scriptजम्मू कश्मीर में मनरेगा के श्रमिको का 1000 करोड़ बकाया | 1000 crore dues of MNREGA workers in Jammu and Kashmir | Patrika News

जम्मू कश्मीर में मनरेगा के श्रमिको का 1000 करोड़ बकाया

locationजम्मूPublished: Nov 15, 2019 06:51:25 pm

Submitted by:

Navneet Sharma

महात्मा गांधी नेशनल रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत दिहाड़ी लगाने वाले जम्मू कश्मीर के श्रमिको का करीब 1000 करोड़ बकाया है। 2014 में हुए कामों के लिए श्रमिक वर्ष 2015 से भुगतान का इंतजार कर रहे हैं। योजना के तहत खरीदी गई निर्माण सामग्री के बकायाजात 4911.92 लाख रुपए हैं। वहीं, प्रशिक्षित श्रमिकों के भुगतान के लिए 311.64 लाख रुपए और अप्रशिक्षित श्रमिकों को 4985.93 लाख रुपए की राशि जारी होना बाकी है।

जम्मू कश्मीर में मनरेगा के श्रमिको का 1000 करोड़ बकाया

जम्मू कश्मीर में मनरेगा के श्रमिको का 1000 करोड़ बकाया

योगेश.जम्मू
महात्मा गांधी नेशनल रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत दिहाड़ी लगाने वाले जम्मू कश्मीर के श्रमिको का करीब 1000 करोड़ बकाया है। 2014 में हुए कामों के लिए श्रमिक वर्ष 2015 से भुगतान का इंतजार कर रहे हैं। योजना के तहत खरीदी गई निर्माण सामग्री के बकायाजात 4911.92 लाख रुपए हैं। वहीं, प्रशिक्षित श्रमिकों के भुगतान के लिए 311.64 लाख रुपए और अप्रशिक्षित श्रमिकों को 4985.93 लाख रुपए की राशि जारी होना बाकी है। ऐसे में जम्मू कश्मीर में मनरेगा योजना के तहत बकायाजात 10,209.49 लाख रुपए हैं। यह जानकारी जम्मू कश्मीर पंचायत कांफ्रेंस के प्रधान अनिल शर्मा के माध्यम से एडवोकेट गगन ओसवाल की ओर से प्रशासन को दिए गए लीगल नोटिस में है। इसमें यह भी बताया गया है कि पिछले चार सालों से मनरेगा के तहत विकास कार्यों में दिहाड़ी लगाने वाले मजदूरों को उनकी मजदूरी ने मिलना मानवाधिकारों का हनन है। प्रशासन पंद्रह दिन के अंदर अगर बकाया जारी नही करेगा जो जम्मू कश्मीर व लद्दाख के पंच-सरपंच आंदोलन शुरू कर देंगे। लीगल नोटिस जम्मू कश्मीर के मुख्य सचिव बीवीआर सुब्रामाण्यम, ग्रामीण विकास विभाग की सचिव शीतल नंदा के साथ अतिरिक्त सचिव, जम्मू व कश्मीर के निदेशकों व मनरेगा योजना के अधिकारियों को दिया गया है।

जम्मू कश्मीर सरकार गंभीर नहीं

पंचायत कांफ्रेंस के प्रधान अनिल शर्मा ने कहा कि जम्मू कश्मीर सरकार मनरेगा को लेकर गंभीर नही है। दिसंबर 2018 के बाद से इस योजना के तहत कोई नया विकास कार्य शुरू नही हुआ है। ऐसे हालात में हमें यह मुद्दा जोरशोर से उठाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। शर्मा ने बताया कि जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक के साथ यह मुद्दा राज्य प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों से भी उठाया गया था। किसी ने भी गरीबों के मुद्दे को हल करने की दिशा में अब तक गंभीरता नही दिखाई। जम्मू कश्मीर की राजनीतिक पार्टियों ने भी मनरेगा के बकायाजात के मामले को नजरअंदाज किया। ऐसे हालात में मनरेगा योजना के दिहाड़ीदारों का भी जम्मू कश्मीर प्रशासन पर से विश्वास उठ गया है।

सड़कों पर उतरने को मजबूर होंगे

अगर 25 नवंबर तक इस मामले में कार्रवाई नही हुई तो पंच, सरपंच बकाया जारी करने की मांग को लेकर सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर हो जाएंगे। उन्होंने बताया कि लीगन नोटिस जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय के वकील गगन ओसवाल के माध्यम से दिया गया है। अनिल शर्मा ने जोर दिया कि जम्मू कश्मीर के उप राज्यपाल इस मामले में केंद्र सरकार से बातचीत कर मनरेगा के बकायाजात जारी करवाने की दिशा में कार्रवाई करें। इसके साथ ग्रामीण विकास विभाग मनरेगा अधिनियम के तहत लोकपाल बनाने के साथ मनरेगा के दिहाड़ीदारों की दिहाड़ी भी बढ़ाए। हिमाचल प्रदेश व पंजाब व हरियाणा में मनरेगा के तहत ग्रामीणों को ज्यादा दिहाड़ी मिल रही है।

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