न्यायाधीश संदीप मेहता तथा न्यायाधीश विनोद कुमार भारवानी की खंडपीठ में जालोर निवासी एक पिता ने याचिका दाखिल की थी। याचिकाकर्ता का कहना था कि उसकी विवाहित बेटी को ताराराम नाम के एक व्यक्ति ने अवैध रूप से निरुद्ध कर लिया है। सुनवाई के दौरान विवाहित बेटी और ताराराम मौजूद रहे। याची की बेटी ने कहा कि उसके ताराराम के साथ स्वैच्छिक संबंध हैं। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता मुकेश राजपुरोहित ने कोर्ट को चौंकाने वाली हकीकत बताते हुए कहा कि ताराराम पहले से ही विवाहित है। उसके छह बच्चे हैं, जिनकी उम्र 1 वर्ष से 12 वर्ष के बीच है। उन्होंने कहा कि ताराराम ने अपनी पत्नी, बच्चों के साथ अपने बुजुर्ग बीमार माता-पिता को भी त्याग दिया है। इस बीच ताराराम की पत्नी और उसके पिता कोर्ट में उपस्थित हुए।
वृद्ध पिता को चलने में परेशानी हो रही थी, जिसे दो व्यक्तियों की सहायता से कोर्ट रूम में लाया गया। खंडपीठ ने कहा कि याची की बेटी को दबाव मुक्त चिंतन का माहौल उपलब्ध करवाने की आवश्यकता है। कोर्ट ने उसे नारी निकेतन जोधपुर भेजने के निर्देश देते हुए उसे उचित परामर्श प्रदान करने को कहा है। साथ ही जालोर के जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के पूर्णकालिक सचिव और सायला पुलिस थाने के थानाधिकारी को ताराराम की पत्नी को सीआरपीसी की धारा 125 के तहत भरण-पोषण की मांग करते हुए पारिवारिक अदालत में एक आवेदन दाखिल करने में समन्वय व सहायता करने के निर्देश दिए हैं।
एक अंतरिम राहत के रूप में कोर्ट ने कहा कि आवेदन प्रस्तुत किए जाने के तुरंत बाद ताराराम को सायला पुलिस एक नोटिस देगी, जिस पर ताराराम को पारिवारिक अदालत के समक्ष एकमुश्त अंतरिम रखरखाव के रूप में 30 हजार रुपए की राशि जमा करवानी होगी। यदि ताराराम के पिता चाहें तो पुत्र से से भरण-पोषण की मांग के लिए माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम 2007 के तहत कार्यवाही शुरू कर सकते हैं। इसके लिए प्राधिकरण के पूर्णकालिक सचिव सहायता करेंगे।