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निर्माण इजाजत की पत्रावली में ही हेराफेरी कर बदल दी सेट बैक की जगह

locationजालोरPublished: Feb 22, 2020 10:51:01 am

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निर्माण इजाजत की पत्रावली में ही हेराफेरी कर बदल दी सेट बैक की जगह

निर्माण इजाजत की पत्रावली में ही हेराफेरी कर बदल दी सेट बैक की जगह

जालोर. नगरपरिषद की ओर से एक भवन मालिक को निर्माण इजाजत देने के नाम पर इस तरह फर्जीवाड़ा किया गया है कि आवेदक की ओर से पेश किए गए मूल दस्तावेजों में ही हेराफेरी कर पार्किंग की जगह तक बद दी गई। भवन मालिक को इसकी भनक तब लगी, जब किसी ने अवैध निर्माण को लेकर नगरपरिषद में उसकी शिकायत की। इसके बाद भवन मालिक ने दस्तावेजों में हेराफेरी कर उसे झूठा फंसाने का आरोप लगाते हुए तत्कालीन आयुक्त शिकेश कांकरिया के खिलाफ गत 11 फरवरी को मामला दर्ज कराया है। शिवाजी नगर निवासी भवन मालिक कांतिलाल पुत्र लालचंद भण्डारी ने इस रिपोर्ट में बताया कि उसने नगरपरिषद से विधिवत इजाजत लेकर वन वे रोड पर एक भवन बनाया था। जिसके बाद नगरपरिषद से आवासीय से वाणिज्यिक भू-उपयोग परिवर्तन कराया गया। भवन के लिए 14 जनवरी 2015 को जारी निर्माण आज्ञा पत्र की नक्शा कॉपी में ७.६ फीट गुणा १५.१ फीट सेटबैक दर्शाया गया था, लेकिन कुछ ही समय पहले उसे दी गईनक्शे की प्रमाणित प्रतिलिपि बिल्कुल अलग है। मूल व प्रमाणित दोनों नक्शे की प्रतियों में अलग-अलग सेट बैक दर्शाए हुए हैं। इस तरह मूल दस्तावेजों में हेराफेरी कर उसे झूठा फंसाने की साजिश रची गई।
शिकायत हुई तो सामने आई हकीकत
गौरतलब है कि नगरपरिषद की पूर्व उपसभापति मंजू सोलंकी ने वन वे रोड स्थित इस भवन में अवैध कनेक्शन को लेकर डिस्कॉम में शिकायत की थी। जिसके बाद भवन मालिक ने आरटीआई के तहत नगरपरिषद से इजाजत की नक्शा कॉपी मांगी, लेकिन तय समय सीमा में उसे यह कॉपी नहीं मिली। काफी चक्कर काटने के बाद उसे जब यह कॉपी दी गई तो पूर्व में जारी व वर्तमान में दी गईप्रमाणित प्रति दोनों एक-दूसरे से अलग थी। इस तरह अधिकारियों की ओर से किया गया फर्जीवाड़ा सामने आया।
साइन व मोहर में भी फर्जीवाड़ा
भवन मालिक ने पुलिस में दर्ज कराई एफआईआर में बताया कि दोनों नक्शों में सेट बैक की जगह अलग-अलग दर्शायी गई है। वहीं कुछ समय पूर्व दी गईप्रमाणित प्रति में कमिश्नर के हस्ताक्षर व मोहर, जेईएन की मोहर, पत्रावली संख्या वाली मोहर और सेट बैक की जगह पर संक्षिप्त हस्ताक्षर (इनीशियल सिग्नेचर) भी नहीं है।
और भी ऐसे कई मामले
नगरपरिषद क्षेत्र में निर्माण इजाजत, फर्जी पट्टे व एनओसी जारी करने के मामले में डीडीआर जोधपुर से हुई जांच के बाद एक-एक कर मामले सामने आ रहे हैं। वहीं जांच रिपोर्ट में तत्कालीन आयुक्त को दोषी मानते हुए डीएलबी ने उनके खिलाफ नियम 17 सीसीए के तहत कार्यवाही के निर्देश भी जारी किए हैं। ऐसे में गौर करने लायक बात यह है कि इन मामलों की शिकायत के बाद फर्जीवाड़े सामने आए हैं, जबकि और भी फर्जीवाड़े के ऐसे कई मामले हैं जो नगरपरिषद की फाइलों में दबे पड़े हैं। बीते पांच साल का रिकॉर्ड खंगाला जाए तो ऐसे डेढ़ सौ से ज्याद मामले सामने आ सकते हैं। हालांकि पिछले बोर्ड के पार्षद, विधायक व सांसद भी इसकी शिकायत डीएलबी में कर चुके हैं, लेकिन अब तक इस मुद्दे पर अमल नहीं हो पाया है।
इनका कहना…
नगरपरिषद के तत्कालीन आयुक्त कांकरिया व संबंधित कार्मिकों की ओर से मिथ्या दस्तावेज तैयार कर पत्रावली में लगाए गए हैं। इससे मुझे नुकसान पहुंचाने के साथ ख्याति की अपहानि करने का प्रयास किया गया है जो दण्डनीय अपराध है। ऐसे में पुलिस में तत्कालीन आयुक्त कांकरिया के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाकर कार्रवाई की मांग की गईहै।
– कांतिलाल भण्डारी, भवन मालिक

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