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गुजरात में नर्मदा कैनाल पर मरम्मत, जालोर करेगा पानी की मशक्कत

locationजालोरPublished: Mar 26, 2019 12:48:39 pm

Submitted by:

Jitesh kumar Rawal

गुजरात में नर्मदा कैनाल की मरम्मत के कारण नहर परियोजना में क्लोजर लिया गया है। इससे टेल तक पानी नहीं पहुंच पा रहा। इससे शहर समेत आसपास के कई गांवों में करीब पंद्रह दिनों तक जलापूर्ति बाधित रहे जाने का अनुमान है

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गुजरात में नर्मदा कैनाल पर मरम्मत, जालोर करेगा पानी की मशक्कत

जालोर. करीब पंद्रह दिन तक जालोर समेत आसपास के कई गांव पानी की कमी झेलते रहेंगे। हालांकि पानी पाने की मशक्कत अभी से शुरू हो चुकी है, लेकिन एकत्र पानी भी एक-दो दिन में खत्म हो जाएगा। इसके बाद परम्परागत स्रोतों से ही जलापूर्ति हो सकेगी, जिससे खासी समस्या झेलनी पड़ सकती है। इन क्षेत्रों को नर्मदा नहर परियोजना से जलापूर्ति हो रही है, लेकिन पिछले कुछ दिनों से गुजरात में नर्मदा कैनाल की मरम्मत की जा रही है। इस कारण नहर परियोजना में क्लोजर लिया गया है। इससे टेल तक पानी नहीं पहुंच पा रहा। इससे नर्मदा नहर परियोजना से पानी लेने वाले गांवों में जलसंकट बन रहा है। शहर समेत आसपास के कई गांवों में करीब पंद्रह दिनों तक जलापूर्ति बाधित रहे जाने का अनुमान है।
दे चुके हैं क्लोजर की सूचना
बताया जा रहा है कि गुजरात में नर्मदा कैनाल की मरम्मत को लेकर जालोर को सूचना दी गई थी। इसके तहत गत २१ मार्च से ५ अप्रेल तक क्लोजर लेना बताया गया।इस अवधि में नहर में पानी नहीं छोड़ा जाएगा। ऐसे में सम्बंधित क्षेत्रों में जलापूर्ति बाधित रहेगी तथा इससे जुड़े जालोर समेत आसपास के गांवों को पानी नहीं मिलेगा।
एकांतरे नहीं मिल पाएगा पानी
नर्मदा नहर परियोजना, सांचौर की ओर से क्लोजर के कारण शहर की सभी पेयजल आपूर्ति एवं जल योजना तीखी-पहाड़पुरा, भंवरानी-रायथल से जुड़े गांवों में होने वाली जलापूर्ति पंद्रह दिन तक आंशिक रूप से प्रभावित रहेगी। अभी तक एकांतरे होने वाली जलापूर्ति के समय में भी बदलाव हो सकता है।
पांच दिन तो गुजार ही दिए
हालांकि क्लोजर की सूचना के बावजूद जलदाय विभाग ने अपनी ओर से प्रयास जारी रखे।इसके तहत विभाग ने परम्परागत जलस्रोतों एवं नर्मदा के एकत्र पानी से जलापूर्ति सुचारू रखी। इससे क्लोजर के पांच दिन तक भी लोगों को आसानी से पानी मिलता रहा, लेकिन अब एकत्र पानी भी खत्म हो रहा है। जिससे वैकल्पिक प्रयास काम नहीं आएंगे तथा आगामी दिनों में परम्परागत जलस्रोतों से ही आपूर्ति हो पाएगी।
विकसित नहीं हो रहे परम्परागत जलस्रोत
शहरी जलापूर्ति ले-देकर नर्मदा से आने वाले पानी पर ही निर्भर रहती है। गड़बड़ी के कारण आपूर्ति जब कई दिनों तक बंद रहती है तो लोगों को भारी जलसंकट झेलना पड़ता है। परम्परागत जलस्रोतों पर भी हमेशा ही निर्भरता रहती है, लेकिन इन स्रोतों को विकसित करने या सुचारू रखने की दिशा में ठोस काम नहीं किया जा रहा। इन जलस्रोतों की याद भी विभाग को तभी आती है, जब नर्मदा में क्लोजर आता है या नहर से पानी मिलना बंद हो जाता है।
समस्या यहां भी पर डिग्गियों से राहत
वैसे गुजरात में नर्मदा कैनाल में मरम्मत के कारण जालोर जिले को मिलने वाला पूरा पानी एक तरह से बंद ही है, लेकिन भीनमाल व सांचौर के क्षेत्र में इस क्लोजर से ज्यादा समस्या आने का अंदेशा नहीं है। बताया जा रहा है कि इन क्षेत्रों के लिए होने वाली जलापूर्ति के लिए डिग्गियां बनी हुई है, जिससे नहर में क्लोजर होने पर भी डिग्गियों के सहारे कुछ दिनों तक इन क्षेत्रों में जलाापूर्ति को सुचारू रख सकते है। ऐसे में इन क्षेत्रों के लिए क्लोजर होने पर भी जलापूर्ति पर ज्यादा असर नहीं पड़ता। जबकि, जालोर शहर और आसपास का क्षेत्र टेल पर आश्रित है। इस क्षेत्र के लिए तेतरोल से पानी आता है और टेल पर होने से नहर में क्लोजर होते ही ज्यादा दिनों तक राहत नहीं मिल पाती।
बाधित रहेगी जलापूर्ति…
नर्मदा कैनाल में मरम्मत को लेकर सूचना आई है। इसके तहत 21 मार्च से 5 अप्रेल तक नहर में क्लोजर रखा गया है, लेकिन एकत्र पानी से हमने शहर व आसपास के गांवों में आपूर्ति सुचारू रखी। आगामी दिनों में आंशिक रूप से आपूर्ति बाधित रहेगी।
जितेंद्र त्रिवेदी, सहायक अभियंता, जलदाय विभाग, जालोर
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