जसवंतपुरा में इस समाज ने पैदल आने वाले श्रमिकों व मूक पशुओं के लिए शुरू की माता की रसोई
जालोरPublished: Apr 02, 2020 11:09:29 am
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नागर समाज जालोर-सिरोही ने मजदूरों के लिए शुरू की माता की रसोई,नागर समाज जालोर-सिरोही ने मजदूरों के लिए शुरू की माता की रसोई
जसवंतपुरा. अम्मा की रसोई, दादी की रसोई और नानी की रसोई के बारे में तो आपने जरूर सुना होगा, लेकिन इन दिनों लॉकडाउन के तहत जसवंतपुरा उपखंड मुख्यालय पर श्रीनागर समाज जालोर-सिरोही की ओर से माता की रसोई शुरू की गई है। इस रसोई में समय का कोई बंधन नहीं है। जब जरूरमंद पहुंचता है उसके लिए भोजन तैयार करवा दिया जाता है। कस्बे में स्थित जालोर-सिरोही नागर समाज के चामुंडा माता मंदिर की ओर से यह व्यवस्था की गई है। जिसमें दोनों जिले के समाजबंधुओं की ओर से आर्थिक सहयोग किया जा रहा है। समाज के लोगों की ओर से इस रसोई घर के माध्यम से बोर्डर से पैदल गुजरने वाले मजदूरों और जरूरतमंदों के लिए हर रोज खिचड़ी, रोटी, सब्जी-पूरी की व्यवस्था की जा रही है। सुरक्षा मानकों की पालना को लेकर इस रसोई को ऐसी जगह स्थानांतरित किया गया है, जहां किसी की भी आवाजाही वर्जित है।
समाज के कार्यकता संभाल रहे जिम्मा
नागर समाज की ओर से संचालित इस रसोईघर में काम करने वाले सभी 14 लोग पूरी तरह से संक्रमण रहित हैं और य स्वच्छता और संक्रमण का पूरा ध्यान रख रहे हैं। सिर्फ प्रशासन की ओर से अनुमति लेने वाले कार्यकर्ता ही इस रसोई घर से शत प्रतिशत सुरक्षा मानकों की पालन कर आवश्यकतानुसार भोजन पंहुचा रहे हैं।
चौकी पर तैनात कार्मिकों की भी सेवा
माता की रसोई के जरिए ना केवल मजदूरों को भोजन करवाया जा रहा है, बल्कि जालोर-सिरोही सीमा पर स्थापित चौकियों पर लगे कार्मिकों के लिए भी भोजन की व्यवस्था की जा रही है। समाज के लोगों ने बताया कि दिन-रात चौकी पर तैनात कार्मिकों के लिए भी माता की रसोई से सुबह-शाम भोजन की व्यवस्था की जा रही है।
मूक प्राणियों के लिए भी बन रहा भोजन
इन दिनों क्षेत्र में लॉकडाउन के चलते शुरू की गई माता की रसोई मानव मात्र के लिए ही नहीं, बल्कि मूक प्राणियों के लिए भी वरदान साबित हो रही है। सुबह शाम बनने वाला भोजन दिन-रात सुरक्षा में लगे पुलिसकर्मियों, मेडिकल टीम व मजदूरों के अलावा गोवंश व श्वानों के लिए बनाया जा रहा है। समाज के लोग गांव में घूम रहे पशुओं को भी भोजन देने का काम कर रहे हैं।