगा पेयजल संकट
शहरवासियों को आगामी दिनों में भंयकर पेयजल संकट से जूझना पड़ सकता है। इस बार मानसून के बेरूखी के चलते शहर के बालसमंद बांध में पानी आवक नहीं हुई। ऐसे में शहर में खासकर आगामी गर्मी के मौसम में पेयजल संकट झेलना पड़ सकता है। दरअसल, शहर में शहर के बालसमंद बांध के आस-पास कृषि कुओं से शहर को टैंकरों के मार्फत अमृत सा मीठा पानी मिलता है, लेकिन इस बार बांध में पानी की आवक नहीं होने से बांध के डेड स्टोरेज में पड़ा पानी सूख जाएंगा। आस-पास के कुएं भी सूख जाएंगे।
पिछले 14 साल में सितंबर तक हुई बारिश
क्षेत्र में करीब 14 साल बाद इतनी कम बारिश हुई है। एक बारिश बारिश होने के बाद फिर मेघ मेहरबान नहीं हुए। ऐसे में खरीफ की फसलें तो सूख गई, साथ ही नाड़ी व तालाब भी सूखे रहे। साल 2006 में 10 सित?बर तक 1037 एमएम, 2007 में 427 एमएम, 2008 में 36 2 एमएम, 2009 में 171 एमएम, 2010 में 6 05 एमएम, 2011 में 756 एमएम, 2012 में 296 एमएम, 2013 में 513 एमएम, 2014 में 36 8 एमएम, 2015 में 6 48 एमएम, 2016 में 471 एमएम, 2017 में 8 8 2 एमएम व 2018 में 122 मिलीमीटर ही बारिश हुई है।
चारे का संकट भी सताएगा
पिछले करीब दो दशक बाद भयंकर सूखे के हालात बने है। एक बार बारिश होने के बाद अभी तक बारिश नहीं हुई है। खेतों में खरीफ की फसल अंकुरित होने के बाद जल गई। किसानों के सामने आजीविका चलाने व पशुपालकों के सामने पशुओं के चारे की समस्या खड़ी हो गई है।
– बगदाराम भील व गणेशाराम, किसान-भीनमाल
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