एक नवजात बच्चा जब पैदा होता है तो उसमें दो तरह के जींस पाए जाते हैं एक मां से और एक पिता से। दोनों जींस मिलकर बच्चे के नैन नक्श और व्यक्तित्व तय करते हैं। व्यक्तित्व के साथ कुछ बच्चों को जन्म के साथ आनुवंशिक रोग भी मिलते हैं।
आनुवंशिक विकार जन्म के समय या बाद में उपस्थित हो सकते हैं। वे एक अंग या एकाधिक अंग प्रणालियों को प्रभावित कर सकते हैं। आमतौर पर आनुवंशिक परीक्षण निम्नलिखित मरीज़ करवा सकते है।
– एक ही परिवार में कई प्रभावित सदस्य
– बीमारी की शुरूआत की प्रारंभिक उम्र दौरे के साथ नवजात शिशु
– वैवाहिक विवाह जोड़े जिनके परिवारों में ऐसे मरीज़ हैं
डॉ. वैभव भंडारी ने बताया कि राजस्थान में किसी भी सरकारी अस्पताल में यह जांच नहीं होती है। इस एक टेस्ट का मूल्य 15 से 20 हज़ार होता है। अधिक मूल्य एवं सरकारी स्तर पर नही होने के कारण मरीज़ जाँच तक नही करवा पाते है। अधिकांश मरीज़ कभी यह भी नहीं जान पाते की वह किस बीमारी से पीडि़त हैं। फ़ाउंडेशन द्वारा इस संबंध में ऑनलाइन पंजीकरण किए गये थे। जिसमें फ़ाउंडेशन द्वारा मरीज़ों के रहने एवं खाने की व्यवस्था की जा रही है। पाली, जालोर, सिरोही के मरीज़ 4 अप्रैल तक पंजीयन के लिए सम्पर्क 7230002627 कर सकते है।
शिविर के आयोजन को लेकर मितेश मेहता, विनीत मेहता, मुकेश नाहर, परेश बाफऩा, वैभव सोनी, खुशहाल जैन, तन्मय जैन, अल्ताफ़ हूसेन, लिनेश जालोरी, अंकित मरलेचा, आशीष बलोटा, जयेश लोढ़ा, मोंटू डागा, दीपक परिहार, दीपक सोनी आदि सदस्य तेयरी में लगे हुए है।