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मूक प्राणियों की सेवा पर मिला राष्ट्र स्तरीय सम्मान

locationजालोरPublished: Mar 24, 2019 12:58:47 pm

Submitted by:

Jitesh kumar Rawal

धमाणा गांव में हरिणों के रेस्क्यू सेंटर पर पीराराम धायल के आते ही एक आवाज लगाने पर वन्य जीव उनके पास दौड़े चले आते हैं, वे यहां वन्य जीवों के संरक्षण के लिए रेस्क्यू सेंटर चला रहे हैं।

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मूक प्राणियों की सेवा पर मिला राष्ट्र स्तरीय सम्मान

चितलवाना. कहते हैं मूक प्राणियों की सेवा से बढ़कर कोई पुण्य नहीं होता। इनकी सेवा ही व्यक्ति को ऊंचे मुकाम तक पहुंचा सकती है। हम बात कर रहे हैं उपखण्ड के देवड़ा गांव निवाीस पीराराम घायल की। जिन्होंने धमाणा में वन्य जीवों के संरक्षण के लिए रेस्क्यू सेंटर खोलकर उनकी सेवा शुरू की तो कुछ ही समय बाद उन्हें एक के बाद एक राष्ट्र स्तरीय सम्मान मिलना शुरू हो गया। श्री जम्भेश्वर पर्यायवरण एवं जीव रक्षा प्रदेश संस्थान के महामंत्री देवड़ा निवासी घायल धमाणा गांव में वन्यजीवों की रक्षा के लिए सालों से रेस्क्यू सेंटर चला रहे हैं। इस सेंटर में हरिणों की सेवा करने पर दिल्ली में आयोजित राष्ट्र स्तरीय वन्यजीव संरक्षण पुरुस्कार 2019 कार्यक्रम में मुख्य निर्वाचन आयोग के अध्यक्ष सुनील अरोड़ा व पंजाब के गर्वनर वीपी सिंह बिजोना ने उन्हें मोमेंटो व प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। धायल को राष्ट्र स्तरीय सम्मान मिलने पर विश्नोई समाज के लोगों ने खुशी जाहिर की है।

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बढ़ गया लगाव
धमाणा गांव में हरिणों के रेस्क्यू सेंटर पर धायल के आते ही एक आवाज लगाने पर वन्य जीव उनके पास दौड़े चले आते हैं। ऐसे में वन्यजीवों के प्रति उनका प्रेम भी बढ़ता गया। दिनभर में अधिकतर समय वे वन्यजीवों के साथ ही गुजारते हैं। सुबह-शाम हरा चारा भी खुद ही डालते हैं।
चंदा मांगकर करते हैं चारे-पानी की व्यवस्था
कई लोग समाज के मंदिर व धर्मशाला के लिए चंदा मांगते हैं, लेकिन धायल केवल वन्यजीवों की रक्षा और उनकी भूख-प्यास मिटाने के लिए प्रवासियों से चंदा इक_ा करते हैं। इसके बाद चारे-पानी की व्यवस्था हो पाती है।
पहले मिला था ेराष्ट्रपति से सम्मान
वन्यजीवों की रक्षा के लिए धायल की ओर से चलाए जा रहे रेस्क्यू सेंटर को लेकर उन्हें 27 अक्टूम्बर 2018 को राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित समारोह में राष्ट्रपति की ओर से सम्मानित किया गया था।
ऐसे मिली जीवन में प्रेरणा
देवड़ा निवासी घायल बताते हैं कि सीआपीएफ की नौखरी से सेवानिवृत्ति के बाद एक दिन उन्होंने एक महिला को घायल हरिण के इलाज के लिए इधर से उधर भटकते हुए देखा। जिसके बाद उनके मन में जीवों के प्रति दया की भावना जागृत हुई। उन्होंने उस घायल हरिण का इलाज करवाया और इसके बाद आए दिन वे घायल वन्य जीवों का इलाज करवाते रहे। उपचार की जगह धीरे-धीरे बड़े रेस्क्यू सेंटर में बदल गई। यहां अब सैकड़ों हरिण पल रहे हैं।
इनका कहना…
वन्य जीवों की सेवा के बढ़कर जीवन में ओर कोई बड़ी खुशी नहीं हैं। वन्यजीवों की सेवा का फल मुझे राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान के तौर पर मिल रहा है।
पीराराम धायल, महामंत्री, श्रीजम्मेश्वर पर्यायवरण एवं जीव रक्षा प्रदेश संस्थान
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