scriptराशन के लिए तीन नदियों को पार कर तय करते है सात किलोमीटर का सफर | Seven kilometers journey by crossing three rivers for ration | Patrika News

राशन के लिए तीन नदियों को पार कर तय करते है सात किलोमीटर का सफर

locationजालोरPublished: Aug 17, 2017 04:27:00 pm

चितलवाना (जालोर). राशन सामग्री के जुगाड़ के लिए सात किमी के सफर में तीन नदियों के बहाव क्षेत्र को पार करना इन लोगों की मजबूरी बनी हुईहै।

chitalwana village photo
राशन के लिए तीन नदियों को पार कर तय करते है सात किलोमीटर का सफर
जेताराम विश्नोई. चितलवाना (जालोर). राशन सामग्री के जुगाड़ के लिए सात किमी के सफर में तीन नदियों के बहाव क्षेत्र को पार करना इन लोगों की मजबूरी बनी हुईहै। पेट की आग को बुझाने के लिए ये लोग जान जोखिम में डालकर पिछले कई दिन से ऐसा कदम उठा रहे हैं। बुधवार को कुछ ऐसा ही मंजर देश की सीमा से सटे आकोडिय़ा गांव में नजर आया। पहली बार इस गांव में आई बाढ़ के बाद राहत सामग्री के डेढ़ सौ पैकेट लेकर जैसे ही दानदाताओं का वाहन पहुंचा तो सूचना पाकर मौके पर करीब एक हजार लोग उमड़ पड़े।
रणखार में राहत सामग्री के साथ दानदाताओं का वाहन पहुंचा, लेकिन सामग्री कम होने से कई लोगों को खाली हाथ लौटना पड़ा। आकोडिय़ा गांव में अतिवृष्टि से खेतों व घरों में पानी भर गया और आस-पास के सारे रास्ते अभी भी बंद पड़े हैं। 20 दिन बाद समाजसेवी संस्था यहां पहली बार आटे के पैकेट लेकर पहुंचे तो सूचना मिलते ही पूरा गांव तीन नदियों के बहाव क्षेत्र को पार कर सात किमी पैदल रणखार पहुंच गया। इस दौरान राहत सामग्री के वाहन के चारों ओर लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी, लेकिन 150 पैकेट लेने के लिए करीब एक हजार लोग मौके पर पहुंच गए। इस पर लोगों से समझाइश कर पैकेट बांटे गए और अन्य लोगों को मच्छरदानी देकर वापस भेजा गया।
कंगाली में आटा गीला
आकोडिय़ा गांव के ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति पहले से ही दयनीय है। बबूल की झाडिय़ों से कोयला बनाकर यहां के लोग इसे बेचने के बाद जो कुछ मिलता उससे गुजारा चला रहे थे। मगर अब बाढ़ का पानी आने के बाद खेतों में पानी भर जाने से यह काम भी बंद हो गया। जिससे उनकी भूखों मरने की नौबत आ गई है।
पहली बार पहुंची सहायता
खेजडिय़ाजी पंचायत के अंतिम छोर पर आकोडिय़ा गांव में नदी का पानी आने के बाद से सारे रास्ते बंद हो चुके हैं। ऐसे में बुधवार को यहां पहली बार समाजसेवी पहुंचे और ग्रामीणों को राशन का सामान उपलब्ध कराया गया। इस दौरान वंदे शाशनम व गुरु राजेन्द्र संस्थान के रमेश बोहरा, कल्पेश सालेचा, हरीश परमार व विनोद वानिगोता की ओर से 150 आटे के पैकेट व एक हजार मच्छरदानियां बांटी गई। इस मौके बीडीओ रमेश शर्मा व चुन्नीलाल पुरोहित भी साथ थे।
स्थिति देख भर आई आंखें
आकोडिय़ा गांव में खाने के पैकेट लेकर पहुंचे दानदाताओं ने सीमा पर ऐसी स्थिति देखी तो उनकी आंखें भर आईं।
एक हजार की तादाद में लोगों की भीड़ को देख एक बार जैसे तैसे कर उन्होंने पैकेट बांटकर समझाइश की और बचे हुए लोगों को दुबारा राहत सामग्री लेकर आने का आश्वासन देते हुए मच्छरदानी बांटकर लौटाया। खाने के पैकेट देख भीड़ में शामिल कई लोग बिलखने लगे।
इनकी जुबानी
म्हारे अठे तो बाढ़ आवण रे पछे कोई कोनी आया। पहली बार ए लोग गांव रा लोगों ने सामान दे रया है।
– अंजुदेवी कोली, गृहणी, आकोडिय़ा
बाढ़ रे पाणी सूं म्हारा घर और खेत डूब गया। पण हमें म्हानें म्हारे और टाबरियां रे जीव री चिंता पड़ी है। कोई सहायता नी कर रया है।
– खातुम, गृहणी, आकोडिय़ा
हमने पहली बार गांव में ऐसी स्थिति देखी है। यहां के लोगों को पिछले कई दिन से खाना नसीब नहीं हुआ है। लोग वास्तव में भूख से बिलख रहे थे। हमारे पास जो कुछ भी था फिलहाल उसे देकर सहायता की है। गांव में एक बार फिर से मदद के लिए जाएंगे।
– रमेश बोहरा, दानदाता, भीनमाल
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