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जालोर

बिना चारदीवारी का बिजली घर, घूमते हैं पशु

ईंटों से बने छपरे में जुगाड़ से रहने को मजबूर कार्मिक

जालोरJun 30, 2018 / 12:10 pm

Dharmendra Kumar Ramawat

बिना चारदीवारी का बिजली घर, घूमते हैं पशु

भेटाला. निकटवर्ती रायपुरिया स्थित बिजली घर चहुंओर से खुला पड़ा है।चारदीवारीके अभाव में हर तरफ करंट का छाया बना रहता है। इससे आसपास से गुजरते हुए भी लोग डरते हैं। ग्रामीणों ने बताया कि वर्ष 2016 में रायपुरिया, मायलावास और नारणावास समेत कई जगह फीडर स्वीकृत होने के बाद खंभे लगाकर आनन-फानन में बिजली आपूर्ति शुरू की गई। इससे फीडर तो बन गए, लेकिन चारदीवारी नहीं बना पाए। वैसे जिस जगह बिजली घर बना है वहां से आटी नदी बहती है।ऐसे में ग्रामीणों ने इस जगह को छोडऩे एवं सिवणा बस स्टैंड के आसपास बनाने की मांग भी रखी थी, लेकिन किसी ने नहीं सुनी। अब बारिश के दिनों में यहां भारी समस्या रहती है।
पानी के बीच खड़े रहते हुए कार्मिकों को काम करना पड़ता है, जिससे हर दम हादसे का अंदेशा बना हुआ है। रायपुरिया-काणदर बीच स्थित आटी नदी में बिजली घर बनाकर सिवना, रायपुरिया व काणदर समेत कई गांवों में बिजली सप्लाई तो शुरू कर दी, लेकिन करीब दो साल बीत जाने के बाद भी इस सब स्टेशन पर न तो बिजली घर का कार्यालय बना और न चार दीवारी। कार्मिक ईंटों का छपरा बनाकर कार्यालय चला रहे हैं। चारदीवारी के अभाव में घुमंतू पशु हर पल खंभों के बीच खड़े रहते हैं। इससे करंट लगने का खतरा बना हुआ है।
इसलिए कस्बे में बनाया सब स्टेशन
बागरा डिस्कॉम के अधीनस्थ सियाणा फीडर से रायपुरिया, काणदर, सिवणा व देवाड़ा समेत कई गांवों में बिजली की आपूर्ति की जा रही थी, बारिश के समय बिजली समस्या से लोग परेशान रहते थे। ग्रामीणों की मांग पर विभाग ने गांव में फीडर बनाकर बिजली सप्लाई सुचारू की।
खतरे के बीच करना पड़ रहा काम
आटी नदी में बरसाती पानी आ जाने पर बिजली घर भी एक तरह से तैरने लगता है। बहते पानी में बिजली आपूर्ति व उपकरणों की मरम्मत करना कार्मिकों के लिए खतरनाक साबित होता है। समुचित व्यवस्था के अभाव में लाइनमैन भी अक्सर नदारद रहते हैं।

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