बडग़ांव. राजकीय विद्यालयों में बच्चों का ठहराव व नामांकन बढ़ाने के लिए पिलाया जाने वाले दूध का कर्ज शिक्षकों पर चढ़ रहा है। अन्नपूर्णा दुग्ध योजना में दूध का भुगतान नहीं होने से दुग्ध उधारी की गाड़ी चल रहा है। राजकीय विद्यालयों में कक्षा एक से आठ तक विद्यार्थियों को अन्नपूर्णा योजना के तहत प्रार्थना सभा के दौरान दूध पिलाया जाता है। ग्रामीण क्षेत्र के दुग्ध डेयरी व पशुपालकों से शिक्षक दुग्ध खरीद कर बच्चों को पिलाते थे। पहले तो समय पर दुग्ध के रुपए संस्था प्रधानों के खातों में आ गए, लेकिन पिछले तीन माह से दुग्ध का भुगतान नहीं हो रहा है।इससे संस्था प्रधानों के सामने समस्या पैदा हो गई हैं। स्कूलों में दुग्ध की आपूर्ति अब बंद हो गई है।क्षेत्र के ज्यादातर स्कूलों में पिछले एक सप्ताह से बच्चों को दुग्ध पिलाना बंद कर दिया है। पिछले तीन माह से उधार में खरीदे दुग्ध के भुगतान के लिए दुग्ध डेयरी संचालक उधार वसूलने के लिए गुरुजी के चक्कर काट रहे हैं। कुछ शिक्षक अपनी जेब से भुगतान कर किसी तरह चला रहे हंै, लेकिन अधिकतर जगह दूध पिलाना बंद हो चुका है।
अधिकारियों को लिखा पत्र
अन्नपूर्णा दूध योजना के पिछले तीन माह से भुगतान उपलब्ध नहीं होने से परेशान राजकीय माध्यमिक विद्यालय के प्रधानाचार्य ने मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी को पत्र लिखा है।इसमें अन्नपूर्णा दूध योजना के लिए पिछले दो-तीन माह से बकाया चल रही राशि उपलब्ध करवाने की मांग की है। पत्र में लिखा है पिछले तीन माह से राशि नहीं मिलने के कारण आपूर्ति करने वाले डेयरी ने दूध देना बंद कर दिया है। मजबूरी में बच्चों को दूध पिलाना बंद कर रहे हैं।
दूध पिलाना बंद…
पिछले तीन माह से अन्नपूर्णा दूध योजना की राशि नहीं मिल रही है। डेयरी वालों ने भी उधार में दूध देना बंद कर दिया है। इससे मजबूरन बच्चों को दुग्ध पिलाना बंद कर दिया है।
पीराराम सोलंकी, प्रधानाचार्य, राजकीय माध्यमिक विद्यालय, रोड़ा
उधार में दे रहे दूध…
पिछले तीन माह से सरकारी स्कूलों में दूध दे रहा हूं, लेकिन अभी तक भुगतान नहीं दिया जा रहा है। अब उधार में दूध देना भी बंद कर दिया है। पैसों के लिए चक्कर लगाना पड़ रहा है।
भवरसिंह, सरस दुग्ध आपूर्ति केन्द्र, बडग़ांव