jalore::: http://bit.ly/2Z2eyBL ::: पार्किंग स्थल पर सक्रिय चोरों ने की वाहनों में तोडफ़ोड़
यहां तो कैमरे लगाए ही नहीं
बताया जा रहा है कि पिछले भाग में संचालित टीबी क्लीनिक, नेत्र चिकित्सालय, पीएमओ कार्यालय, एआरटी सेंटर आदि कैमरों की जद में नहीं है। ऐसे में इन दफ्तरों के बाहर रखे जाने वाले वाहन असुरक्षित ही है। इस तरह की वारदातों के बाद सरकारी सामान भी सुरक्षित नहीं माना जा सकता। यह दीगर बात है कि जिन जगहों पर कैमरे लगे हैं वहां भी समुचित ढंग से निगरानी नहीं हो पा रही है।
यहां तो कैमरे लगाए ही नहीं
बताया जा रहा है कि पिछले भाग में संचालित टीबी क्लीनिक, नेत्र चिकित्सालय, पीएमओ कार्यालय, एआरटी सेंटर आदि कैमरों की जद में नहीं है। ऐसे में इन दफ्तरों के बाहर रखे जाने वाले वाहन असुरक्षित ही है। इस तरह की वारदातों के बाद सरकारी सामान भी सुरक्षित नहीं माना जा सकता। यह दीगर बात है कि जिन जगहों पर कैमरे लगे हैं वहां भी समुचित ढंग से निगरानी नहीं हो पा रही है।
नर्सिंग सेंटर ट्यूटर की थी बाइक
जानकारी के अनुसार चोरी गई बाइक परिसर में संचालित नर्सिंग सेंटर में कार्यरत कार्मिक की थी। चार दिन पहले ड्यूटी पर आए इस कार्मिक ने टीबी क्लीनिक परिसर में बाइक रखी थी, लेकिन वापस आने तक चोरी हो चुकी थी। बताया जा रहा है कि बाइक चोरी को लेकर उसने पुलिस में रिपोर्ट दी है, लेकिन अभी तक कोई पता नहीं चला।
कार्यालय में बंद रहती है कमांड
अक्सर हो रही चोरी व तोड़-फोड़ की वारदातों के बावजूद अस्पताल प्रशासन की ओर से निगरानी के ठोस प्रबंध नहीं किए जा रहे। यहां तक कि इन कैमरे को देखने की फुर्सत नहीं है। बताया जा रहा है कि कैमरों की कमांडिंग पीएमओ कार्यालय में ही है तथा उनके आए बगैर नहीं देख सकते। अस्पताल के उप नियंत्रण के पास इनका पासवर्ड तक नहीं है। वे बताते हैं कि पीएमओ से पासवर्क लेकर कैमरों की जांच करेंगे, लेकिन कब करेंगे यह नहीं बताया।
धुंधलाई नजरों से नहीं होती निगरानी
देखा जाए तो जिला अस्पताल में निगरानी करने वाली नजरें मोतियाबिंद की चपेट में हैं। इन धुंधलाई नजरों से अस्पताल की निगरानी नहीं हो पा रही है। इनकी न तो मरम्मत करवाई जा रही है और न नए लगा रहे हैं। ऐसे में अस्पताल की सुरक्षा भगवान भरोसे ही है। अस्पताल परिसर में चोरी व तोड़-फोड़ की घटनाओं के बावजूद निगरानी के ठोस प्रबंध नहीं है। कैमरों की इस बदहाली के कारण शरारती तत्वों को फायदा मिल रहा है। उधर, अस्पताल प्रशासन इन घटनाओं से सबक लेना तो दूर मूकदर्शक ही बना हुआ है।
पासवर्ड लेकर देखेंगे…
कैमरों की जांच करनी थी, लेकिन आज मैं बाहर था। पीएमओ से पासवर्क लेकर कैमरों की रिकॉर्डिंग देखेंगे।
– डॉ. रमेश चौहान, उप नियंत्रक, जिला अस्पताल, जालोर