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मरीज खा गए सवा दो करोड़ की दर्द निवारक गोलियां

locationजालोरPublished: May 14, 2017 11:49:00 am

Submitted by:

pradeep beedawat

जालोर. दर्दनिवारक दवाएं कोई भी हों, शरीर के लिए घातक है। बीते पांच साल के आंकड़े टटोले तो सामने आया कि सरकारी अस्पताल में ही सवा दो करोड़ की दर्दनिवारक बीते पांच साल में खा गए।

जालोर. दर्दनिवारक दवाएं कोई भी हों, शरीर के लिए घातक है। बीते पांच साल के आंकड़े टटोले तो सामने आया कि सरकारी अस्पताल में ही सवा दो करोड़ की दर्दनिवारक बीते पांच साल में खा गए। निजी अस्पतालों में तो हालात और भी बुरे हैं। वहीं बिना सलाह दर्दनिवारक लेकर खाने वालों की तादाद भी खासी है। ऐसे में यह आंकड़ा चौंकाता है और इशारा करता है कि जिले की सेहत दर्दनिवारक दवाओं के भरोसे हो रही है, जो आगे चलकर बड़ा नुकसान पहुंचा सकती है।
यहां मुख्यमंत्री निशुल्क दवा वितरण योजना के तहत फिलहाल सरकारी अस्पतालों में 300 से ज्यादा निशुल्क दवाओं का वितरण किया जा रहा है, लेकिन इनमें से जिले में खपत होने वाली 5 तरह की पेनकिलर का आंकड़ा हर साला लाखों पार कर रहा है। पिछले पांच साल यानी वर्ष 2012-13 से 2016-17 तक बाजार कीमत के अनुसार जिले में 2 करोड़ 29 लाख 33 हजार 550 रुपए की पेनकिलर सप्लाई की गई। इनमें आइबोप्रोफेन एंड पैरासिटामॉल, डाइक्लोफिनिक एंड पैरासिटामॉल, ट्रेमाडॉल और आइबोप्रोफेन (200व 400 एमजी) टेबलेट शामिल है। वहीं गौर करने लायक बात यह है कि यह सिर्फ सरकारी अस्पतालों का आंकड़ा है, जिनमें डॉक्टर की प्रिस्क्रिप्शन के बाद यह दवा मरीजों को दी जाती है, जबकि जिले भर के निजी क्लीनिक में बिना प्रिस्क्रिप्शन मिलने वाली दवाएं ‘ओवर द काउंटर ड्रग्स’ (ओटीसी) इससे कई गुना ज्यादा है। ऐसे में सरकारी अस्पतालों में पेनकिलर का यह आंकड़ा साफ तौर पर बयां कर रहा है कि जिले में रोजाना काफी मात्रा में पेनकिलर दवाओं का उपयोग किया जा रहा है जो आमजन के स्वास्थ्य के लिए घातक है। एक मेडिकल विक्रेता नाम नहीं छापने की शर्त पर बताते हैं कि कई लोग उनसे दर्दनिवारक वैसे ही ले जाते हैं।
8 रुपए तक है बाजार में कीमत
जिले के सरकारी अस्पतालों में मरीजों को निशुल्क योजना के तहत दी जाने वाली पेनकिलर की बाजार में 1 से 8 रुपए तक की रेट है। ऐसे में हर साल जिले में करोड़ों रुपए की पेन किलर टेबलेट मरीजों को निशुल्क उपलब्ध हो रही हैं। जबकि बाजार में आइबोप्रोफेन एंड पैरासिटामॉल, डाइक्लोफिनिक गेस्ट्रो (प्लेन), आइबोप्रोफेन (200 व 400 एमजी) व डाइक्लोफिनिक एंड पैरासिटामॉल प्रति टेबलेट 1 रुपए की रेट तय है, जबकि ट्रेमाडॉल टेबलेट 5 से 8 रुपए में बेची जा रही है।
एक्सपर्ट व्यू
ज्यादा पेनकिलर पहुंचाती है नुकसान
जालोर निवासी फिजीशियन डॉ. दिलीप जैन के अनुसार अमूमन बदन दर्द, सिर दर्द और पेट दर्द समेत अन्य तकलीफ होने पर रोगी पेनकिलर का उपयोग करता है। दर्द से तुरंत राहत पाने के लिए बिना प्रिस्क्रिप्शन मिलने वाली दवाएं ‘ओवर द काउंटर ड्रग्स’ (ओटीसी) कहलाती हैं। जिनकी हल्की सी डोज से हमें आराम तो मिल जाता है, लेकिन इनका अधिक सेवन करने से लीवर, किडनी और पेट समेत अन्य बीमारी भी हो सकती हैं। ऐसे में जहां तक हों इसका कम उपयोग करना चाहिए।

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