निरीक्षण के दौरान आया ख्याल
जिला मुख्यालय की जेल में साप्ताहिक निरीक्षण के दौरान बंदियों से वार्तालाप के दौरान यह तथ्य सामने आया कि यहां पर कई बंदी ऐसे है जो निरक्षर है। उन्हें अक्षर ज्ञान नहीं है और वे हस्ताक्षर करने के स्थान पर अंगूठा लगाते हैं। उन्होंने ऐसे बंदियों को साक्षर करने के लिए योजना बनाई। उन्होंने जेल में बंद साक्षर और पढ़े लिखे बंदियों को इस कार्य में सहयोग की बात कही और अनपढ़ बंदियों को पढाने के लिए आगे आने का आह्वान किया। साथ ही सहायक कारापाल को कक्षाएं लगाने के निर्देश दिए।
नाम लिखना तो सीख ही गए
जिला कारागृह में कई बंदी जो पहले हस्ताक्षर करने के स्थान पर अंगूठा लगाते थे, अब वे अपना खुद का नाम लिखने लगे है। इसके अलावा अक्षर ज्ञान भी सीख रहे हैं। कारागृहों में नोटबुक, स्लेट व किताबें उपलब्ध करवाने के बाद अब अन्य साक्षर बंदी भी अपने साथी निरक्षर बंदियों को साक्षर करने के लिए आगे आ रहे हैं और वे उनको अक्षर ज्ञान सीखा रहे हैं।