पहले ही जवाई बंाध के दंश से जूझ रहे
विधायक राजपुरोहित ने कहा कि किसी भी हालात में जोयला डायवर्जन नहीं बनने देंगे। विधायक राजपुरोहित ने कहा कि आहोर सहित पूरा जालोर जिला जवाई बांध बनने की मार झेल ही रहा था। उसके बाद जवाई नदी व जवाई की सहायक नदी सुकड़ी नदी पर ऐसे कई एनीकट बने। जिससे जालोर जिले को भारी नुकसान पहुंचा है और अब जोयला डायवर्जन बनने के बाद तो पूरा जालोर जिला ही रेगिस्तान में तब्दील हो जाएगा। विधायक राजपुरोहित समेत क्षेत्रवासियों ने किसानों व जालोर जिले के हित में सुकड़ी नदी पर बन रहे जोयला पिकअप वियर नाम की योजना जोयला डायवर्जन को निरस्त किए जाने की मांग की। बैठक में कलक्टर ने इसको लेकर रिपोर्ट तैयार कर सरकार को भेजने की बात कही। बैठक में पीसीसी सदस्य सवाराम पटेल ने कहा कि इसकी जांच के लिए अधिकारियों व विशेषज्ञों की जांच कमेटी बनाई जाए। जो रिपोर्ट पेश करे। वहीं उमसिंह चांदराई ने कहा कि इसकी तकनीकी जांच करवाकर नियमानुसार कार्रवाई की जाए।
विधायक राजपुरोहित ने कहा कि किसी भी हालात में जोयला डायवर्जन नहीं बनने देंगे। विधायक राजपुरोहित ने कहा कि आहोर सहित पूरा जालोर जिला जवाई बांध बनने की मार झेल ही रहा था। उसके बाद जवाई नदी व जवाई की सहायक नदी सुकड़ी नदी पर ऐसे कई एनीकट बने। जिससे जालोर जिले को भारी नुकसान पहुंचा है और अब जोयला डायवर्जन बनने के बाद तो पूरा जालोर जिला ही रेगिस्तान में तब्दील हो जाएगा। विधायक राजपुरोहित समेत क्षेत्रवासियों ने किसानों व जालोर जिले के हित में सुकड़ी नदी पर बन रहे जोयला पिकअप वियर नाम की योजना जोयला डायवर्जन को निरस्त किए जाने की मांग की। बैठक में कलक्टर ने इसको लेकर रिपोर्ट तैयार कर सरकार को भेजने की बात कही। बैठक में पीसीसी सदस्य सवाराम पटेल ने कहा कि इसकी जांच के लिए अधिकारियों व विशेषज्ञों की जांच कमेटी बनाई जाए। जो रिपोर्ट पेश करे। वहीं उमसिंह चांदराई ने कहा कि इसकी तकनीकी जांच करवाकर नियमानुसार कार्रवाई की जाए।
इस तरह का संकट, जो भविष्य से खिलवाड़
जालोर जिले से गुजर रही जवाई नदी 1940 तक बारह मासी नदी थी, लेकिन 50 के दशक में जवाई बांध का निर्माण होने के बाद नदी में धीरे धीरे आवक कम होती गई। इसी कड़ी में जवाई नदी के अन्य बहाव क्षेत्रों में छोटे मोटे बांध और एनीकट और बना दिए गए, जिनका समय रहते विरोध नहीं किया गया। जिसका नतीजा यह हुआ है कि औसतन जवाई नदी में एक दशक में ही जवाई नदी में बहाव होता है और वह भी उस स्थिति में जब अतिवृष्टि के बाद जवाई बांध पूरी क्षमता तक भर जाता है। एक तरह से जालोर जिले के किसानों के लिए जवाई बांध अभिशाप है और इसी तरह जोयला डायवर्जन का निर्माण होने से जो थोड़ा बहुत बरसाती पानी नदी बहाव क्षेत्र तक पहुंचता था वह भी अवरुद्ध हो जाता था। इसलिए इसका निर्माण पूरे जिले के लिए नुकसानदायक है।
जालोर जिले से गुजर रही जवाई नदी 1940 तक बारह मासी नदी थी, लेकिन 50 के दशक में जवाई बांध का निर्माण होने के बाद नदी में धीरे धीरे आवक कम होती गई। इसी कड़ी में जवाई नदी के अन्य बहाव क्षेत्रों में छोटे मोटे बांध और एनीकट और बना दिए गए, जिनका समय रहते विरोध नहीं किया गया। जिसका नतीजा यह हुआ है कि औसतन जवाई नदी में एक दशक में ही जवाई नदी में बहाव होता है और वह भी उस स्थिति में जब अतिवृष्टि के बाद जवाई बांध पूरी क्षमता तक भर जाता है। एक तरह से जालोर जिले के किसानों के लिए जवाई बांध अभिशाप है और इसी तरह जोयला डायवर्जन का निर्माण होने से जो थोड़ा बहुत बरसाती पानी नदी बहाव क्षेत्र तक पहुंचता था वह भी अवरुद्ध हो जाता था। इसलिए इसका निर्माण पूरे जिले के लिए नुकसानदायक है।
इनका कहना
जोयला प्रकरण में विशेष बैठक का आयोजन किया गया था। जिसमें स्थानीय जनप्रतिनिधियों, किसानों और ग्रामीणों ने पक्ष और सुझाव दिए हैं। उन सुझावों और प्वाइंट्स को उच्च स्तर पर भेजा जाएगा। जो भी मार्गदर्शन मिलेगा, उसके अनुसार अग्रिम कार्रवाई की जाएगी।
- नम्रता वृष्णि, कलक्टर, जालोर
जोयला प्रकरण में विशेष बैठक का आयोजन किया गया था। जिसमें स्थानीय जनप्रतिनिधियों, किसानों और ग्रामीणों ने पक्ष और सुझाव दिए हैं। उन सुझावों और प्वाइंट्स को उच्च स्तर पर भेजा जाएगा। जो भी मार्गदर्शन मिलेगा, उसके अनुसार अग्रिम कार्रवाई की जाएगी।
- नम्रता वृष्णि, कलक्टर, जालोर