जालोर

जालोर में अब यह बन रहा मर्डर का मुख्य कारण

– हत्या के अधिकतर प्रकरणों में अवैध संबंध मुख्य कारण के रूप में आ रहे सामने, मित्र, परिजन या परिचित ही घिनौने कृत्य के दोषी और बन रहे शिकार भी

जालोरJun 02, 2019 / 10:49 am

Khushal Singh Bati

– हत्या के अधिकतर प्रकरणों में अवैध संबंध मुख्य कारण के रूप में आ रहे सामने, मित्र, परिजन या परिचित ही घिनौने कृत्य के दोषी और बन रहे शिकार भी


केस-1
21 मई 2019 को बागरा थाना क्षेत्र के काणदर में ईंट भट्टे पर युवक की हत्या के बाद पुलिस अनुसंधान में अवैध संबंध ही घटनाक्रम के कारण के रूप में सामने आए
केस-2
13 अक्टूबर 2018 को चूरा गांव में युवक भीमाराम की संदिग्ध मौत का प्रकरण भी जांच के बाद हत्या के रूप में सामने आया। भीमाराम का रमेश की बहन के साथ अवैध संबंध था, जिससे आहत होकर उसने हत्या की।
केस-3
10 दिसंबर 2017 को दो शादी रचाने वाले दीपाराम ने ही गाड़ी में पेट्रोल छिड़ककर अपनी पत्नियों को जिंदा जला दिया, इस घटना के बाद 72 घंटे में चालान पेश।

जालोर. रिश्तों में दगाबाजी के अनेक मामलों के बीच अनेक ऐसे मामले सामने आ रहे हैं, जो एक पक्ष को मौत के मुहाने तक ले जा रहे हैं। रिश्तों में विश्वासघात हत्या जैसी संगीन वारदातों का कारण बन रहे हैं। जालोर जिले की बात करें तो पिछले 2 सालों में ऐसे अनेक मामले सामने आए हैं, जिनमें युवकों की हत्या हुई और इन घटनाक्रमों की जांच कर पुलिस ने जब परत दर परत उजागर की तो सामने आया कि अवैध संबंध ही घटनाक्रम का मुख्य कारण रहा। ये मामले ऐसे थे, घर परिवार में ही अपनों के बीच अवैध संबंध उजागर हुए और हताशा और कुंठा में हत्या की गई। हाल के मामलों की बात करें तो जालोर जिले में पिछले साल दिसंबर और वर्ष 2019 की शुरुआत में ही रिश्तों की यह डोर टूटती दिखाई दी। ऐसे प्रकरण सामने आए जिसमें परिजनों ने ही परिजनों के खिलाफ गंभीर वारदातों को अंजाम दिया और उनकी जान तक ले ली। ये प्रकरण पुलिस के लिए सिरदर्द बने क्योंकि आरोपी अनेक घटनाक्रमों को अंजाम देने के बाद पुलिस जांच में उनके इर्द गिर्द भी रहे। ऐसे में उन पर शक के बाद उनसे पूछताछ करना पुलिस के लिए टेढ़ी खीर साबित हुआ, लेकिन पुलिस ने कड़ी से कड़ी जोड़कर मामलों का खुलासा किया।
टूट रहा विश्वास, घट रही सहनशीलता
अधिकतर प्रकरणों में अवैध संबंधों से आहत होने के बाद अंतिम हथियार के रूप में हत्या करने के प्रकरण सामने आए हैं। ये ऐसे प्रकरण है, जिसमें कुंठा, आकोश के बाद अंतिम चरण में अपने ही गुनहकार या हत्यारे बने।
हत्या के प्रकरण बढ़ रहे
परिवाद वाद की परंपराओं में लगातार कमी आती जा रही है। लोग अंतर्मुखी हो रहे हैं। इन हालातों में भी सहनशीलता की कमी आ रही है और पारिवारिक रिश्तों की गरिमा और मर्यादा में कमी आ रही है। पुलिस विभाग जालोर के आंकड़ों पर गौर करें तो पिछले साल जनवरी माह से दिसंबर 2018 तक हत्या के कुल 9 प्रकरण दर्ज हुए थे। जिसमें से अब तक 2 प्रकरण पेंडिंग चल रहे हैं और 5 में चालान हो चुका है। इधर, इस साल की बात करें तो शुरुआती पांच माह में ही 5 प्रकरण दर्ज हो चुके हैं, जिसमें से 2 में चालान पेश हो चुके हैं।
एक्सपर्ट व्यू…
वर्तमान में भागदौड़ भरी जिंदगी में हर व्यक्ति तनाव या अवसाद से ग्रसित हो सकता है। इस भागदौड़ में परिवार के साथ समय बिताने को भी कम ही मिलता है। पूर्व में बूढ़े बुजुर्गों की मौजूदगी में सामूहिक परिवार में अच्छा माहौल होता था, लेकिन वर्तमान में सामूहिक परिवार का चलन कम होता जा रहा है। कंपीटिशन भरी जिंदगी में आदमी स्वकेंद्रित होता जा रहा है और इन हालातों में परिवार की तरफ भी ध्यान कम ही दे पाता है। इन हालातों के बीच मानसिक तनाव आम बात हो चली है। तनाव के चलते अब व्यक्ति सहज नहीं रह सकता है। अक्सर ऐसे हाला बनते हैं, जबकि तनाव या यूं कहें कि आक्रोश की स्थिति में वह गलत फैसले तक ले जाता है। जो गंभीर घटनाक्रम या वारदातों का कारण भी बनते हैं।
– डॉ. राजेंद्र आचार्य, मनोचिकित्सक, जोधपुर
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