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प्रशासन व रीको ने कुछ नहीं किया तो उद्यमियों ने खुद की राशि से डम्पिंग यार्ड के लिए खरीदी 53 बीघा जमीन

locationजालोरPublished: Apr 29, 2018 10:32:17 am

अभी भी औद्योगिक क्षेत्र प्रथम व द्वितीय चरण में चल रही है डम्पिंग यार्ड की समस्या

Granite Slury Dumping yard

File Photo

धर्मेन्द्र रामावत
जालोर. ग्रेनाइट सिटी के नाम से देश भर में अपनी पहचान बना चुका जालोर शहर आज भी मूलभूत सुविधाओं के अभाव में उद्यमियों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है।
रोजाना फैक्ट्रियों से निकलने वाली स्लरी के निस्तारण को लेकर उद्यमी डम्पिंग यार्ड के लिए सालों से जमीन की मांग कर रहे हैं, लेकिन अभी तक इसके लिए ना तो प्रशासन कुछ कर पाया है और ना ही रीको। ऐसे में खुद ग्रेनाइट एसोसिएशन ने औद्योगिक क्षेत्र तृतीय चरण में नए डम्पिंग यार्ड के लिए उद्यमियों से राशि इक_ा कर करीब 53 बीघा नई जमीन खरीदी है। एसोसिएशन के पदाधिकारियों का कहना है कि इस जमीन को एसोसिएशन जल्द ही डवलप करेगा। इसके बाद तृतीय चरण में डम्पिंग यार्ड की समस्या का काफी हद तक समाधान हो पाएगा। अब एसोसिएशन की मांग है कि प्रथम और द्वितीय चरण में डम्पिंग यार्ड के लिए प्रशासन व रीको कुछ करे। कारण कि शहर के औद्योगिक क्षेत्र प्रथम व द्वितीय में अभी भी डम्पिंग यार्ड के अभाव में ग्रेनाइट इकाइयों से निकलने वाले पाउडर का व्यवस्थित निस्तारण नहीं हो पा रहा है। स्लरी के निस्तारण के लिए बने डम्पिंग यार्ड जवाब दे चुके हैं। जिससे दिनों दिन स्थिति बिगड़ रही है।
उद्यमियों ने दिए प्रति मशीन 30 हजार रुपए
ग्रेनाइट एसोसिएशन अध्यक्ष लालसिंह धानपुर ने बताया कि सालों से मांग के बावजूद रीको और प्रशासन की ओर से इस बारे में कुछनहीं किया गया। ऐसे में खुद उद्यमियों ने समस्या के निस्तारण के लिए प्रति मशीन 30 हजार रुपए एसोसिएशन को दिए। जिसके बाद भागली व धवला रोड पर डम्पिंग यार्ड के लिए नई जमीन खरीदी गई है।जल्द ही इस जमीन को डवलप कर यहां डम्पिंग यार्ड बनाया जाएगा।
बन गए हैं स्लरी के पहाड़
डम्पिंग यार्ड के लिए प्रशासन व रीको की ओर से जमीन उपलब्ध नहीं कराने के कारण औद्योगिक क्षेत्रों में पुराने डम्पिंग यार्ड पूरी तरह से भर चुके हैं। जिसके कारण यहां स्लरी के पहाड़ बन गए हैं।
बढ़ रही इकाइयां, नहीं है स्थाई समाधान
गौरतलब है कि वर्ष 2004 में उद्यमियों की मांग पर धवला रोड पर राज्य सरकार की ओर से डम्पिंग यार्ड के लिए करीब 16 बीघा जमीन आवंटित करवाई गई थी। जबकि भागली में 23 बीघा जमीन आवंटित थी। इसके बाद ग्रेनाइट एसोसिएशन ने निजी स्तर पर धवला रोड पर 20 बीघा जमीन और खरीद कर स्लरी डम्पिंग की व्यवस्था की। इसके बाद हाल ही में एसोसिएशन ने धवला रोड पर 40 बीघा और भागली में 13 बीघा और नई जमीन खरीदी है।
ग्रेनाइट उद्यमियोंं ने की कई बार मांग
मौजूदा समय में जालोर नगरपरिषद क्षेत्र में करीब 1300 से ग्रेनाइट इकाइयां चल रही हैं। इससे राज्य सरकार को सेलटैक्स के नाम पर अच्छा खासा राजस्व मिलता है, लेकिन व्यवस्था के नाम पर प्रशासन व रीको स्लरी निस्तारण तक की उचित व्यवस्था नहीं कर रहा है। ग्रेनाइट उद्यमियों ने इस सम्बंध में रीको और प्रशासन को कई बार लिखित में अवगत कराया। इसके बावजूद कोई कारगर कदम नहीं उठाया गया। और तो और तत्कालीन कलक्टर ने रीको के अधिकारियों व ग्रेनाइ एसोसिएशन के पदाधिकारियों के साथ विस्तृत वार्ता कर यहां बारिश में पौधरोपण करने के भी निर्देश दिए थे, लेकिन इस बारे में कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए।
रीको व प्रशासन ने कुछ नहीं किया…
औद्योगिकक्षेत्र प्रथम, द्वितीय व तृतीय चरण के अलावा बिशनगढ़ में रिको की ओर से उद्यमियों को जमीनें तो दी गई, लेकिन 1985 से लेकर अब तक स्लरी निस्तारण के लिए महज ३ बीघा जमीन का ही आवंटन किया गया। १६ बीघा जमीन राज्य सरकार की ओर से दी गई और बाकी 20 बीघा जमीन एसोसिएशन ने पहले निजी स्तर पर खरीदी थी। रिको की ओर से उद्यमियों से सुविधा शुल्क वसूला जा रहा है, लेकिन सड़क, रोडलाइट और डम्पिंग यार्ड को लेकर कोई सुविधा नहीं दी गई। ऐसे में एसोसिएशन ने प्रति मशीन 30-30 हजार रुपए लेकर करीब 53 बीघा जमीन खरीदी है। मांग के बावजूद ना तो प्रशासन ने हमारे लिए कुछ किया और ना ही रीको ने।
-लालसिंह धानुपर, अध्यक्ष, ग्रेनाइट एसोसिएशन, जालोर
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