यह था शैड्यूल
तय कार्यक्रम के अनुसार मुख्य केनाल में पानी का प्रवाह माना जाना था। जिसके अनुसार 28 मार्च को 1800 क्यूसेक पानी छोड़ा जाना था। पहले दिन इसी अनुपात में पानी छोड़ा गया। उसके बाद 29 मार्च को 2000 क्यूसेक, 30 मार्च को 2200 क्यूसेक और अंतिम दिन 2400 क्यूसेक पानी छोड़ा जाना था। हालांकि कैनाल में अंतिम तय क्षमता तक पानी की आपूर्ति संभव नहीं हो पाई, क्योंकि पानी का लेवल अधिक हो गया था। एक्सईएन आरके पुरोहित ने बताया कि यह टीम शुक्रवार को भी अंतिम स्तर पर जांच की जाएगी और पानी का प्रवाह 1800 क्यूसेक से अधिक रहेगा। यह टीम एस्केप क्षेत्र का मैजरमेंट करने वाली है।
तय कार्यक्रम के अनुसार मुख्य केनाल में पानी का प्रवाह माना जाना था। जिसके अनुसार 28 मार्च को 1800 क्यूसेक पानी छोड़ा जाना था। पहले दिन इसी अनुपात में पानी छोड़ा गया। उसके बाद 29 मार्च को 2000 क्यूसेक, 30 मार्च को 2200 क्यूसेक और अंतिम दिन 2400 क्यूसेक पानी छोड़ा जाना था। हालांकि कैनाल में अंतिम तय क्षमता तक पानी की आपूर्ति संभव नहीं हो पाई, क्योंकि पानी का लेवल अधिक हो गया था। एक्सईएन आरके पुरोहित ने बताया कि यह टीम शुक्रवार को भी अंतिम स्तर पर जांच की जाएगी और पानी का प्रवाह 1800 क्यूसेक से अधिक रहेगा। यह टीम एस्केप क्षेत्र का मैजरमेंट करने वाली है।
एस्केप 51 किमी पर खुलवाया
टीम ने पानी की आपूर्ति के दौरान केनाल का एस्केप 51 किमी पर खुलवाया। इस निरीक्षण के दौरान एस्केप प्वाइंट से ऊपरी नहरेों में पर्याप्त पानी पहुंचा। हालांकि निचले एरिया में भीमगुड़ा वितरिका, पनौरिया वितरिका, माणकी वितरिका समेत अन्य क्षेत्रों में पर्याप्त पानी नहीं मिल पाया। वहीं बालेरा, सांचौर लिफ्ट, वांक वितरिका, जैसला में पर्याप्त पानी पहुंचा।
टीम ने पानी की आपूर्ति के दौरान केनाल का एस्केप 51 किमी पर खुलवाया। इस निरीक्षण के दौरान एस्केप प्वाइंट से ऊपरी नहरेों में पर्याप्त पानी पहुंचा। हालांकि निचले एरिया में भीमगुड़ा वितरिका, पनौरिया वितरिका, माणकी वितरिका समेत अन्य क्षेत्रों में पर्याप्त पानी नहीं मिल पाया। वहीं बालेरा, सांचौर लिफ्ट, वांक वितरिका, जैसला में पर्याप्त पानी पहुंचा।
इनका कहना
टीम ने निरीक्षण पूरा कर लिया है। अब केनाल में पानी की आपूर्ति घट जाएगी, केवल पेयजल सप्लाई के अनुसार ही आपूर्ति होगी।
नवीन माथुर, अधीक्षण अभियन्ता, नर्मदा नह परियोजना सांचौर