scriptजिस नाम से स्कूल संचालित, उस नाम की गांव में ढाणी ही नहीं | There is no dhani in the village of the name in which the school | Patrika News

जिस नाम से स्कूल संचालित, उस नाम की गांव में ढाणी ही नहीं

locationजालोरPublished: Aug 14, 2019 10:42:07 am

https://www.patrika.com/rajasthan-news/

jalore

malaji ki dhani school

नैनसिंह राजपुरोहित @ जालोर. जिले के हरमू गांव के किसान ने दूरस्थ ढाणियों और बेरों पर रहने वाले शिक्षा से वंचित बच्चों का दर्द देखा तो उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए अपने खेत की भूमि दान कर दी। सरकार ने वहां स्कूल भी बना दी। वहां पन्द्रह साल से स्कूल सुचारू संचालित हो रही है। लेकिन स्कूल के नाम को लेकर भूमि दानदाता के दिल में आज भी दर्द है। जिस नाम से इस स्कूल का संचालन हो रहा है। उस नाम की न तो वहां पर कोई ढाणी है और ना ही उस नाम के व्यक्ति का स्कूल में कोई योगदान।ऐसे में गत कई साल से दानदाता स्कूल के नामकरण को लेकर सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगा रहा है, लेकिन लम्बी कागजी प्रक्रिया की उलझन के चलते स्कूल का नाम परिवर्तित नहीं हो पा रहा है।
गौरतलब है कि सायला क्षेत्र में हरमू गांव में 2004 में दानदाता प्रतापाराम चौधरी ने विद्यालय के निर्माण के लिए अपनी जमीन दान दी थी, ताकि उनकी ढाणी व आसपास की ढाणियों में रहने वाले बच्चों को अपने निवास के निकट ही स्कूली शिक्षा नसीब हो सके।यहां सरकार ने स्कूल स्वीकृत कर 2008 में विद्यालय भवन का उद्घाटन भी करवा दिया। स्कूल का नामकरण राजकीय प्राथमिक विद्यालय मालाजी की ढाणी किया गया।अब यहां आठवीं तक स्कूल संचालित हो रहा है। लेकिन जहां स्कूल संचालित हो रही है, उस क्षेत्र व पूरे गांव में मालाजी की ढाणी नाम का कोई स्थान ही नहीं है। जमीन दानदाता प्रतापाराम अपनी ढाणी के नाम से विद्यालय के नामकरण की मांग कर रहे है। उन्होंने पूर्व में कई बार मुख्यमंत्री समेत प्रशासनिक अधिकारियों को भी अवगत करवाया, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला। फिलहाल इस विद्यालय भवन में बारिश के समय छत से पानी टपकता है। बिजली की व्यवस्था भी नहीं है। वहीं विद्यालय के चारदीवारी का भी अभाव है।
जनसुनवाई में भी बताई थी समस्या
गत दिनों सर्किट हाउस में मुख्यमंत्री की जनसुनवाई के दौरान भी प्रतापाराम व ढाणी के लोगों ने स्कूल के नाम परिवर्तन को लेकर उन्हें ज्ञापन दिया था।लेकिन अभी तक उस प्रकरण में कोई कार्यवाही नहीं हुई।
भूमि दान की
मैने विद्यालय निर्माण के लिए जमीन दी थी। विद्यालय हमारी ढाणी में था, इसलिए इसका नामकरण प्रतापाराम की ढाणी के नाम से होना चाहिए था।लेकिन शिक्षा विभाग के अधिकारियों की गफलत के चलते इसका नाम राप्रावि मालाजी की ढाणी कर दिया। अब स्कूल आठवीं तक क्रमोन्नत भी हो गया।जबकि पूरे गांव में इस नाम की कोई ढाणी नहीं है। हम प्रशासन से विद्यालय का नाम राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय प्रतापाराम की ढाणी रखने की मांग करते है।
-प्रतापाराम चौधरी, भूमि दानदाता हरमू
दूरस्थ ढाणियों के बच्चों के स्कूल भवन बनाने के लिए दानदाता ने अपने खेत में जमीन दान की है। ऐसे में स्कूल का नाम भी दानदाता की ढाणी के नाम से होना चाहिए।
-उमाराम चौधरी, हरमू
सरकारी रिकार्ड में स्कूल का नाम प्रतापाराम की ढाणी की बजाय मालाजी ढाणी दर्ज हो गया है। हकीकत में जहां पर यह स्कूल संचालित हो रही है। वो प्रतापाराम की ढाणी ही है। पंचायत में मालाजी की ढाणी नाम की कोई जगह नहीं है। मुझे विद्यालय का नाम परिवर्तन की पूरी प्रक्रिया के बारे में जानकारी नहीं है। अगर प्रशासन सहयोग करे तो विद्यालय का नाम परिवर्तित हो सकता है।
-पदमाराम, सरपंच, तिलोड़ा
विद्यालय भवन का 2008 में उद्घाटन हुआ था। रिकार्ड में नाम राउप्रावि मालाजी की ढाणी है। लेकिन जहां विद्यालय स्थित है, वो प्रतापाराम की ढाणी है। यहां मालाजी की ढाणी नाम की जगह नहीं है। जिस ढाणी में विद्यालय स्थित है, उसी नाम से नामकरण हो तो लोगों को विद्यालय की लोकेशन भी आसानी से पता चल सकेगी।
-रामदयाल, संस्था प्रधान, राउप्रावि मालाजी की ढाणी
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो