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लाल बादशाह के नाम से प्रसिद्ध बडग़ांव के टमाटर निकाल रहे किसानों के आंसू

locationजालोरPublished: Feb 23, 2020 11:19:28 am

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बडग़ांव में टमाटर की फसल

बडग़ांव में टमाटर की फसल

शंकर चौधरी. बडग़ांव. लाल बादशाह के नाम से जाने जाने वाले बडग़ांव के टमाटरों की आवक शुरू होते ही भाव औधे मुंह गिर गए हैं। टमाटर के दामों में आई गिरावट के कारण किसानों के चेहरे की लाली भी फीकी पड़ गई हैं। क्षेत्र के टमाटरों की विशेष मांग नहीं होने के कारण किसानों को दोहरा नुकसान झेलना पड़ रहा है। यहां के किसानों को खरीदार नहीं मिल पाने के बाद 300 से 350 रुपए प्रति क्विंटल के भाव टमाटर बेचने पड़ रहे हैं। इस भाव में भी किसानों को टमाटर के खरीदार नहीं मिल रहे हैं। जिससे टमाटर की खेती किसानों के लिए परेशानी का सबब बनती जा रही है। हालात यह है कि किसान टमाटर को नुकसान खाकर बेचने को मजबूर हैं। बडग़ांव सब्जी मण्डी में आस-पास के एक दर्जन से अधिक गांवों से किसान ट्रैक्टर-ट्रॉलियां भरकर टमाटर लेकर आते तो हैं, लेकिन वे नुकसान में अपनी फसल बेच कर जा रहे हैं। 300 से 350 रूपए प्रति क्विंटल टमाटर बेचने से उन्हें यह महंगा साबित हो रहा है।
बहार से खरीदार आए, लेकिन नहीं खरीद रहे
बडग़ांव समेत आस-पास के गांवों में टमाटरों की अच्छी पैदावार होने के कारण बाहरी व्यापारियों ने विभिन्न गांवों में टमाटर खरीदने के लिए केंप तो लगा दिए, लेकिन आगे बड़े शहरों में टमाटरों की मांग नहीं होने के कारण अभी टमाटर की खरीद शुरू नहीं हो पाई है। बडग़ांव के अलावा सांचौर व भीनमाल शहर के आस-पास के गावों से छोटे-मोटे खरीदार जरूर पहुंच रहे हैं, लेकिन टमाटरों की आवक अधिक होने से किसानों से पूरे टमाटर नहीं खरीद पा रहे हैं। वहीं दाम भी कम मिल रहे हैं। जिससे किसानों को नुकसान उठाकर मजबूरन में टमाटर बेचने पड़ रहे हैं।
कौन सुने किसानों की पीड़ा
इस बार टमाटरों की पैदावार काफी अच्छी थी। जिसे देखकर सोचा था कि इस बार सेठ साहूकारों से लिया कर्ज चुका पाएंगे, लेकिन टमाटर की पैदावार शुरू होते ही भाव अचानक गिर गए। कम भावों में भी खरीदार आनाकानी कर रहे हैं। यही भाव रहे तो इस साल डेढ़ से दो लाख का घाटा उठाना पड़ेगा।
– निम्बाराम, किसान
फसल अच्छी, लेकिन खरीदार नहीं
इस बार टमाटर की फसल अच्छी थी, लेकिन बाहर से आए खरीदार भी नहीं खरीद रहे हैं। ऐसे में टमाटर बेचें तो किसे। यहां के स्थानीय व्यापारी आते हैं, लेकिन वो भी मनमर्जी से भाव तय कर खरीदते हैं। जिससे बड़ा नुकसान हो रहा है। किसानों की पीड़ा को कोई सुनने वाला नहीं है।
– परखाराम चौधरी, किसान, रूपावटी
रोजाना 50 क्विंटल, पर बेचें किसे
मैंने एक हैक्टेयर में टमाटर की खेती की थी, अब रोजाना पचास क्विंटल टमाटर निकल रहे हैं, लेकिन बाहर से आए खरीदारों ने भी टमाटर खरीदने के लिए मना कर दिया है। ऐसे में बेचें तो किसे।
– मकनाराम, किसान, रूपावटी
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