scriptमासूमों की जान के साथ खिलवाड़ | Transportation Department is not paying attention incident may occur | Patrika News

मासूमों की जान के साथ खिलवाड़

locationजालोरPublished: Nov 14, 2017 12:40:09 pm

Submitted by:

Khushal Singh Bati

निजी स्कूल संचालक नहीं दे रहे ध्यान, विभाग मौन, क्षमता से अधिक भरे जा रहे बच्चे, हादसे का शिकार हो सकते हैं मासूम

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निजी स्कूल संचालक नहीं दे रहे ध्यान, विभाग मौन, क्षमता से अधिक भरे जा रहे बच्चे, हादसे का शिकार हो सकते हैं मासूम


जालोर. शिक्षा के मंदिरों तक बच्चों को लाने और वहां से ले जाने के लिए बाल वाहिनियों के संचालकों के लिए शीर्ष न्यायालय की ओर से गाइड लाइन जारी करने के बाद भी जिलेभर में इन आदेशों की अवहेलना हो रही है जिलेभर में काफी तादाद में सरकारी व निजी विद्यालय संचालित हो रहे हैं।लगभग सभी निजी विद्यालयों में संचालित हो रही बाल वाहिनियों में मानकों की तरफ ध्यान नहीं दिया जा रहा हेै।यही नहीं इसमें क्षमता से अधिक सवारियां भरी जा रही है। जिला मुख्यालय पर इन हालातों को लेकर अक्टूबर माह में ही 4 बार संपर्क पोर्टल पर शिकायत दर्ज हो चुकी है, लेकिन विभागीय और प्रशासनिक स्तर पर इन शिकायतों को हलके में लिया गया है।
इनकी लापरवाही
कई निजी विद्यालयों में थ्री व्हीलर ऑटो रिक्शा बच्चों को लाने और ले जाने के लिए लगे हुए हैं। एक तरफ इन ऑटो में परमिट से अधिक बच्चों को बिठाया जाता है। दूसरी तरफ इन ऑटो में बैठने वाले बच्चों की सुरक्षा के लिए कोई बेरियर लगे हैं न ही गेट, जिससे बच्चे गिर सकते हैं। गौरतलब है कि वर्ष २०११ में स्कूल में लगे एक ऑटो रिक्शा से एक स्कूली बच्चा नीचे गिर गया था, जिसे काफी चोटें आई थी। इस ऑटो रिक्शा के न तो गेट था न ही सुरक्षा के लिए कोई बेरियर लगा था।
संपर्क पर शिकायत कागजों में ही
न्यू ब्रह्मपुरी जालोर निवासी केशव व्यास ने निजी विद्यालयों में संचालित बाल वाहिनियों में परमिट क्षमता से अधिक बच्चों को लादने से संभावित दुर्घटना की स्थिति को लेकर सबसे पहले 27 जनवरी 2017 को शिकायत दर्ज करवाई, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद व्यास ने फिर से 9 अक्टूबर 2017 को संपर्क पोर्टल पर शिकायत दर्ज करवाई। जिस पर विभाग ने 16 अक्टूबर को इस शिकायत पर कार्रवाई की बजाय जवाब दिया कि 24 अक्टूबर तक विद्यालयों में अवकाश है। इसके बाद 27 अक्टूबर को विभाग ने फिर से कार्रवाई की, जिस में 5 बाल वाहिनियों को जब्त किया गया। इसके बाद भी नियमों की अवहेलना जारी है।
निर्देशों के अनुसार वाहनों में स्कूल के निर्धारित परिसर से सुरक्षित चढ़ाने व उतारने का उतरदायित्व भी यातायात संयोजक का होगा। बालवाहिनी योजना के अन्तर्गत संचालित वाहनों की बैठक क्षमता सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय अनुसार निर्धारित बैठक क्षमता की डेढ़ गुणा रहेगी। बालवाहिनी योजना के अन्तर्गत संचालित वाहनों के वाहन चालक को कम से कम पांच वर्ष का वाहन चलाने का अनुभव अनिवार्य होगा। प्रत्येक वाहन चालक को परिवहन भिभाग द्वारा विशेष फोटोयुक्त परिचय पत्र जारी किया जाएगा इसमें संक्षिप्त ब्यौरा अंकित किया जाएगा। वाहन चालक इस योजना से मुक्त होने पर परिचय पत्र कार्यालय में समर्पित करवाना होगा। शैक्षणिक संस्थाओं बस ड्राइवर खाकी ड्रेस पहनेगा। वाहन में विंडोबार इस तरह लगाई जाएगी कि उसमें 200 मिलीमीटर से अधिक का गैप नहीं होगा। वाहन में स्पीड गवर्नर एआईएस-018 मापदण्ड का लगा होगा जिसका इन्द्राज पंजीयन पुस्तिका में करना आवश्यक है एवं वाहन के भाहरी भाग पर बड़े शब्दों में बालवाहिनी लिखा होना आवश्यक है एवं टेलीफोन नंबर एवं मोबाइल नंबर अंकित होंगे।
संपर्क पर शिकायत कागजों में ही
न्यू ब्रह्मपुरी जालोर निवासी केशव व्यास ने निजी विद्यालयों में संचालित बाल वाहिनियों में परमिट क्षमता से अधिक बच्चों को लादने से संभावित दुर्घटना की स्थिति को लेकर सबसे पहले 27 जनवरी 2017 को शिकायत दर्ज करवाई, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद व्यास ने फिर से 9 अक्टूबर 2017 को संपर्क पोर्टल पर शिकायत दर्ज करवाई। जिस पर विभाग ने 16 अक्टूबर को इस शिकायत पर कार्रवाई की बजाय जवाब दिया कि 24 अक्टूबर तक विद्यालयों में अवकाश है। इसके बाद 27 अक्टूबर को विभाग ने फिर से कार्रवाई की, जिस में 5 बाल वाहिनियों को जब्त किया गया। इसके बाद भी नियमों की अवहेलना जारी है।
इनका कहना
जिले में 6 0 से 70 बाल वाहिनियां रजिस्टर्ड है। थ्री व्हीलर एक भी बाल वाहिनी रजिस्टर्ड नहीं है। इसके लिए संचालकों को निर्देशित किया है।साथ ही हाल ही में कार्रवाई कर वाहनों को सीज भी किया गया है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की पालना के लिए भी पाबंद किया गया है।
– प्रेमराज खन्ना, डीटीओ, जालोर
मैंने बाल वाहिनियों में क्षमता से अधिक सवारियां भरने पर शिकायत दर्ज करवाई, लेकिन विभागीय स्तर पर कार्रवाई के बाद भी अब तक नियम विरुद्ध इनका संचालन हो रहा है। इसको लेकर मैंने कलक्टर से भी शिकायत की है।
– केशव व्यास, अधिवक्ता
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