scriptअकीदत से मनाया मातमी पर्व मोहर्रम | Moharram, the mourning festival celebrated with faith | Patrika News

अकीदत से मनाया मातमी पर्व मोहर्रम

locationजालोरPublished: Aug 09, 2022 08:51:50 pm

Submitted by:

Khushal Singh Bati

 
– जिलेभर में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने निकाले ताजिये

   - जिलेभर में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने निकाले ताजिये

– जिलेभर में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने निकाले ताजिये


जालोर. शहर समेत जिलेभर में मंगलवार को मोहर्रम पर्व अकीदत से मनाया गया। इस मौके ताजिये निकाले गए। जिसमें बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग शरीक हुए। कार्यक्रम के दौरान करतबबाजों ने करतब दिखाए। मुख्य कार्यक्रम के दौरान व्यवस्था के लिए जगह जगह पुलिस जाब्ता तैनात रहा।
सांचौर. मोहर्रम पर ताजिये निकाले गए, इस दौरान शहर के चौक पर ताजिया रखा गया। इस दौरान करतब बाजों ने करतब दिखाया। सुरक्षा को लेकर थानाधिकारी प्रवीण कुमार के नेतृत्व में विशेष सुरक्षा के इंतजाम किया गया था।
आहोर. कस्बे में मुस्लिम समुदाय की ओर से मंगलवार को कर्बला में हजरत इमाम हुसैन एवं उनके साथियों की शहादत की याद में मातमी पर्व मोहर्रम अकीदत से मनाया गया। इस मौके पर विभिन्न मार्गों से ताजिया निकाला गया। इमाम हुसैन की याद में मातमी पर्व मोहर्रम को लेकर सवेरे जामा मस्जिद से ताजिया रवाना हुआ। जो पोस्ट ऑफिस की गली के सामने, सदर बाजार, रावला से पुन: सदर बाजार, पुराना बस स्टैण्ड समेत विभिन्न मार्गों से होता हुआ शाम को फिर से जामा मस्जिद पहुंचा। इसके बाद ताजिया को ठंडा करने की रस्म अदा की गई।
बागोड़ा. नया खेड़ा स्थित मदरसा फैजे गोशुलवरा में मंगलवार को मोहर्रम पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। मौलाना मोहम्मद रज़वी ने तकरीर करते हुए कहा कि हमें अहलेबैत और सहाबा से मोहब्बत करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हजऱत इमाम हुसैन ने कर्बला में दीन की वास्ते अपना कुनवा लुटा दिया। उन्होंने ने तकरीर में हजरत इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हुए कहा कि उन्होंने दुनिया में अमन – शांति, इंसानियत के खातिर अपना सर काटना कबूल किए, किंतु झुकना कबूल नहीं किए। इसी तरह क्षेत्र के खोखा, छाजाला, सेवड़ी सहित क्षेत्रभर में शहादतें हुसैन की याद में कार्यक्रम आयोजित हुए।
जीवाणा. उपखण्ड सायला के तेजा की बेरी में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। बीकानेर से आए हाफिज अकबर साहब ने तकरीर करते हुए कहा कि इमामे हुसैन का सारा जीवन इंसनायित की भलाई के लिए गुजरा और जब शहीद हुए तब भी इंसानियत के लिए शहीद हुए। मौलाना समीर अकबरी ने कहा कि दीन और दुनिया दोनों में इमाम हुसैन ने मिशाल कायम की। मौलाना यूसुफ अकबरी ने भी तकरीर की।

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