परिवहन विभाग की लाचारी, जान पर भारी पड़ रही ऑटो की सवारी
सांचौर. शहर में रात के समय घूमने वाले ऑटो रिक्शा बिना नंबर के होने से इनमें सवारी करना लोगों के लिए जोखिम भरा साबित हो सकता है। इसे परिवहन विभाग की उदासीनता कहें या यातायात पुलिस की लाचारी ऑटो रिक्शा चालकों के प्रति उदासीनता विभाग को सवालों के घेरे में खड़ा कर रहा है। गौरतलब है कि शहर में रात के समय चलने वाले अधिकांश ऑटो रिक्शा पर नंबर तक नहीं होते। इसके बावूद यातायात पुलिस इस मामले में गम्भीर नजर नहीं आ रही है। वहीं दूसरी ओर शहर में रात के समय घूमने वाले ये ऑटो चालक यातायात नियमों की भी खुले आम धज्जियां उड़ा रहे हैं। शहरी व ग्रामीण क्षेत्र में दौडऩे वाले अधिकांश ऑटो चालकों के पास ड्राइविंग लाइसेंस तक नहीं है। वहीं अधिकांश ऑटो ऐसे भी है जो बिना कागजों के ही सचांलित किए जा जा रहे हैं। शहर के चार रास्ता व मुख्य चौराहों पर रात में खड़े रहने वाले अधिकांश रिक्शा के नंबर तक नहीं होते हैं, जो शहर की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन सकते हैं। और तो और शहरी क्षेत्र में चलने वाले ऑटोरिक्शा व टैक्सी संचालक लोगों से मनमाना किराया भी वसूल रहे हैं। जिसकी शिकायत परिवहन विभाग व पुलिस प्रशासन को करने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। अस्पताल या अन्य आवश्यक जगह पर जाने की मजबूरी में यात्री भी रिक्शा चालकों को मनमाना किराया देने रहे हैं। इसके बावजूद प्रशासन व परिवहन विभाग कोई ठोस कार्यवाही अमल नहीं ला रहा है। सीएलजी बैठक में उठता है मुद्दा शहर सहित क्षेत्र में रिक्शा चालकों की ओर से मनमाना किराया वसूलने का मुद्दा सीएलजी की बैठक में भी उठाया जाता रहा है। परिवहन विभाग के अधिकारियों के सीएलजी की बैठकों में नहीं आने से हर बार यह मुद्दा धरा का धरा ही रह जाता है। ऐसे में परिवहन विभाग की भूमिका के अभाव में पुलिस भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर पाती है। जिसकी वजह से क्षेत्र के लोगों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है। यात्रियों की मजबूरी, इनकी मोनोपॉली शहर में रात के समय यात्रियों की सुविधा के लिए खड़े रहने वाले ऑटो रिक्शा चालक सुरक्षा के साथ-साथ यात्रियों की जेब भी काट रहे हैं। रात के समय यात्रियों की मजबूरी रिक्शा चालकों की मोनोपॉली बन गई है। इन पर नियंत्रण नहीं होने से शहर में दौडऩे वाले ऑटो किराए के नाम पर लोगों से मुंहमांगा किराया वसूलते हैं। नगर में किसी भी जगह जाने के लिए किराया निर्धारित नहीं है। दूरी चाहे आधा किमी हो या इससे ज्यादा रात में ५० रुपए से कम किराया लिया ही नहीं जाता। जिससे यात्रियों को परेशानी हो रही है। यात्रियों ने बताया कि शहर मेंं दूरी के हिसाब किराया नहीं लिया जाता। वहीं रात में आधा किमी जाने के लिए भी ऑटो रिक्शा चालक १०0 से १५० सौ रुपए वसूलते हैं। ना ड्रेस कोड, ना कागजात नगर में संचालित ऑटो रिक्शा चालकों का ना तो कोई ड्रेस कोड है और ना ही कोई कागजात। वहीं अधिकांश ऑटो तो ऐसे हैं जिनके आगे-पीछे नंबर तक लिखे हुए नहीं है। फिर भी यातायात पुलिस इसे गंभीरता से नहीं ले रही है। ऐसे में रात के समय बाहर से आने वाले यात्रियों खासकर महिला यात्रियों के साथ अनहोनी से इनकार नहीं किया जा सकता। इसकी जानकारी पुलिस प्रशासन को होने के बावजूद कोई सख्ती नहीं बरती जा रही है। इनका कहना… हम लोग जब गुजरात से कभी-कभार रात के समय आते हैं तो रिक्शा चालक मनमाना किराया वसूलते हैं। महिलाएं साथ होने की वजह से हमारी मजबूरी का वे लोग नाजायज फायदा उठाते हैं और अधिक किराया वसूली पर अड़ जाते हैं। अधिकांश रिक्शा के नंबर तक नहीं होते हैं। ऐसे में उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। – रमेश कुमार व महेन्द्र, शहरवासी, सांचौर
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