2005 में बना था साइफन, झाडिय़ां तक नहीं हटाई, अब झाडिय़ों के बीच ही मिला लीकेज
चितलवाना. नर्मदा मुख्य नहर के पानी के लिए भले ही किसानों का इंतजार बढ़ता जा रहा है, लेकिन अधिकारियों की ओर साइफन में दरार आने के बाद नदी में व्यर्थ ही बह रहे पानी की कोई परवाह तक नहीं की जा रही है। सुकड़ी व लुनी नदी के नर्मदा नहर पर बने साइफन में दरार आने के बाद से लेकर पानी नदी में व्यर्थ बह रहा है। फिर भी नर्मदा अधिकारियों की ओर से कई दिनों से नदी में पानी का अधिक बहाव होने के बावजूद मौका मुआयना तक नहीं किया गया। ऐसे में नहर में सप्लाई बंद करवाने के बावजूद साइफन में लीकेज के चलते नदी में पानी बह रहा है। बनने के बाद नहीं देखा साइफन नर्मदा अधिकारियों की ओर से इस साइफन का निर्माण वर्ष 2005 में करवाया गया था। निर्माण के बाद नहर में पानी छोडऩे से लेकर नदी में झाडिय़ां उग गई थी और एक बार भी इन झाडिय़ों की सफाई करवाकर अधिकारियों ने देखने की जहमत नहीं उठाई। ऐसे में कम लीकेज होने के बाद ध्यान नहीं देने से लीकेज धीरे-धीरे बढ़ता गया। झाडिय़ां साफ करवाई तो दिखी दरार नर्मदा मुख्य नहर के साइफन में दरार आने के बाद में लुनी नदी के बाढ़ की तरह से पानी बहने लगा। ग्रामीणों की ओर से दरार की आशंका जताई गई। पत्रिका में समाचार प्रकाशित होने के बाद अधिकारियों ने नदी में झाडिय़ों को हटाकर देखा तो दरार नजर आई। फोन कर दिया मौन नर्मदा मुख्य नहर के साइफन में दरार आने से किसानों की रबी की सीजन में पानी छोडऩे के कम समय रहते हुए जवाब नहीं होने से जिम्मेदारों ने फोन को रिसीव करना ही बंद कर दिया। ऐसे में मुख्य अभियन्ता गिरीश लोढ़ा व एक्सईएन रघुवीरसिंह ने फोन को रिसीव करना बंद कर दिया। इनका कहना… लुनी नदी में झाडिय़ों को साफ करवाकर साइफन की दरार को देखा गया हैं। यह साइफन कई सालों से बनने के बाद से इसकी सुध नहीं ली गई है। साइफन की मरम्मत में समय लगेगा। – राजुराम प्रजापत, सहायक अभियन्ता नर्मदा नहर सांचौर