इस तरह से होना है काम
इस प्रोजेक्ट के तहत तीन भाग में काम होना है। जिसमें समदड़ी-भीलड़ी के बीच 60 किमी, जालोर भीनमाल के बीच 70 और भीनमाल-रानीवाड़ा-भीलड़ी के बीच करीब 100 किमी रेल लाइन का विद्युतीकरण किया जाएगा।
इस प्रोजेक्ट के तहत तीन भाग में काम होना है। जिसमें समदड़ी-भीलड़ी के बीच 60 किमी, जालोर भीनमाल के बीच 70 और भीनमाल-रानीवाड़ा-भीलड़ी के बीच करीब 100 किमी रेल लाइन का विद्युतीकरण किया जाएगा।
ये है प्रोजेक्ट की तय डेड लाइन
- समदड़ी से जालोर 31 अक्टूबर 2022
- भीनमाल-रानीवाड़ा-भीलड़ी तक 31 दिसंबर 2022
- जालोर से भीनमाल 31 मार्च 2023 दो एफओबी की ऊंचाई भी बढ़ेगी
इस प्रोजेक्ट के तहत भीनमाल और जालोर में बने फुट ओवरब्रिज के ऊपरी हिस्से को तोड़ा जाएगा। वहीं इनकी ऊंचाई भी बढ़ाई जाएगी।
- समदड़ी से जालोर 31 अक्टूबर 2022
- भीनमाल-रानीवाड़ा-भीलड़ी तक 31 दिसंबर 2022
- जालोर से भीनमाल 31 मार्च 2023 दो एफओबी की ऊंचाई भी बढ़ेगी
इस प्रोजेक्ट के तहत भीनमाल और जालोर में बने फुट ओवरब्रिज के ऊपरी हिस्से को तोड़ा जाएगा। वहीं इनकी ऊंचाई भी बढ़ाई जाएगी।
बागरा में बनेगा पीएसएस
वर्ष 2023 में इस रेल खंड में इलेक्ट्रिक रेल लाइन संचालित करना प्रस्तावित है। इसी कड़ी में पूरा प्रोजेक्ट विद्युत की बेहतर आपूर्ति पर ही निर्भर करेगा। प्रोजेक्ट को व्यवस्थित रूप से संचालित करने के लिए जीएसएस की तर्ज पर ही बागरा रेलवे स्टेशन के निकट ही पीएसएस बनाया जाएगा। यही से प्रोजेक्ट के बड़े हिस्से में बिजली की आपूर्ति की जाएगी।
वर्ष 2023 में इस रेल खंड में इलेक्ट्रिक रेल लाइन संचालित करना प्रस्तावित है। इसी कड़ी में पूरा प्रोजेक्ट विद्युत की बेहतर आपूर्ति पर ही निर्भर करेगा। प्रोजेक्ट को व्यवस्थित रूप से संचालित करने के लिए जीएसएस की तर्ज पर ही बागरा रेलवे स्टेशन के निकट ही पीएसएस बनाया जाएगा। यही से प्रोजेक्ट के बड़े हिस्से में बिजली की आपूर्ति की जाएगी।
इस तरह के बदलाव का सफर
तीन टुकड़ों में 223.44 किमी लंबा यह रेलवे ट्रेक 1928 में बनना शुरु हुआ और उसके बाद इस रेल रूट पर अनेकों बदलाव हुए। अंगे्रजों के शासन काल में यह रेलवे ट्रेक मीटर गेज था और सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना गया। देश में ब्रॉडगेज की कवायद चली तो इस रूट पर भी इसका असर पड़ा और वर्ष 2007 से 2010 के बीच इस रूट में बहुत से बदलाव होने के साथ यह ट्रेक भी ब्रॉडगेज में बदल चुका और अब यह रूट इलेक्ट्रिक रूट में तब्दील होने वाला है।
तीन टुकड़ों में 223.44 किमी लंबा यह रेलवे ट्रेक 1928 में बनना शुरु हुआ और उसके बाद इस रेल रूट पर अनेकों बदलाव हुए। अंगे्रजों के शासन काल में यह रेलवे ट्रेक मीटर गेज था और सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना गया। देश में ब्रॉडगेज की कवायद चली तो इस रूट पर भी इसका असर पड़ा और वर्ष 2007 से 2010 के बीच इस रूट में बहुत से बदलाव होने के साथ यह ट्रेक भी ब्रॉडगेज में बदल चुका और अब यह रूट इलेक्ट्रिक रूट में तब्दील होने वाला है।
कोयले से डीजल और फिर इलेक्ट्रिक रूट
वर्ष 2003 तक इस रूट पर स्टीम पॉवर से इंजन चलते थे और मीटर गेज पर टे्रन का सफर समदड़ी से भीलड़ी तक होता था। लेकिन बाद में डीजल इंजन ने स्टीम इंजन की पूरी तरह से जगह ले ली। अब समय में बदलाव आया है और अगले साल के अंत में इस रूट पर स्टीम इंजन नजर नहीं आएंगे।
प्रदूषण मुक्त सफर
भारत सरकार के इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य देश में चल रहे बढ़ी तादाद में डीजल इंजन से निकलने वाले धुएं के प्रदूषण को रोकना है। इसी मंशा से लगभग पूरे देश में काम चल रहा है और धरातल पर समदड़ी-भीलड़ी रेल खंड में भी कार्य चल रहा है। यह प्रोजेक्ट एलएंडटी कंपनी द्वारा किया जाना है।
वर्ष 2003 तक इस रूट पर स्टीम पॉवर से इंजन चलते थे और मीटर गेज पर टे्रन का सफर समदड़ी से भीलड़ी तक होता था। लेकिन बाद में डीजल इंजन ने स्टीम इंजन की पूरी तरह से जगह ले ली। अब समय में बदलाव आया है और अगले साल के अंत में इस रूट पर स्टीम इंजन नजर नहीं आएंगे।
प्रदूषण मुक्त सफर
भारत सरकार के इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य देश में चल रहे बढ़ी तादाद में डीजल इंजन से निकलने वाले धुएं के प्रदूषण को रोकना है। इसी मंशा से लगभग पूरे देश में काम चल रहा है और धरातल पर समदड़ी-भीलड़ी रेल खंड में भी कार्य चल रहा है। यह प्रोजेक्ट एलएंडटी कंपनी द्वारा किया जाना है।