हवा के साथ छलक रहा जवाई , अधिकारी मान रहे हाईअलर्ट, लेकिन कर रहे मनमानी
फैक्ट फाइल 61.10 फीट है अभी जवाई बांध में भराव 61.25 फीट ही जवाई बांध का कुल भराव ६००० क्यूसेक पानी छोड़ रहे बांध से अधिकारियों की लापरवाही पड़ सकती ह
The air is leavened with air, the officer is high alert, but the arbitrarily doing
जालोर. जवाई बांध के पानी पर अधिकारियों की मनमानी जिलेवासियों के लिए भारी पड़ सकती है। जवाई बांध का गेज वर्तमान में 61.10 फीट पर है और अभी उसमें आवक बरकरार है। बांध में जितना पानी है। उसको लेकर अधिकारी स्वयं मान रहे हैं कि हाई अलर्ट है और दिनभर बांध की स्थिति पर नजर रखी जा रही है। लेकिन इसके गेज को कम करने का नाम नहीं ले रहे हैं। इधर, जवाई बांध के कैचमेंट एरिया में शुक्रवार शाम को अच्छी बारिश के बाद देर रात को 6 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया। इसके बाद भी बांध में पानी लबालब होने से अब यह पानी हवा के साथ गेटों के ऊपर से छलक रहा है। इस बात को लेकर जब विभागीय अधिकारियों को अवगत करवाया गया तेा उन्होंने स्वयं माना कि स्थिति विकट है, लेकिन बांध के इस गेज को मेंटेंन रखने को लेकर अधिकारियों ने निर्णय लिया है। इसलिए इससे अधिक पानी नहीं छोड़ा जा रहा है। जब अधिकारी को बताया गया कि इस स्थिति में यदि बारिश होती है तो गंभीर हालात बन सकते हैं तो अधिकारी ने इसकी स्वीकारोक्ति की, लेकिन यह भी कहा यदि अधिक बारिश होती है तो पानी भी अधिक छोड़ दिया जाएगा। यह बात समझ से परे है कि अभी आवक जारी है और पानी का गेज 61 फीट से अधिक है तो 1 फीट पानी का गेज अभी से ही बंद क्यों नहीं कर दिया जाता, जबकि हवा के साथ पानी छलक रहा है और इस स्थिति में बांध को भी नुकसान की संभावना है।
4 बार बने ये हालात
विभागीय सूत्रों की मानें तो अधिकारियों अब तक 4 बार ये हालात बने हैं, जब जवाई बांध में भराव क्षमता तक पानी आने के बाद भी पानी नहीं छोडऩे से गंभीर हालात बने। सबसे पहले 1973 में बांध निर्माण के बाद अचानक पानी की आवक होने पर पहली बार गेट खोलने के प्रयास हुए, लेकिन गेट खुला ही नहीं, जिसके बाद गेट के ऊपर से पानी छलका, जिसके बाद ग्रामीणों ने हिम्मत के बल पर बड़ी मशक्कत के बाद गेट खोला, जिससे जालोर का बड़ा हिस्सा बाढ़ की चपेट में आया। इस साल २ लाख क्यूसेक पानी जवाई नदी में बहाव हुआ था, जो सर्वाधिक है। इसी तरह 1990 में भी गेट के ऊपर से पानी का बहाव होने के बाद ही पानी छोड़ा गया। इस साल 1 लाख क्यूसेक से अधिक पानी का बहाव हुआ। 2006 में भी अधिकारियों की हठधर्मिता भारी पड़ी और इसी तरह बांध फिर से छलका। इस साल जवाई बांध के एक गेट को आंशिक नुकसान भी पहुंचा, जिसकी इन्क्वायरी हुई, लेकिन वह ठंडे बस्तें में चली गई। इस साल 80 हजार क्यूसेक पानी का नदी में बहाव हुआ। यही हालात इस साल भी हो रहे हैं, लेकि अधिकारी मनमर्जी से बांध में पानी को रोके हुए हैं, जो जालोर की जनता को सीधे तौर पर नुकसान पहुंचा सकता है।
अधिकारी समझ ही नहीं पाते क्या बन सकते है हालात
सूत्रों की मानें तो जवाई बांध में पानी की आवक का आकलन अभी तक कोई भी अधिकारी सही तरीके से नहीं लगा पाया है, नतीजा यह रहा है कि अधिकतर मौकों पर बांध में अचानक पानी का भराव हो गया, जिसके बाद बांध छलकने के बाद छोड़े गए अधिक पानी से बाढ़ के हालात हुए। अधिकारियों की मानें तो जवाई बांध का कैचमेंट एरिया बांध के काफी नजदीक है, जिससे बांध में पानी की आवक अचानक हो जाती है। जिसका अंदाजा लगा पाना अधिकारियों के बूते के बाहर की बात है।
इनका कहना
जवाई बांध को लेकर हाई अलर्ट है। हवा के साथ पानी छलक रहा है। लेकिन निर्णय लिया गया है कि गेज 61.10 पर मेंटेन रखा जाए। यदि आवक अधिक होती है तो फिर से अधिक पानी छोड़ा जा सकता है।
– रंजन कंसारा, एक्सईएन, जवाई बांध, सुमेरपुर खंड…२