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जालोर

मंत्रीजी जालोर आए तो पकड़ में आई गड़बडिय़ां और फिर

टीम ने सायला के एक पेट्रोल पंप पर जांच की तो वहां मिली गड़बड़ी, सबसे बड़ी ग्रेनाइट इकाइयों के मानक सिस्टम में गड़बड़ी, ऐसे में जिलेभर में बड़े गड़बड़झाले से नहीं किया जा सकता इनकार

जालोरSep 15, 2019 / 11:12 am

Khushal Singh Bati

टीम ने सायला के एक पेट्रोल पंप पर जांच की तो वहां मिली गड़बड़ी, सबसे बड़ी ग्रेनाइट इकाइयों के मानक सिस्टम में गड़बड़ी, ऐसे में जिलेभर में बड़े गड़बड़झाले से नहीं किया जा सकता इनकार

टीम ने सायला के एक पेट्रोल पंप पर जांच की तो वहां मिली गड़बड़ी, सबसे बड़ी ग्रेनाइट इकाइयों के मानक सिस्टम में गड़बड़ी, ऐसे में जिलेभर में बड़े गड़बड़झाले से नहीं किया जा सकता इनकार

टीम ने सायला के एक पेट्रोल पंप पर जांच की तो वहां मिली गड़बड़ी, सबसे बड़ी ग्रेनाइट इकाइयों के मानक सिस्टम में गड़बड़ी, ऐसे में जिलेभर में बड़े गड़बड़झाले से नहीं किया जा सकता इनकार
जालोर. जालोर जिले में शुक्रवार को विधिक माप विज्ञान विभाग टीम की ओर से की गई कार्रवाई में जालोर में मुख्य रूप से पेट्रोल पंप वितरण प्रणाली में बड़ी गड़बड़ी के हालात सामने आ रहे हैं। इस बात को अप्रत्यक्ष रूप से टीम में शामिल अधिकारियों ने भी स्वीकारा है। शुक्रवार को टीम ने पेट्रोल पंप, ग्रेनाइट इकाइयों में जांच की। इस दौरान टीम सायला क्षेत्र के एक पेट्रोल पंप पर पहुंची और जांच की। यहां जांच में सामने आया कि पेट्रोल पंप के एक नोजल से अनियमित सप्लाई हो रही थी। सीधे तौर पर इसमें से उपभोक्ताओं को कम मात्रा में ईंधन मिल रहा था और इससे संबंधित पेट्रोल पंप संचालक फायदा उठा रहा था। इन हालातों में अधिकारियों ने संबंधित नोजल को बंद कर दिया तथा प्रकरण भी दर्ज किया।
अलर्ट: सुदूर क्षेत्रों में हो सकता है गड़बड़ झाला
विजिलेंस टीम ने एक दिवसीय जांच में एक ही पेट्रोल पंप पर जांच की, जहां गड़बड़ी मिली है। सीधे तौर पर बड़े स्तर पर गड़बडिय़ां सामने आ सकती है। इस बात को अधिकारियों ने भी स्वीकारा है। अक्सर उपभोक्ताओं की यह शिकायत रहती है कि उसने जितनी राशि का ईंधन भरवाया था, उसके अनुपात में गाड़ी ने एवरेज नहीं दिया। कई मौकों पर उपभोक्ता यह चर्चा करते भी दिख जाते हैं कि संबंधित पेट्रोल पंप में गड़बड़ी है। लेकिन आज तक इनकी व्यापक और बड़े स्तर पर जांच पड़ताल नहीं हुई। ये हालात जालोर जिला मुख्यालय से मात्र 35 किमी दूरी पर स्थित पेट्रोल पंप के है तो जिलेभर में हालातों का अनुमान लगाया जा सकता है। यही नहीं केवल सुदूर क्षेत्रों में स्थित पेट्रोल पंप की अधिकारियों की ओर से जांच तक नहीं होती। इधर, इन पेट्रोल पंपों पर गड़बड़ी से इनकार नहीं किया जा सकता। ऐसे में यदि पेट्रोल पंप पर गड़बड़ी है तो दिनभर में लाखों रुपए की चपत उपभोक्ताओं को प्रत्यक्ष रूप से लग ही जाती है।
इकाइयों के मेजरमेंट में गड़बड़ी
इधर विजिलेंस ने शुक्रवार को जिले की दो बड़ी नामचीन ग्रेनाइट इकाइयों पर भी जांच की। जहां पर ग्रेनाइट मापने के संसाधनों में गड़बड़ी मिली। अधिकारियों का सीधे तौर पर कहना था कि ये इंडियन स्टैंडर्ड मानक के अनुरूप संसाधन नहीं थे और व्यापार के मानक ही अमानक थे। जिस पर दो फर्म के विरुद्ध प्रकरण दर्ज किया गया। ऐसे ही एक वे-ब्रिज में भी कमी पाई गई है।
नाम बड़े, काम छोटे
अधिकारियों का कहना है कि दोनों इकाइयों में मानक की अवहेलना हो रही थी। उनका कहना था कि इंटरनेशनल यूनिट के तहत मानक मेट्रिक सिस्टम में ही चलेगा। जिसका तात्पर्य है कि मेजरमेंट मिमी, सेमी, मीटर में चलेगा, फिट में नहीं चलेगा। एक्ट के तहत मेट्रिक सिस्टम और टॉजिक्शन इसी में चलेगा। जबकि ग्रेनाइट इकाइयां फीट में चला रहे थे। इकाइयों को टेप मेजर को भारत सरकार की ओर से उसी वेरिफाई स्टैंडर्ड से चलाना होता है, लेकिन ये मनमर्जी से चला रहे है।
जालोर के लिए बड़ा अलर्ट
इस टीम में जोधपुर और जयपुर के अधिकारी थे, जिन्होंने इस कार्रवाई को अंजाम देते हुए कमियां को उजागर किया है, जो सराहनीय पहल है। मंत्री की ओर से यह निर्देश गड़बड़ी करने वालों के लिए एक कड़ा संदेश जरुर है, लेकिन इन हालातों में यह कमी भी सामने आई है कि जिले में इन सभी संबधित मामलों में विभागीय स्तर पर एक बड़ी टीम के गठन के साथ बड़े स्तर पर पड़ताल की जरुरत है। सीधे तौर पर यह उपभोक्ताओं के साथ छलावा है।
ग्रेनाइट इकाइयों में भी पड़ताल की जरुरत
टीम ने जिले की दो सबसे बड़ी ग्रेनाइट इकाइयों पर ही दबिश देकर कार्रवाई की, जहां कमियां मिली है। जबकि शहर की बात करें तो 1300 से अधिक ग्रेनाइट इकाइयां है। जहां पर भी इस तरह की गड़बड़ी और कमी मिलने की पूरी संभावना और आशंका है। इस बात को स्वयं अधिकारियों ने स्वीकारा है।
विभाग भी रामभरोसे
जालोर जिला लंबा चौड़ा है। यहां विधिक एवं माप तौल विभाग जरुर है, लेकिन पद रिक्त है। वर्तमान में जोधपुर के कार्मिक को अतिरिक्त प्रभार सौंप रखा है, जिस पर लंबा चौड़ा कार्यक्षेत्र है। सीधे तौर पर एक कार्मिक के भरोसे दो जिले या बड़ा क्षेत्र निगरानी में नहीं रह सकता। ऐसे में यहां स्थायी कार्मिक या अधिकारी की नियुक्ति की जरुरत है।
इनका कहना
हमने जालोर जिले में सायला क्षेत्र में एक पेट्रोल पंप पर जांच की तो वहां गड़बड़ी मिली थी। इसके अलावा ग्रेनाइट इकाई की मेजरमेंट इकाई भी मानक नहीं थी। जिले में और भी गड़बडिय़ां हो सकती है।
चंद्रीराम, विजिलेंस टीम, जयपुर
रिपोर्ट: खुशालसिंह भाटी

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