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बर्बाद हुई खरीफ फसल, किसानों ने उठाई अनुदान व ऋण माफी की मांग

locationजालोरPublished: Oct 09, 2018 10:30:34 am

विभिन्न ग्राम पंचायतों के सरपंचों व ग्रामीणों ने उपखंड अधिकारी को ज्ञापन सौंपकर अनुदान राशि व ऋण माफ करने की मांग की

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बर्बाद हुई खरीफ फसल, किसानों ने उठाई अनुदान व ऋण माफी की मांग

आहोर. क्षेत्र की विभिन्न ग्राम पंचायतों के सरपंचों व ग्रामीणों ने सोमवार को उपखंड अधिकारी को ज्ञापन सौंपकर इस वर्ष बारिश की कमी केे कारण क्षेत्र में पूर्णतया बर्बाद हुई खरीफ फसल की अनुदान राशि पीडि़त किसानों को दिलाने तथा उनकी ओर से लिया गया ऋण माफ करने की मांग की। ज्ञापन में बताया कि क्षेत्र के कई गांवों में इस वर्ष बारिश की न्यूनता में खरीफ फसल की बुवाई की गई थी। फसल की बुवाई करने के बाद भी क्षेत्र में इस बार बारिश नहीं के बराबर ही हुई है। बारिश की कमी के कारण खेतों में खरीफ फसल पूर्णतया नष्ट हो गई है। क्षेत्र में बारिश की कमी के कारण खरीफ फसल में 100 प्रतिशत खराबा हुआ है। जिससे किसान पूर्ण रूप से बर्बाद हो गए हंै। ज्ञापन में किसानों ने प्रदेश सरकार की ओर से क्षेत्र में खरीफ फसल में 100 प्रतिशत खराबा दर्ज कर पीडि़त किसानों को अनुदान राशि का भुगतान करने की मांग करते हुए जिन किसानों ने ऋण लेकर बुवाई की है, उनका ऋण माफ करने की भी मांग की है। वर्ष 2017 को भी अभी तक कई ऋणी किसानों को अनुदान नहीं मिला है। उन्हें शीघ्र अनुदान प्रदान किया जाए। क्षेत्र के अगवरी, गुड़ा बालोतान, दयालपुरा, चरली, उम्मेदपुर, सेदरिया पावटा, डोडीयाली, हरजी, थांवला, चवरछा, ऊण समेत विभिन्न ग्राम पंचायतों में खरीफ फसल में अत्यधिक नुकसान हुआ है। इस मौके पर अगवरी सरपंच शांतिलाल सुथार, गुड़ा बालोतान सरपंच हंजादेवी राणा, बिठुड़ा सरपंच पिंकीदेवी कुमावत, उम्मेदपुर सरपंच शारदादेवी परमार, पूर्व भाजपा मंडल अध्यक्ष महिपालसिंह चारण, किसान नेता ईश्वरसिंह थुम्बा, उगमसिंह अगवरी, भाजपा अजजा मोर्चा मंडल अध्यक्ष किशनलाल राणा, धनदान देवल समेत बड़ी संख्या में क्षेत्र के विभिन्न गांवों के काश्तकार मौजूद थे।
फीके मानसून ने तोड़ी किसानों की कमर
गौरतलब है कि बीते मानसून में जिले के अधिकतर इलाकों में बारिश न के बराबर हुई है। ऐसे में सेठ साहुकारों व बैंकों से ऋण लेकर खेतों में बुवाई करने वाले किसानों को अब कर्ज चुकाने की चिंता खाए जा रही है। इसके तहत किसान अनुदान और ऋण माफी की मांग करने लगे हैं। अगर उन्हें अनुदान और ऋण माफी की सहायता नहीं की जाती है तो उन्हें आर्थिक और मानसिक परेशानी झेलनी पड़ेगी।
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