जम्मू कश्मीर सरकार गंभीर नहीं
पंचायत कांफ्रेंस के प्रधान अनिल शर्मा ने कहा कि जम्मू कश्मीर सरकार मनरेगा को लेकर गंभीर नही है। दिसंबर 2018 के बाद से इस योजना के तहत कोई नया विकास कार्य शुरू नही हुआ है। ऐसे हालात में हमें यह मुद्दा जोरशोर से उठाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। शर्मा ने बताया कि जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक के साथ यह मुद्दा राज्य प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों से भी उठाया गया था। किसी ने भी गरीबों के मुद्दे को हल करने की दिशा में अब तक गंभीरता नही दिखाई। जम्मू कश्मीर की राजनीतिक पार्टियों ने भी मनरेगा के बकायाजात के मामले को नजरअंदाज किया। ऐसे हालात में मनरेगा योजना के दिहाड़ीदारों का भी जम्मू कश्मीर प्रशासन पर से विश्वास उठ गया है।
सड़कों पर उतरने को मजबूर होंगे
अगर 25 नवंबर तक इस मामले में कार्रवाई नही हुई तो पंच, सरपंच बकाया जारी करने की मांग को लेकर सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर हो जाएंगे। उन्होंने बताया कि लीगन नोटिस जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय के वकील गगन ओसवाल के माध्यम से दिया गया है। अनिल शर्मा ने जोर दिया कि जम्मू कश्मीर के उप राज्यपाल इस मामले में केंद्र सरकार से बातचीत कर मनरेगा के बकायाजात जारी करवाने की दिशा में कार्रवाई करें। इसके साथ ग्रामीण विकास विभाग मनरेगा अधिनियम के तहत लोकपाल बनाने के साथ मनरेगा के दिहाड़ीदारों की दिहाड़ी भी बढ़ाए। हिमाचल प्रदेश व पंजाब व हरियाणा में मनरेगा के तहत ग्रामीणों को ज्यादा दिहाड़ी मिल रही है।