आरओ के नाम पर खुली बिक्री
जिला मुख्यालय पर तो अब आरओ के नाम पर पानी की बिकवाली की हद हो चुकी है। अधिकतर प्लांट संचालक तो अब कैन से भी पानी की आपूर्ति नहीं कर रहे। मनमर्जी से केवल एक वॉटर टैंक गाड़ी में डालकर गली कूचों से सप्लाई किया जा रहा है। जिला मुख्यालय पर अनेक स्थान पर चलते फिरते वॉटर सप्लायर नजर आ जाते हैं। ये सप्लायर रोजाना हजारों लीटर पानी तो केवल जिला मुख्यालय पर ही सप्लाई किया जा रहा है, लेकिन इन पर किसी तरह की नकेल नहीं कसी जा रही।
जिला मुख्यालय पर तो अब आरओ के नाम पर पानी की बिकवाली की हद हो चुकी है। अधिकतर प्लांट संचालक तो अब कैन से भी पानी की आपूर्ति नहीं कर रहे। मनमर्जी से केवल एक वॉटर टैंक गाड़ी में डालकर गली कूचों से सप्लाई किया जा रहा है। जिला मुख्यालय पर अनेक स्थान पर चलते फिरते वॉटर सप्लायर नजर आ जाते हैं। ये सप्लायर रोजाना हजारों लीटर पानी तो केवल जिला मुख्यालय पर ही सप्लाई किया जा रहा है, लेकिन इन पर किसी तरह की नकेल नहीं कसी जा रही।
आज तक जांच नहीं
इसे लापरवाही या नजरअंदाजी कहें कि इतनी बडी तादाद में जिले में आरओ के नाम पर पानी की आपूर्ति हो रही है, लेकिन इन आरओ प्लांट की जांच आज तक किसी भी स्तर पर नहीं हुई है। यह भी नहीं जांचा गया है कि जिन कैमिकल या प्रोसेस से पानी की गुणवत्ता में बदलाव किया जा रहा है क्या वह लीगल और सटीक है। अलबत्ता वर्तमान में हर आम और खास इसी आस से आरओ वॉटर मंगवा रहा है कि उन्हें शुद्ध पेयजल मुहैया हो रहा है।
इसे लापरवाही या नजरअंदाजी कहें कि इतनी बडी तादाद में जिले में आरओ के नाम पर पानी की आपूर्ति हो रही है, लेकिन इन आरओ प्लांट की जांच आज तक किसी भी स्तर पर नहीं हुई है। यह भी नहीं जांचा गया है कि जिन कैमिकल या प्रोसेस से पानी की गुणवत्ता में बदलाव किया जा रहा है क्या वह लीगल और सटीक है। अलबत्ता वर्तमान में हर आम और खास इसी आस से आरओ वॉटर मंगवा रहा है कि उन्हें शुद्ध पेयजल मुहैया हो रहा है।
संकट इसलिए
जालोर जिले के पानी में खारापन और फ्लोराइड अधिक है। जो मानव स्वास्थ्य के लिए घातक है। इस स्थिति में पिछले एक दशक में जिले में शुद्ध पेयजल के लिए आरओ वॉटर पर निर्भरता बढ़ी है। वर्तमान में पानी सप्लाई करने का एक मार्केट खड़ा है, जहां से प्रतिदिन हजारों की तादाद में पानी के कैन सप्लाई हो रहे हैं। चिंता का विषय यह है कि इस पानी की गुणवत्ता की जांच के लिए किसी भी अधिकारी या विभाग की तय जिम्मेदारी नहीं है। इसलिए पानी की गुणवत्ता पर सवालिया निशान है।
जालोर जिले के पानी में खारापन और फ्लोराइड अधिक है। जो मानव स्वास्थ्य के लिए घातक है। इस स्थिति में पिछले एक दशक में जिले में शुद्ध पेयजल के लिए आरओ वॉटर पर निर्भरता बढ़ी है। वर्तमान में पानी सप्लाई करने का एक मार्केट खड़ा है, जहां से प्रतिदिन हजारों की तादाद में पानी के कैन सप्लाई हो रहे हैं। चिंता का विषय यह है कि इस पानी की गुणवत्ता की जांच के लिए किसी भी अधिकारी या विभाग की तय जिम्मेदारी नहीं है। इसलिए पानी की गुणवत्ता पर सवालिया निशान है।
आज तक बड़े स्तर पर जांच नहीं
पानी सप्लाई का यह कारोबार चल रहा है और फल फूल रहा है। लेकिन यहां से सप्लाई होने वाला पानी कहां से उपलब्ध हो रहा है और इसे शुद्ध करने का प्रोसेस क्या है। इसकी जांच नहीं हुई है। खास बात यह है कि इतने बड़े स्तर पर पानी की सप्लाई होने के बाद भी आज दिन तक इन प्लांट और आरओ वॉटर सप्लायर सिस्टम की जांच नहीं हुई है।
पानी सप्लाई का यह कारोबार चल रहा है और फल फूल रहा है। लेकिन यहां से सप्लाई होने वाला पानी कहां से उपलब्ध हो रहा है और इसे शुद्ध करने का प्रोसेस क्या है। इसकी जांच नहीं हुई है। खास बात यह है कि इतने बड़े स्तर पर पानी की सप्लाई होने के बाद भी आज दिन तक इन प्लांट और आरओ वॉटर सप्लायर सिस्टम की जांच नहीं हुई है।
डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट
विश्व स्वास्थ्य संगठन का मानना है कि लगातार आरओ वॉटर पीना मानव स्वास्थ्य के लिए घातक है। इसका प्रमुख कारण यह है कि पानी को शुद्ध करने के लिए जो प्रोसेस उपयोग होता है, उससे पानी के जरुरी मिनरल्स भी नष्ट हो जाते हैं। इसके लगातार सेवन से आपको हृदय संबंधी विकार, थकान महसूस होना, मानसिक कमजोरी और मांसपेशियों में ऐंठन या सिरदर्द जैसे कई रोग हो सकते हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन का मानना है कि लगातार आरओ वॉटर पीना मानव स्वास्थ्य के लिए घातक है। इसका प्रमुख कारण यह है कि पानी को शुद्ध करने के लिए जो प्रोसेस उपयोग होता है, उससे पानी के जरुरी मिनरल्स भी नष्ट हो जाते हैं। इसके लगातार सेवन से आपको हृदय संबंधी विकार, थकान महसूस होना, मानसिक कमजोरी और मांसपेशियों में ऐंठन या सिरदर्द जैसे कई रोग हो सकते हैं।