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18 लाख श्रद्धालुओं की सुरक्षा पर नजरअंदाजी पड़ रही भारी

locationजालोरPublished: Sep 12, 2018 10:46:09 am

Submitted by:

Khushal Singh Bati

– अध्यक्ष का कहना कि कितने पहुंचते हैं श्रद्धालु दर्शन को उन्हें जानकारी नहीं, सवाल अहम जानकारी नहीं तो लाखों की संख्या में पहुंचने वाले इन यात्रियों की सुविधा के प्रबंध बिना संख्या के किस आधार पर

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– अध्यक्ष का कहना कि कितने पहुंचते हैं श्रद्धालु दर्शन को उन्हें जानकारी नहीं, सवाल अहम जानकारी नहीं तो लाखों की संख्या में पहुंचने वाले इन यात्रियों की सुविधा के प्रबंध बिना संख्या के किस आधार पर

ट्रस्ट के हालात…


जालोर. आपको जानकर ताज्जुब जरुर होगा कि सुंधा माता पर दर्शन के लिए पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की औसत संख्या के बारे में यहां के ट्रस्ट के पदाधिकारियों को जानकारी तक नहीं है। यह मामला इसलिए अहम है क्योंकि पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की संभावित संख्या के आधार पर ही ट्रस्ट की ओर से इन श्रद्धालुओं के लिए व्यवस्था की जाती है। रविवार को हुए हादसे के बाद यह जानना जरुरी हो जाता है कि ट्रस्ट के पास यहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं के लिए आपात हालात में सुरक्षा के लिए क्या इंतजाम है। इसके लिए यह भी जरुरी हो जाता है कि यहां मासिक और सालाना कितने श्रद्धालु पहुंचते हैं। मंदिर में दर्शन को पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की मासिक और सालाना औसत संख्या के बारे में ट्रस्ट अध्यक्ष ने अनभिज्ञता जाहिर की है। संख्या के बारे में केवल वे यही कह सके कि संख्या अधिक होती है, लेकिन कितनी या लगभग कितनी होती है यह वे नहीं बता पाए।
2 लाख प्रतिमाह औसत
हालांकि ट्रस्ट अध्यक्ष ने यहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की औसत मासिक और वार्षिक संख्या के बारे में जानकारी होने से इनकार किया है, लेकिन एक अनुमान के अनुसार यहां हर माह औसत 2 लाख श्रद्धालु दर्शनों के लिए पहुंचते हैं, जिसमें गुजरात मुख्य होते हैं। नवरात्र और दीपावली के पास यह आंकड़ा इससे अधिक होता है। ऐसे में अनुमान लगाया जा सकता है कि सालाना सुंधा माता दर्शन के लिए 18 से 20 लाख श्रद्धालु पहुंचते हैं। ऐसे में यह सवाल भी अहम है कि इन श्रद्धालुओं की सुरक्षा के क्या इंतजाम ट्रस्ट या पुलिस प्रशासन की ओर से किए गए हैं।
ये बड़ी कमियां, जिन पर ध्यान देना जरुरी
– तीन साल पूर्व आगजनी की बड़ी घटना हो चुकी है, इसलिए यहां आग पर काबू पाने या बुझाने के लिए पुख्ता प्रबंध हो।
– सुंधा माता क्षेत्र पहाड़ी वाला चढ़ाई का क्षेत्र हैं, ऐसे में आपात हालात में यहां से मरीजों को जसवंतपुरा या भीनमाल ही भेजना पड़ता है इसलिए एंबुलेंस की स्थायी व्यवस्था हो
– पैदल चलने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए पहाड़ की सतह के आस पास जहां संभव हो सके वहां दीवार का निर्माण किया जाए
– श्रद्धालुओं की संख्या अधिक होती है, जिनमें पैदल राहगीर अधिक है, इसलिए टीन शैड लगाए जाएं ताकि पत्थर या अन्य घातक वस्तुएं सीधे तौर पर नीचे नहीं गिर पाएं
गैर जिम्मेदार प्रशासन भी
मामले में प्रशासन की लापरवाही भी साफ नजर आती है। जब वर्ष 2015 में ही यहां हादसे के दौरान कमियां उजागर हो गई थी तो प्रशासन ने इन खामियों को सुधारने के लिए कोई प्रबंध क्यों नहीं किए। जबकि प्रशासन इस मामले में हस्तक्षेप करके इन कमियों को सुधारने के लिए ट्रस्ट को निर्देशित कर सकता था। या अपने स्तर पर भी सुरक्षा इंतजामों के लिए कोई कार्य किए जा सकते थे।
जानकारी नहीं कितने श्रद्धालु आते हैं
धार्मिक स्थल है कितने श्रद्धालु आते हैं। इसका अंदाजा तो हमें नहीं है। यह जरुर है कि श्रद्धालु नवरात्र व शनिवार और रविवार को भी अधिक पहुंचते हैं।
शंभूसिंह पूरण, अध्यक्ष, सुंधा माता ट्रस्ट
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