सांचौर पालिका में अविश्वास प्रस्ताव की लड़ाई सड़क पर, जानें आखिर कौन बनेगा
अध्यक्ष
जालोरPublished: Dec 07, 2017 11:32:04 am
असन्तुष्ट हुए भूमिगत, गरमाया राजनीतिक माहौल
Sanchor Municipality matter
सांचौर. नगरपालिका बोर्ड के खिलाफ भाजपा पार्षदों की ओर से कांग्रेस के पांच पार्षदों के सहयोग से लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के बाद भाजपा की अंदरूनी राजनीति गरमा गई है। भाजपा के असन्तुष्ट 14 पार्षद अपने पक्ष में 20 पार्षद होने का दावा करते हुए अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में वोट डालने पर अड़े हुए हैं। वहीं दूसरी ओर बोर्ड के खिलाफ भाजपा पार्षदों की ओर से विद्रोह कर अविश्वास प्रस्ताव लाने के मामले को लेकर पार्टी नेताओं में भी खींचतान शुरू होने से घमासान मचा हुआ है।
पार्टी का एक धड़ा जहां इस मामले को लेकर जिले के बड़े नेता के इशारे पर अविश्वास प्रस्ताव लाने का आरोप लगा रहे हैं। वहीं कांग्रेस के छह पार्षदों में से एक पार्षद की ओर से अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में मतदान नहीं करने को लेकर कांग्रेस पार्षदों में भी बिखराव के संकेत दिखाई दे रहे हैं। पार्षदों की ओर से गत 4 दिसम्बर को कलक्टर के समक्ष गोपनीय तौर पर २० पार्षदों का हस्ताक्षरयुक्त प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया था। ऐसे में इससे असन्तुष्ट भाजपा पार्षद भूमिगत हो गए हैं। वहीं भाजपा पार्षदों के साथ पांच कांग्रेस पार्षद भी अज्ञातवास को चले गए हैं। पालिका बोर्ड के खिलाफ आए अविश्वास प्रस्ताव का मामला कलक्टर के पास चले जाने के बाद मतदान का दिन व स्थान तय होने का इंतजार है। जिसको लेकर असंतुष्ट धड़ा भी रणनीति बनाने में जुटा हुआ है। भाजपा के असंतुष्ट पार्षदों का नेतृत्व क रहे पूर्व पालिकाध्यक्ष व पार्षद सांवलचंद संघवी व निर्दलीय पार्षद हरीश त्रिवेदी पार्षदों की बाड़ेबंदी में जुटे हुए हैं। वहीं उन्हें भाजपा के कुछ नेताओं का भी संरक्षण मिला हुआ है।
नए अध्यक्ष को लेकर भी खींचतान
नगरपालिका बोर्ड में अनुसूचित जाति महिला की सीट होने की वजह से असन्तुष्ट खेमे में तीन एससी महिला पार्षद हैं। वहीं कांग्रेस पार्षदों में कोई भी एसी महिला पार्षद नहीं होने से पार्षद ऋचाकुमारी मेघवाल, नीता कुमारी व दीपिका जीनगर अध्यक्ष की दावेदार हैं। अध्यक्ष को लेकर पार्षदों की आपसी सहमति नहीं होने से खींचतान शुरू हो गई है। इसको लेकर विरोधी गुट भी दो भागों में बंटा नजर आ रहा है। इसमें एक गुट दीपिका जीनगर के लिए तो दूसरा ऋचा व नीता कुमारी की दावेदारी की मांग पर अड़ा हुआ है।
सक्रिय हैं विरोधी धड़े के नेता
भाजपा पार्षदों की ओर से अपने ही बोर्ड के खिलाफ विद्रोह कर लेने के बाद स्थानीय भाजपा दो धड़ों में बंटी नजर आ रही है। जिसकी लड़ाई अब सड़क पर आ गई है। एक गुट जहां पूर्व विधायक जीवाराम चौधरी के समर्थन में खड़ा है तो दूसरा सांसद देवजी पटेल के समर्थन में। जिसकी बदौलत भाजपा की अंदरूनी लड़ाई अब चरम पर है। भाजपा का एक धड़ा जहां वर्तमान बोर्ड को बचाने में लगा है, वहीं दूसरा गिराने में जुटा हुआ है। ढाई साल के कार्यकाल के बाद हो रही उठापटक का खामियाजा शहर को भुगतना पड़ेगा।
भाजपा की आपसी लड़ाई से कांग्रेस उंहापोह में
पालिका बोर्ड के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को लेकर जहां भाजपा में गुटबाजी हो रही है, वहीं कांग्रेसी खेमे में नेता प्रतिपक्ष सहित चार पार्षद असमंजस की स्थिति में हैं। कांग्रेस के पास एससी महिला पार्षद नहीं होने से पार्टी नेता उहापौह की स्थिति में है। इसको लेकर विधायक सुखराम बिश्नोई भी खुलकर बताने से परहेज कर रहे हैं। वहीं पालिका अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आने के बाद भी दोनों पदों पर असन्तुष्ट भाजपा पार्षद अध्यक्ष व उपाध्यक्ष पद पर अपना दावा पेश कर रहा है। जबकि इस बात को कांग्रेस पार्षद पचाने में असहजता महसूस कर रहे हैं। ऐसे हालातों में कांग्रेसी पार्षदों की भूमिका भाजपा के खेल को बिगाड़ सकती है।
2001 में आया था पहला अविश्वास प्रस्ताव
गौरतलब है कि सांचौर नगरपालिका में पालिकाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का यह दूसरा मामला है। इससे पूर्व ६ अक्टूबर 2001 को तत्कालीन पालिकाध्यक्ष रमेश मेहता के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था। जिसमें 20 पार्षदों वाले बोर्ड में १६ पार्षदों के समर्थन से अविश्वास प्रस्ताव पारित होने से मेहता को कुर्सी छोडऩी पड़ी थी। इसके बाद पालिका उपाध्यक्ष बाबूलाल भाट को अध्यक्ष बनाया गया।