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जालोर को जानो व्याख्यान में इन विषयों पर प्रबुद्धजनों और साहित्यकारों ने साझा किए विचार

locationजालोरPublished: Feb 19, 2020 10:11:10 am

Submitted by:

Khushal Singh Bati

– व्याख्यानमाला के तहत साहित्यकारों ने प्रस्तुत किए अपने विचार

- व्याख्यानमाला के तहत साहित्यकारों ने प्रस्तुत किए अपने विचार

– व्याख्यानमाला के तहत साहित्यकारों ने प्रस्तुत किए अपने विचार

जालोर. जालोर महोत्सव-2020 के तहत पर्यटन विभाग राजस्थान सरकार, जिला प्रशासन जालोर एवं जालोर विकास समिति द्वारा आयोजित एवं वीरम सांस्कृतिक संस्थान जालोर द्वारा संयोजित जालोर को जानो व्याख्यानमाला सोमवार को जिला परिषद् सभागार में रखी गई। कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों के द्वारा मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन से किया गया। किशोर कुमार नामा के द्वारा मां सरस्वती की वन्दना की गई। भीनमाल से आए युवा साहित्यकार प्रवीण कुमार मकवाणा ने जालोर की साहित्य परम्परा पर व्याख्यान दिया। उन्होंने महाकवि माघ, ब्रह्मगुप्त, धनपाल, यशोवीर, लक्ष्मीतिलक उपाध्याय, पदमनाभ, रामेश्वरदयाल श्रीमाली, सरस वियोगी, श्रीमंत कुमार व्यास, हनवंतसिंह देवड़ा से लेकर लालदास राकेश, उदाराम वैष्णव, अरूण दवे, प्रवीण पंड्या, जोगेश्वर गर्ग, अचलेश्वर आनंद, जुगलकिशोर व्यास, पुरुषोत्तम पोमल, अर्जुनसिंह उज्ज्वल, परमानंद भट्ट तक जालोर के साहित्यकारों की समृद्धशाली परम्परा और उनकी कृतियों के बारे में परिचय दिया। प्रथम व्याख्यान के बाद युवा कवियत्री मंजीत कौर मीणा ने कविता पाठ किया। कविता पाठ के उपरांत सांचौर से आए संस्कृत के साहित्यकार डॉ. प्रवीण पंड्या ने महाकवि माघ के व्यक्तित्व और कृतित्त्व पर प्रकाश डाला। पंड्या ने अपने शोधपूर्ण व्याख्यान मे महाकवि माघ द्वारा रचित साहित्य की बारीकियों एवं माघकाव्य में जो लोक का आलोक है उसे सुधि श्रोताओं के सामने रखा। उन्होंने कहा की माघ ने जिस तरह के साहित्य का सृजन किया है वैसा कही देखने को नहीं मिलता। माघ के संस्कृत साहित्य में लोक में प्रचलित शब्दों की भरमार है। उन्होंने जालोर के प्रबुद्धजनों को माघ के साहित्य को पढऩे को कहा ताकि वे अपने जिले के इस लेखक को निकट से जान सके। व्याख्यान के दूसरे सत्र की समाप्ति श्रीपालसिंह बालोत ने जय जालोर गीत गाकर की। इसके बाद तीसरा सत्र प्रारंभ हुआ जिसमें भीनमाल के वैदिक वैज्ञानिक आचार्य अग्निव्रत नैष्ठिक ने वैदिक भौतिकी – एक परिचय विषय पर अपना व्याख्यान दिया, जिसमें उन्होंने भारत की गौरवशाली वैदिक परम्परा से श्रोताओं को अवगत कराया। उन्होंने कहा की आज भारत को भारतीयता के आधार पर खड़ा करने की आवश्यकता है। देश में फैल रहे बौद्धिक आतंकवाद को उन्होंने राष्ट्र के लिए घातक बताया। अग्निव्रत ने 7000 वर्ष पुराने ऐतरेय ब्राह्मण ग्रन्थ की वैज्ञानिक व्याख्या की है, जिसको उन्होंने वेद विज्ञान आलोक नाम की चार भागों में पुस्तक लिखकर जो 2800 पृष्ठों में शोध कार्य किया है उस बारे में श्रोताओं को जानकारी दी। कार्यक्रम का संचालन जालोर को जानो व्याख्यानमाला के समन्वयक वीर बहादुर सिंह राठौड़ ने किया। कार्यक्रम में ईश्वरलाल शर्मा, अचलेश्वर प्रसाद श्रीमाली, परमानंद भट्ट,पुरूषोत्तम पोमल, अशोक दवे, अर्जुनदान चारण, शिव कुमार दवे, संदीप जोशी, दीपक व्यास, अश्विनी शर्मा, बीएल सुथार, विक्रमसिंह लेटा, कृष्णपाल सिंह राखी समेत जालोर के गणमान्य लोग मौजूद थे।.
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