जालोर

भीड़भाड़ वाले एरिया में पशुओं का जमावड़ा, लोग हो रहे चोटिल

– कस्बे के कुछ युवाओं की ओर से बेसहारा पशुओं से हो रहे हादसों को रोकने के लिए पशुओं के सींगों पर किया जा रहा रेडियम पेंट

जालोरSep 22, 2019 / 11:01 am

Khushal Singh Bati

– कस्बे के कुछ युवाओं की ओर से बेसहारा पशुओं से हो रहे हादसों को रोकने के लिए पशुओं के सींगों पर किया जा रहा रेडियम पेंट

आहोर. जैसा कि कस्बे में पिछले लंबे समय बेसहारा पशुओं का आतंक बना हुआ है। जिससे हर कोई त्रस्त है। इधर-उधर आवारा घूम रहे इन बेसहारा पशुओं की वजह से आए दिन छोटे-बड़े हादसे घटित हो रहे है। हादसों में कई लोग चोटिल हो चुके है वहीं कुछेक तो अपनी जान भी गंवा चुके है। इसके बावजूद ग्राम पंचायत प्रशासन द्वारा इसे गंभीरता से लेते इस समस्या का स्थायी निराकरण नहीं किया जा रहा है। लेकिन कस्बे के कुछ युवाओं ने शनिवार को इस पीड़ा को महसूस किया तथा बेसहारा पशुओं की वजह से सड़कों पर आए दिन हो रहे हादसों पर अंकुश लगाने के लिए एक पहल की। जिसके तहत बेसहारा पशुओं की सींगों पर रेडियम पेंट करने के कार्य का शुभारंभ किया गया। रेडियम पेंट से रात्रि के अंधेरे में भी सींग जगमगाने से बेसहारा पशु नजर आएंगे। जिससे काफी हद तक हादसों पर अंकुश लग सकेगा। बेसहारा पशुओं की चपेट में आने से हो रहे हादसों पर अंकुश लगाने के लिए आहोर केमिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष हितेश ओझा, कुमारपाल वैष्णव, दिलावरखान, ईश्वरसिंह सिसोदिया ने एक पहल करते हुए बेसहारा पशुओं के सींगों पर रेडियम पेंट करने के कार्य का शुभारंभ किया। जिसके तहत करीब २७ पशुओं के सींगों पर रेडियम पेंट किया गया। यह कार्य लगातार जारी रहेगा।
नहीं हो पा रहा स्थाई समाधान
कस्बे में पिछले लंबे समय से व्याप्त बेसहारा पशुओं की समस्या का स्थाई समाधान नहीं हो पा रहा है। कस्बे में जगह-जगह आवारा घूम रहे इन बेसहारा पशुओं को कोई स्थाई ठिकाना नहीं मिल पा रहा है। ग्राम पंचायत द्वारा ना तो इन बेसहारा पशुओं को फाटक में डाला जा रहा है और ना ही इन्हें गौशालाओं में भेजा रहा है। ताकि इनकी समस्या का स्थाई निराकरण हो सके। इधर, ये बेसहारा पशु आमजन के लिए आफत बने हुए है। इधर, बेसहारा पशुओं की पिछले लंबे समय से भयंकर समस्या होने के बावजूद उपखंड मुख्यालय पर कांजी हाऊस का भी अभी तक अभाव बना हुआ है।
ग्राम पंचायत ने किया था चिन्हीकरण
कस्बे में पिछले लंबे समय से बेसहारा पशुओं के आतंक से कस्बेवासियों को निजात दिलाने को लेकर गत महीनों ग्राम पंचायत प्रशासन की ओर से बेसहारा पशुओं को स्थाई आश्रय देने का अभियान छेड़ा गया था। इस अभियान के तहत बेसहारा पशुओं का चिन्हीकरण भी किया गया था। लेकिन अभी तक इन बेसहारा पशुओं को कोई सहारा एवं स्थाई ठिकाना नसीब नहीं हो पाया है।
हो रहे हादसे
कस्बे में इन बेसहारा पशुओं की वजह से पूर्व में कई लोग चोटिल हो चुके है। वहीं कुछेक को अपनी जान से भी हाथ धोना पड़ा। गत दिनों क्षेत्र के बादनवाड़ी में एक सांड ने वृद्ध को हमला कर गंभीर रूप से घायल कर दिया। इसके बाद उनकी मौत हो गई वहीं कस्बे में भी एक युवक की मौत भी हो चुकी है। ये बेसहारा पशु दिनभर भीड़भाड़ वाली जगह तथा मोहल्लों में घूमते रहते है तथा अचानक ये आपस में लडऩा शुरू कर देते है। ऐसे में ये बेसहारा पशु आस-पास से गुजर रहे लोगों को अपनी चपेट में ले लेते है। जहां ये आवारा पशु लोगों की जान के लिए आफत बने हुए है वहीं ग्राम पंचायत द्वारा इन पर नकेल नहीं कसी जा रही है।
गोशाला में भी सांडों को नहीं लिया जाता
आवारा पशुओं में विशेषकर सांडों की भयंकर समस्या बनीं हुई है। सांडों का आतंक अधिकतर रहता है। आवारा सांड आपस में कभी लडऩा शुरू कर देते है वहीं सड़क मार्गों पर बीचों बीच बैठे रहते है। इसके अलावा ये अचानक हमला कर देते है। इसके बावजूद आवारा सांडों को गौशालाओं में भी नहीं लिया जाता है। दूधारू गायों को तो गौशाला में जमा कर दिया जाता है लेकिन सांडों को लेने से इनकार किया जाता है। ऐसे में कस्बे समेत क्षेत्र में सांडों का भयंकर आतंक बना हुआ है। क्षेत्र के गांवों में कही पर भी बेसहारा पशुओं के आसरे के लिए कांजी हाऊस नहीं है। उपखंड मुख्यालय पर भी कांजी हाऊस का पिछले लंबे समय से अभाव बना हुआ है। यहां पशुओं की फाटक भी बदहाल स्थिति में है। यहां बेसहारा पशुओं का नहीं रखा जाता है।
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