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पुलिस नहीं तोड़ पा रही तस्करों का नेटवर्क, माल पकड़ कर थपथपा रहे पीठ

locationजालोरPublished: Jul 29, 2019 02:09:00 pm

Submitted by:

Jitesh kumar Rawal

www.patrika.com/rajasthan.news

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पुलिस नहीं तोड़ पा रही तस्करों का नेटवर्क, माल पकड़ कर थपथपा रहे पीठ

बॉर्डर से सटे गांवों में पनप रहा शराब तस्करों का नेटवर्क , पकडऩे की न ठोस रणनीति और न ही पुख्ता कार्रवाई


जालोर. हरियाणवी शराब बाड़मेर के रास्ते जालोर तक दस्तक दे रही है, लेकिन जांच एजेंसियां शिथिलता बरत रही है। मादक पदार्थों के तस्कर इनको आए दिन छका रहे हैं, लेकिन तस्करों की नकेल कसने के लिए न तो ठोस रणनीति बन रही है और न ही पुख्ता कार्रवाई। गुजरात में शराबबंदी के कारण माल की आपूर्ति राजस्थान के रास्ते होती है और बॉर्डर से सटा जिला होने के कारण जालोर शराब तस्करों का गढ़ बना हुआ है। सीमा क्षेत्र के गांवों में पूरा नेटवर्क पनप रहा है, लेकिन नेटवर्क को तोडऩा तो दूर पुलिस इन तक पहुंच ही नहीं रही। ऐसे में माल लेकर आने वाले वाहन पकड़ कर ही पुलिस अपनी पीठ थपथपा रही है। यह भी दिलचस्प ही है कि कभी-कभार की कार्रवाई में तस्करी का माल पुलिस के हाथ जरूर लग जाता है, लेकिन तस्कर अधिकतर मामलों में फरार हो जाते हैं। माना जा रहा है कि गुजरात बॉर्डर से सटे इलाकों में दोनों तरफ तस्करों का पूरा नेटवर्क है, जो शराब की खेप गुजरात तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं।

सीमा पर एजेंटों का जबरदस्त नेटवर्क
शराब की खेप पार करवाने के लिए सीमा से सटे गांवों में तस्कर सक्रिय है। बताया जा रहा है कि जालोर के रानीवाड़ा व सांचौर क्षेत्र में तस्करों के कई ठिकाने हैं। यहीं स्थिति सीमा क्षेत्र के दूसरी तरफ भी है। दोनों ओर जबरदस्त नेटवर्क है। इधर के एजेंट शराब भरे वाहनों को गुजरात सीमा में प्रवेश करवाने का काम करते हैं। गुजरात में प्रवेश के बाद माल ठिकाने तक पहुंचाना वहां के एजेंट की जिम्मेदारी रहती है।

कुछ इस तरह पहुंचाते हैं माल
शराबबंदी के बावजूद गुजरात के लिए भारी मात्रा में शराब आपूर्ति हो रही है। इसमें से लगभग पूरा माल राजस्थान के रास्ते गुजरात जाता है। अक्सर माल से भरे ट्रक व ट्रोलर सीधे निकल जाते हैं, लेकिन आसपास के क्षेत्र में रोकदाब होने पर तस्कर इन वाहनों को नजदीकी गांवों या खेतों में खड़ा करवाते हैं। रास्ता क्लीयर हो जाए तो ठीक, अन्यथा आसपास बनाए डम्पिंग यार्ड में माल खाली कर छोटे वाहनों से आपूर्ति करते हैं।
जालोर-सिरोही या उदयपुर-डूंगरपुर
अन्य राज्यों में बिक्री के लिए निर्मित शराब की खेप गुजरात तक पहुंचाई जा रही है। इसके लिए राजस्थान का रास्ता ही मुफीद है। इसमें भी जालोर-सिरोही के रास्ते खासतौर से पसंदीदा बने हुए हैं। कई बार रास्ता क्लीयर नहीं मिलने पर तस्कर उदयपुर या डूंगरपुर के रास्ते का उपयोग भी करते हैं। हाल ही में इन जिलों में इस तरह के मामले पकड़ में आए हैं जिसमें शराब की खेप गुजरात जा रही थी।

… फिर आसान है गुजरात तक पहुंचना
अन्य राज्यों की शराब को गुजरात पहुंचाने के लिए जालोर जिले के सांचौर व रानीवाड़ा क्षेत्र कुख्यात है। इन क्षेत्रों के कई गांव गुजरात से सीधे तौर पर कनेक्ट है तथा गंवई मार्ग से अवैध खेप को सरलता से गुजरात तक पहुंचाया जा सकता है। जांच एजेंसियों की ढिलाई में इन गांवों तक माल पहुंचने के बाद तस्करों का काम और आसान हो जाता है।

जांच कर रहे हैं…
मादक पदार्थों की तस्करी के मामलों में जांच कर रहे हैं। शराब की खेप जहां से लाई गई थी वहां के लिए टीम भेजी है।
– हिम्मत अभिलाष, एसपी, जालोर

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