गजेंद्र सिंह दहिया जालोर. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) दिल्ली में रविवार को वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 400 के पार पहुंचते ही केंद्र के वायु गुणवत्ता पैनल (CAQM) ने ग्रेप (GRAP) की स्टेज-3 लागू कर दी है। इसी के साथ ही दिल्ली में निर्माण और तोड़फोड़ की गतिविधियों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लग गया है। राजधानी में प्रतिबंध लगते ही जालोर से ग्रेनाइट लेकर गए ट्रक Delhi NCR की सीमा से ही वापस मुड़ गए हैं। शहर के ग्रेनाइट उद्योग की 50 प्रतिशत खपत दिल्ली व एनसीआर क्षेत्र में होती है। प्रतिदिन एक करोड़ का ग्रेनाइट जालोर से दिल्ली जाता है। ऐसे में Air Pollution तो दिल्ली का बढ़ा है लेकिन चिंता की लकीरें जालोर की 1400 ग्रेनाइट इकाइयों पर नजर आने लगी है।
दिल्ली में सर्वाधिक खपत इसलिए दरअसल नोएडा, गाजियाबाद सहित दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में निर्माण गतिविधियों के कई प्राेजेक्ट चल रहे हैं जहां ग्रेनाइट की खपत होती हैं। जालोर से प्रतिदिन 50 से 60 ट्रक अलग-अलग तरह का ग्रेनाइट लेकर दिल्ली पहुंचते हैं। इन सभी ट्रकों पर अब रोक लग जाएगी।
लगातार दूसरे साल घाटा, 2 महीने तक रहेगा असर सर्दी का मौसम आते ही वायुमण्डल में स्थायित्व आने के साथ दिल्ली के आसमां पर धूल कण एकत्र होने लगते हैं। निर्माण गतिविधियां, आसपास के किसानों द्वारा पराली जलाने, वाहनों के धुएं से छोटे-छोटे कार्बन दिल्ली के ऊपर वायु प्रदूषण की चादर बना लेते हैं जिससे वहां लोगों को श्वास लेना मुश्किल होता है। वर्तमान में दिल्ली का एक्यूआई 400 पहुंच गया है जबकि अच्छा एक्यूआई 0 से 50 तक माना जाता है। दिल्ली में पिछले साल भी ग्रेप-3 लागू हुआ था तब जालोर ग्रेनाइट का काफी नुकसान हुआ था। वायु प्रदूषण जनवरी तक रहता है। ऐसे में दो महीने तक ग्रेनाइट उद्योग होने का नुकसान होने की आशंका है।
———————– जालोर का ग्रेनाइट उद्योग – 1400 ग्रेनाइट इकाइयां – 100 ट्रक प्रतिदिन ग्रेनाइट ट्रांसपोर्ट – 1000 करोड़ का व्यापार है सालाना – 50 प्रतिशत व्यापार दिल्ली एनसीआर में
– 2 से 4 लाख रुपए का माल होता है एक ट्रक में ————– हमारा 50 से 60 फीसदी व्यापार दिल्ली एनसीआर में है। वहां ग्रेप-3 लागू होते ही हमारा व्यापार भी ठप हो गया है। पिछले साल भी ऐसा ही हुआ था। उससे पिछले साल कोरोना ने व्यापार बंद कर रखा था।
-राजू चौधरी, अध्यक्ष, जालोर ग्रेनाइट एसोसिएशन