नेहड़...यहां बदतर हालात जाणीपुरा, आरवा, भींचरो की ढाणी, सिपाहियों की ढाणी, सुराचन्द, खोखरियामठ, तखतगढ़, मालासर मठ, खेजडिय़ाली, भलाइयां, आकोडिय़ा, रिडक़ी, कुकडिया, जोराधर, सूंथड़ी, विशनपुरा, सुजानपुरा, पांवटा, टापी, निम्बज, माधोपुर, दूठवा, डूंगरी, चिमड़ा, जालबेरी, कागोड़ा, वङसल बेरी, पीथाबेरी, खामराई, सायर कोसिटा, सेसावा, अगङावा, कुंडकी, मेघावा, हालीवाव, केरिया, विरावा, लालपुरा, पारदरड़ी, कोलियों की ढाणी, होथीगांव समेत अन्य गांवों में पेयजल संकट की स्थिति है और ग्रामीण अशुद्ध पानी पीने को मजबूर है।
मजबूरी...गंदा पानी पीने की
ग्रामीण मोबताराम कोली का कहना है कि पेयजल संकट की स्थिति में कच्ची बेरियों से पानी पीने की मजबूरी है। टैंकरों से पानी मंगवाना काफी महंगा है। 1200 से 1500 रुपए तक टैंकर के लिए जा रहे हैं। ग्रामीण धीमाराम का कहना है कि मवेशियों के लिए पानी का प्रबंधन भी एक चुनौती है।
वितरिकाएं...अतीत बनी
ग्रामीण मोबताराम कोली का कहना है कि पेयजल संकट की स्थिति में कच्ची बेरियों से पानी पीने की मजबूरी है। टैंकरों से पानी मंगवाना काफी महंगा है। 1200 से 1500 रुपए तक टैंकर के लिए जा रहे हैं। ग्रामीण धीमाराम का कहना है कि मवेशियों के लिए पानी का प्रबंधन भी एक चुनौती है।
वितरिकाएं...अतीत बनी
नेहड़ के प्रभावित गांवों तक नर्मदा परियोजना से पानी पहुंचाने का प्रस्ताव बनने के बाद अधिकतर गांवों तक वितरिकाएं भी बनी। कुकडिय़ा क्षेत्र की बात करें तो वितरिकाएं मिट्टी से अटी होने के साथ साथ इन पर झाडिय़ां तक उग आई है।
टंकियां बिखरी, सप्लाई बाधित जीएलआर में पानी आपूर्ति नहीं हो रही है। वहीं पुराने जीएलआर बिखर चुके हैं और सरिये तक निकल चुके हैं। कई जीएलआर में पानी की आपूर्ति लंबे समय तक नहीं होने से यह बिखरे हैं।
वर्तमान में पेयजल संकट की स्थिति है। गांवों और ढाणियों को चिह्नित किया जा रहा है। जल परिवहन कर प्रभावित गांव कस्बों तक पानी पहुंचाया जाएगा। - गंगाराम पारंगी, सहायक अभियंता, जलदाय विभाग, सांचौर