इस तरह चला पूरा घटनाक्रम
इन बदमाशों द्वारा ब्लेकमेल करने व बदनाम करने की धमकी देने के भय से छुटकारा पाने के लिए महंत द्वारा अपहरण की झूठी कहानी रची गई। इसमें मोवनाराम मेघवाल निवासी वालेरा, भवाराम उर्फ भूपेंद्र मेघवाल निवासी वालेरा व सुजाराम मेघवाल निवासी मेंगलवा का सहयोग लेकर महंत वालेरा मठ के निकट स्थित कांखीरोड में जागरण के लिए निकले। यहां महंत ने सडक़ पर अपनी कार को छोडकऱ कार में अपना साफा, गमछा व जूते रख दिए तथा मेन कांच को लठ मारकर तोड़ दिया। इसके बाद महंत अपनी पहचान वालों के सहयोग सिरोही जिले के पोसींद्रा में तीन दिन तक धर्मनाथ महादेव मंदिर में रुके। इसके बाद 3 जुलाई की रात्रि में वह रेवदर स्थित आबकारी थाने में पहुंचे, जहां से उन्हें पूछताछ के लिए जालोर पुलिस जालोर लेकर आई।
कबूली अपहरण रचने की झूठी कहानी
जालोर लाने के बाद पुलिस की ओर से महंत से गहन पूछताछ की गई, जिसमें उन्होंने अपहरण की झूठी कहानी रचने की बात कबूली। पुलिस द्वारा महंत पारसभारती को ब्लेकमेल कर पैसे एंठने की धमकी देने वाले आरोपियों के खिलाफ अलग से प्रकरण दर्ज कर अग्रिम कार्रवाई की जा रही है।
यूं चला घटनाक्रम
पुलिस को 1 जुलाई को रात्रि में महंत पारसभारती महाराज के अपहरण होने की सूचना मिली। प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए एसपी अग्रवाला द्वारा पुलिस टीमों का गठन करते हुए घटनास्थल पर पहुंचकर साक्ष्य जुटाए गए। कलक्टर निशांत जैन व एसपी अग्रवाला सहित जालोर, आहोर, भाद्राजून, बागरा, भीनमाल व बागोड़ा के थानाधिकारी मौके पर पहुंचे। साथ ही घटनास्थल व आसपास के रूटों के सीसीटीवी फुटेज चेक किए गए। घटनास्थल व वाहन का एफएसएल टीम व जिला एफओबी टीम द्वारा मुआयना करने के साथ संदिग्ध व्यक्तियों से पूछताछ की गई।
ऑडियो और वीडियो होने की धमकी और रुपए ऐंठने का प्रयास
प्रारंभिक पड़ताल में यह सामने आया कि आरोपियों ने धमकाया कि उनके पास महंत के आपत्तिजनक वीडियो और ऑडियो है। इसकी एवज में आरोपी उनसे रुपए की मांग कर रहे थे। साथ ही धमका रहे थे कि यदि ऐसा नहीं किया गया तो वे ये ऑडियो और वीडियो वायरल कर देंगे। इस प्रकरण में पुलिस अब यह तथ्य जांच रही है कि क्या वाकई में आरोपियों के पास इस तरह के ऑडियो वीडियो मौजूद है।