जालोर

हर साल हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं सुंधा के दरबार, आपात हालात से निपटने के प्रबंध ही नहीं

रविवार को हुए हादसे ने एक बार फिर आपात सेवाओं की खोली पोल, कमी से युवक को जान गंवानी पड़ी’

जालोरSep 11, 2018 / 10:27 am

Khushal Singh Bati

Thousands of pilgrims arrive every year in the court of Sunda, not just the management of emergency situations

कब क्या
– 2.30 बजे चढ़ाई के दौरान पत्थर गिरने से युवक चोटिल हुआ
– 2.४० बजे पुलिस तलहटी से मौके पर पहुंची
– 2.4८ बजे के लगभग पुलिस ने जनसहयोग से बिना स्ट्रेचर के घायलों को नीचे उतारा
– २.५१ बजे 108 को कोलिंग हुई
– ३.१1 बजे 108 एंबुलेंस पहुंची

जालोर. जन जन की आस्था के केंद्र और जालोर जिले के प्रमुख पर्वतीय धार्मिक स्थल सुंधा माता के दर्शनों को हजारों की संख्या में श्रद्धालु सालाना पहुंचते हैं, जिसमें मुख्य रूप से गुजरात राज्य के श्रद्धालु होते है। मान्यता है कि माता सबकी रक्षा करती है और मुरादें भी पूरी करती है। जिला प्रशासन और यहां के ट्रस्ट ने भी शायद इसी भावना को ही श्रद्धालुओं की सुरक्षा का मुख्य आधार भी मान लिया है। यही कारण है कि सालभर में हजारों की संख्या में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए कोई पुख्ता प्रबंध यहां नहीं किए जा रहे है। जबकि पूर्व में हुए हादसों ने यह संकेत दे दिए थे कि सुंधा माता क्षेत्र में ही आपातकालीन मामलों से निपटने के लिए एंबुलेंस, फायरब्रिगेड के इंतजाम किए जाएं। मामला इसलिए अहम है क्योंकि रविवार को सुंधा माता चढ़ाई के दौरान हुए हादसे के दौरान आपात सेवाओं की कमी जमकर खली और इसी कमी सेे गुजरात के एक श्रद्धालु की मौत भी हुई। हादसों को रोका तो नहीं जा सकता और ये कभी कभार ही होते हैं, लेकिन ये भविष्य में बड़े हादसों से निपटने के लिए एक माध्यम जरुर हो सकते हैं, लेकिन इसके बाद हादसों को नजरअंदाज किया जा रहा है, जो भारी पड़ रहा है।
3 साल पहले भी लाचार था प्रशासन
यह पहला मौका नहीं है जब इस क्षेत्र में कोई हादसा हुआ हो। तीन साल पूर्व दीपावली पर्व के आस पास 14 अक्टूबर 2015 को भी सुंधा माता तलहटी पर गंभीर हादसा हुआ था। रात में अचानक एक दुकान में आग लग गई थी, जिसके बाद एक के बाद एक 14 दुकानें और उसमें रखा सारा सामान जलकर राख हो गया था। इस हादसे में व्यापारियों को लाखों रुपए का नुकसान हुआ था। इस हादसे ने सबको झकझौर दिया था और तत्कालीन कलक्टर जितेंद्र कुमार सोनी ने स्वयं ने भी यहां आपातकालीन सेवाओं की कमी को स्वीकारा था और ट्रस्ट पदाधिकारियों को इसके लिए अपने स्तर पर प्रबंध के लिए भी निर्देशित किया था। लेकिन अब भी हालात जस के तस है।
हालात ऐसे थे कि घायलों को बिना स्ट्रेचर नीचे लाए
लापरवाही का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां हजारों की संख्या में प्रति साल श्रद्धालु पहुंचते हैं, लेकिन इनकी सुरक्षा के लिए कोई पुख्ता प्रबंध नहीं है। रविवार के हादसे के दौरान यदि तलहटी पर ही एंबुलेंस उपलब्ध होती तो घायलों को राहत जल्दी मिलती और संभवतया जान भी बच जाती। हादसे के बाद 108 एंबुलेंस जसवंतपुरा से रवाना हुई, लेकिन उसमें भी समय लग गया। स्थानीय स्तर पर घायलों को जसवंतपुरा की तरफ ले जाया गया औ राजपुरा चौराहे पर 108 एंबुलेंस में उन्हें डाला गया, लेकिन तब तक घायल ने दम तोड़ दिया। यही नहीं घायलों को तलहटी तक पहुंचाने के लिए प्राथमिक संसाधन जैसे स्ट्रेचर तक उपलब्ध नहीं था, जिससे घायलों को तलहटी तक लाने में मशक्कत करनी पड़ी और काफी समय भी लग गया।
जनसहयोग से उतारा
हादसे की जानकारी मिलते ही मैं और मेरा साथी घटना स्थल की तरफ भागे। हालात विकट थे, जनसहयोग से काफी मशक्कत के बाद घायलों को हाथों में ही उठाकर तलहटी तक पहुंचाया, जिसके बाद एंबुलेंस भी मौके पर पहुंची।
– शिवजीतसिंह, हैडकांस्टेबल
मौत हो चुकी थी
हादसे के बाद हमें लोकेशन से दोपहर 2.51 बजे मैसेज मिला था। हम करीब 3.11 बजे राजपुरा चौराहे पहुंचे तो हमें यहां एक गाड़ी में घायल मिले थे। जिसमें से एक की मौत हो चुकी थी।
– चेतन पारीक, ईएमटी, 108 एंबुलेंस
यहां इनको पता ही नहीं
मामला पुराना है और मुझे इस बारे में जानकारी नहीं है।
– बीएल कोठारी, कलक्टर, जालोर
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