जालोर के नेशनल हाइवे में ये अचानक हुआ बदलाव
जालोरPublished: Aug 25, 2019 10:32:56 am
– नेशनल हाइवे-325 में आहोर क्षेत्र में बाइपास को हटाया, अब शहर के भीतर से ही गुजरेगा ट्राफिक
– नेशनल हाइवे-325 में आहोर क्षेत्र में बाइपास को हटाया, अब शहर के भीतर से ही गुजरेगा ट्राफिक
जालोर. जिले के सबसे महत्वपूर्ण नेशनल हाइवे-325 प्रोजेक्ट में गुपचुप में ही बदलाव कर दिया गया है और इससे भविष्य में प्रोजेक्ट नेशनल हाइवे होने के बाद भी भीड़भाड़ वाले क्षेत्र से ही वाहन चालकों को गुजरना पड़ेगा। विभागीय जानकारी के अनुसार विभिन्न स्तर के प्रोसेस चलने के बाद आहोर कस्बे के ट्रेफिक से बचने के लिए बनने वाला बाइपास हटा दिया गया है। यह बदलाव फाइनल डीपीआर में केंद्रीय भूतल परिवहन के मुख्य अभियंता ने किया है। बताया जा रहा है कि चूंकि कस्बे में पूर्व में ही नेशनल हाइवे प्रोजेक्ट के स्पॉट इंप्रूवमेंट स्कीम के तहत सड़क को काफी चौड़ा किया गया है और यहां रोड टू लेन में विभाजित है। ऐसे में यहां बाइपास की जरुरत नहीं है। ऐसे में यहां से बाइपास प्रोजेक्ट को हटाया गया है और अब प्रोजेक्ट सीधा आहोर कस्बे के भीतर से ही गुजरेगा। सीधे तौर से सभी तरह के वाहन कस्बे के भीतर से ही गुजरेंगे, जबकि इस मार्ग पर एसडीएम कार्यालय, पुलिस थाना, सरकारी स्कूल समेत अन्य संस्थान और कार्यालय है। ऐसे में करीब 2 साल तक प्रक्रिया चलने के बाद फाइनल डीपीआर में बदलाव समझ से परे है।
कुल 6 में से यहां भी बनना था बाइपास
नेशनल हाईव-325 में कुल 6 बाईपास आसोतरा, मोकलसर, सिवाना, जालोर, आहोर, दुजाना में बनने थे। इसके अलावा रमणिया में री-अलाइनमेंट कम बाईपास भी शामिल है। इस प्रक्रिया में जालोर, बाड़मेर और पाली जिले के 5 एसडीएम को भूमि अवाप्ति अधिकारी नियुक्त किया गया था। जिसमें से जालोर, सिवाना, दुजाना में एसडीएम की तरफ से 3-केपिटल ए की कार्रवाई की गई। इसी तरह से आहोर क्षेत्र के लिए भी 3-ए की कार्रवाई की गई और उसके बाद डीपीआर मंत्रालय को भेजी गई, लेकिन मंत्रालय से आहोर का बाइपास खारिज किया गया। एनएच-325 के बाइपास प्रोजेक्ट की कुल दूरी 46.02 किमी आंकी गई थी और प्रोजेक्ट कोस्ट 447.51 करोड़ रुपए थी।
इन पैकेज में बंटा है एनएच
नेशनल हाइवे-325 चार पैकेज में बंटा हुआ है। जिसके तहत पैकेज 2 मोकलसर से जालोर तक है, जिसकी लंबाई 24.71 किमी है और प्रोजेक्ट कोस्ट 18 2.90 करोड़ रुपए थी। इसी तरह पैकेज 3 आहोर से सांडेराव है। इसकी लंबाई 34.425 किमी है और प्रोजेक्ट कोस्ट 166.88 करोड़ रुपए है। इन दोनों प्रोजेक्ट को फाइनेंस कमेटी ने स्वीकृति जारी कर दी है। पैकेज 1 सिवाना फांटा से मोकलसर तक है और पैकेज चार में सभी बाइपास शामिल किए गए हैं।
गफलत में लोग
नेशनल हाइवे 325 का प्रोजेक्ट वर्ष 2014 में चर्चा में आया, लेकिन उसके बाद विभिन्न स्तर पर प्रोजेक्ट अटकता चला गया और भूमि अवाप्ति में भी विभाग को कुछ दिक्कतें आई। प्रोजेक्ट में मुख्य प्रार्शन का काम लगभग पूरा होने को है, लेकिन बाइपास प्रोजेक्ट को लेकर अभी तक किसी तरह से स्थिति साफ नहीं है। इन हालातों में आमजन भी गफलत में है कि आखिर ट्रेफिक रिलिफ की मंशा से जब सड़क का निर्माण होना था तो अब तक बाइपास का मामला क्यों अटका पड़ा है।
तीनों ही जिलों में विभिन्न उद्योग धंधे संचालित है। ऐसे में हाईवे बनने से तीनों जिले एक सर्किट के रूप में आपस में जुड़ जाएंगे। वहीं मार्ग अपगेड होने से यहां तक कच्चा माल पहुंचने और यहां से तैयार माल मंडियों तक पहुंचाने में आसानी होगी और समय भी कम लगेगा।
इनका कहना
पूर्व में आहोर क्षेत्र में बाइपास प्रस्तावित था, लेकिन फाइनल डीपीआर के दौरान केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्रालय के मुख्य अभियंता की ओर से आहोर के बाइपास को प्रोजेक्ट से हटाया गा है। अब कस्बे के भीतर से ही मुख्य मार्ग पर ट्रेफिक का आवागमन रहेगा। बाइपास का निर्माण नहीं होगा।
– संजय माथुर, एक्सईएन, नेशनल हाइवे
रिपोर्ट: खुशालसिंह भाटी..2