इनके लिए नियम कायदे कुछ नहीं, इस तरह खुले में डाल रहे मेडिकल वेस्ट
जालोरPublished: Jan 08, 2019 11:01:05 am
निजी व सरकारी अस्पतालों ने नियमों को ताक पर रखा, नहीं हो रहा मेडिकल बायोवेस्ट का निस्तारण
इनके लिए नियम कायदे कुछ नहीं, इस तरह खुले में डाल रहे मेडिकल वेस्ट
जोगेश लोहार
आहोर. कस्बे के साथ साथ क्षेत्र के सरकारी व निजी अस्पताल मेडिकल वेस्ट को सड़क व मैदान पर ही फेंक रहे हैं। नियमानुसार अस्पतालों से निकलने वाले मेडिकल वेस्ट को नष्ट कराया जाना चाहिए, लेकिन अस्पतालों से निकलने वाला मेडिकल वेस्ट कई दिनों तक सड़कों पर ही सड़ता है।
उपखंड मुख्यालय पर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के पीछे तथा निजी अस्पतालों के आस-पास खुले में पड़ा मेडिकल वेस्ट जोखिम भरा है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग गंभीरता नहीं दिखा रहा। अस्पतालों में इंजेक्शन, सीरिंज, ग्लूकोज की बोतल, दस्ताने सहित अन्य सामग्री मेडिकल वेस्ट के रूप में निकल रही है। अस्पताल इस वेस्ट को नष्ट करने के बजाय आस पास ही खुले में डाल रहे हैं।दस्तानों और पट्टियों पर लगे खून को जानवर चाटते हैं, जिससेसंक्रमण फैलने का अंदेशा बना हुआ है।
नहीं की जाती कार्रवाई
खुले में पड़े मेडिकल वेस्ट से दुर्गंध और यहां पनपने वाले संक्रामक जीवों से स्वस्थ व्यक्ति भी बीमारियों का शिकार हो जाता है। ऐसे में उसे तुरंत उपचार की जरूरत पड़ती है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा खुले में फैके जा रहे मेडिकल वेस्ट को लेकर अस्पताल प्रबंधनों पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। जिसका ही फायदा अस्पताल बखूबी उठा रहे हैं।
खतरनाक हैमेडिकल वेस्ट
खुले में पड़े मेडिकल वेस्ट काफी खतरनाक होता है। यह वेस्ट संक्रामक बीमारियां फैलाते हैं। जिसका असर लोगों के फैफड़ों पर पड़ता है। मेडिकल वेस्ट के संपर्क में आने से संक्रामक जीवाणु लोगों के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं और स्वस्थ व्यक्ति भी गंभीर बीमारी का शिकार हो जाता है। ऐसे में मरीजों को लंबे समय तक उपचार कराना पड़ता है।
नियमों की पालना नहीं
कस्बे समेत क्षेत्र में कई निजी अस्पताल और नर्र्सिग होम हैं। जो खुलेआम एनजीटी के नियमों को दरकिनार कर खुले में मेडिकल वेस्ट फैक रहे हैं। जिससे गंभीर बीमारी का खतरा बना रहता है। कस्बे में कई स्थानों पर संचालित अस्पताल, नर्सिंग होम, क्लीनिक, पैथोलॉजी लेब आदि से निकलने वाले मेडिकल वेस्ट को आस पास के खुले स्थानों में फेंकरहे हंै।
… तो रजिस्ट्रेशन हो सकता है रद्द
भारत सरकार ने बायोमेडिकल अपशिष्ट (प्रबंधन और हैंडलिंग) नियम 1998 पारित किया है, जो सभी पर लागू होता है। जो बायो मेडिकल कचरे को एकत्र करने, उत्पन्न करने, प्राप्त करने में, ट्रांसपोर्ट, डिस्पोज करते हैं या उनसे सम्बंधित डील करते हैं। यह नियम अस्पताल, नर्सिंग होम, क्लीनिक, डिस्पेंसरी, पशु संस्थान, पैथोलोजिकल लैब और ब्लड बैंक पर भी लागू होता है। ऐसे संस्थानों के लिए बायो मेडिकल वेस्ट, मेडिकल कचरे को ट्रीट करने के लिए अपने संस्थानों में मशीनें व आधुनिक उपकरण में लगाने ही होंगे। उनके पास निराकरण के लिए उचित व्यवस्था का सर्टिफिकेट होना आवश्यक है। सर्टिफिकेट नहीं मिलने पर हॉस्पिटल का रजिस्ट्रेशन रदद हो सकता है।
पाबंद करेंगे…
अस्पताल प्रशासन की ओर से मेडिकल वेस्ट को खुले में डालना गलत है। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र समेत कस्बे समेत क्षेत्र के चिकित्सा संस्थाओं को मेडिकल वेस्ट के निस्तारण को लेकर सख्त पाबंद किया जाएगा।
– डॉ. आरएस भारती, बीसीएमओ, आहोर