scriptतीन दशक का इंतजार, अब हाईकोर्ट में गुहार | Waiting for three decades, now in the high court | Patrika News

तीन दशक का इंतजार, अब हाईकोर्ट में गुहार

locationजालोरPublished: May 11, 2019 12:22:29 pm

Submitted by:

Khushal Singh Bati

34 साल से पानी देवी को नहीं मिली पेंशन, हाईकोर्ट ने आधा दर्जन विभागों से मांगा जवाब

jalore

34 साल से पानी देवी को नहीं मिली पेंशन, हाईकोर्ट ने आधा दर्जन विभागों से मांगा जवाब

जालोर. इसे सरकारी अफसरों की असंवेदनशीलता कहें या उदासीनता कि जालोर निवासी पानी देवी को पति की मौत के 34 साल बाद भी पारिवारिक पेंशन का इंतजार है। हालात यह है कि तीन दशक से सरकारी महकमों के चक्कर काट रही पानी देवी को आखिर अब राजस्थान उच्च न्यायालय में याचिका दायर करनी पड़ी है। हाईकोर्ट ने शुक्रवार को उनकी याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई के बाद आधा दर्जन सरकारी महकमों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता देवकीनन्दन व्यास ने अदालत को बताया कि राज्य बीमा एवं प्रावधायी निधि विभाग के अधिकारियों ने पहले तो पेंशन प्रकरण में गलत नियमों का हवाला दे दिया और जब पेंशन विभाग ने इस पर आपत्ति लगाई, तो इसे सुधारने की बजाय पेंशन के लिये जारी ट्रांसफर एंट्री (टीई) को ही निरस्त कर दिया। लिहाजा अब पेंशन विभाग ने वित्त विभाग एवं कार्मिक विभाग से मंजूरी लेने की जरूरत जताई है। इन हालात में पानी देवी को तीन दशक बाद भी पेंशन नहीं मिल पाई है। उन्होंने हाईकोर्ट को बताया कि पानी देवी को प्रोविजनल पेंशन तक नहीं दी जा रही है। अधिवक्ता व्यास ने अदालत से दखल की गुहार लगाई। इस पर प्रारम्भिक सुनवाई के बाद न्यायाधीश अरुण भंसाली ने जलदाय विभाग, वित्त विभाग, कार्मिक विभाग, पेंशन और राज्य बीमा एवं प्रावधायी निधि विभाग को नोटिस जारी कर तीन हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा है।
1985 से पेंशन का इंतजार
पानी देवी के पति सकाराम जलदाय विभाग में सहायक के पद पर कार्यरत थे। वर्ष 1985 में सरकारी वाहन चलाते हुए दुर्घटना में उनकी मौत हो गई। विभाग ने वर्ष 2007 में आदेश जारी कर सकाराम को 1984 से नियमित कर दिया। उनके आश्रित के तौर पर पानी देवी का पेंशन प्रकरण राज्य बीमा एवं प्रावधायी निधि विभाग के जरिये पेंशन विभाग को भेजा गया। इसमें प्रावधायी निधि विभाग ने गलत नियमों का हवाला दे दिया। ऐसे में पेंशन विभाग ने पानी देवी का प्रकरण लौटा दिया। इधर, बीमा एवं प्रावधायी निधि विभाग के अधिकारियों को जब अपनी गलती का एहसास हुआ, तो इसे सुधारने के बजाए उन्होंने पानी देवी की पेंशन के लिए जारी ट्रांसफर एंट्री को ही खारिज कर दिया। लिहाजा पेंशन विभाग ने पानी देवी की पेंशन के लिए वित्त एवं कार्मिक विभाग की मंजूरी लाने को कहा। सालों के संघर्ष के बाद वित्त विभाग ने 2018 में स्वीकृति दे दी, लेकिन कार्मिक विभाग ने अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की है। इधर, जलदाय विभाग के अफसर भी पानी देवी के पेंशन प्रकरण में कोई रुचि नहीं ले रहे। ऐसे में अब हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है।
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