16 जगह छापेमारी…
ब्यूरो की टीमों ने दिल्ली, श्रीनगर व जम्मू में 16 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की। इस दौरान ब्यूरो को केस से जुड़े कई महत्वपूर्ण दस्तावेज हाथ लगे हैं। मामले की गहन जांच के लिए ब्यूरो ने दिल्ली में 3 टीम गठित की हैं।
एफआइआर दर्ज करने के बाद ब्यूरो ने कश्मीर घाटी में आरोपितों के 9, जम्मू में 4 और नई दिल्ली में 4 ठिकानों पर छापा मारा। दिन भर चली इस कार्रवाई के दौरान ब्यूरो की टीमों ने केस से जुड़े महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किए हैं।
जांच में हुए अहम खुलासे…
ब्यूरो के अनुसार, प्रारंभिक जांच में खुलासा हुआ कि बैंक की महिम मुंबई व अंसल प्लाजा नई दिल्ली शाखा के अधिकारियों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर मैसर्स आरईआइ एग्रो लिमिटेड को वर्ष 2011 से 2013 के बीच 800 करोड़ रुपये का लोन दिया। लोन मंजूर करते समय बैंक की ओर से निर्धारित सभी नियमों की अनदेखी की गई और बैंक खाता वर्ष 2014 में एनपीए हो गया। कंपनी ने अपना मुख्यालय कोलकाता और कॉरपोरेटर आफिस दिल्ली में बताया। लोन के लिए मुंबई महिम शाखा से संपर्क किया, जबकि मुंबई में उसका कोई कार्यालय नहीं था। मिलीभगत से महिम मुंबई शाखा ने 550 करोड़ रुपये का लोन मंजूर किया। इसी तरह कंपनी ने बैंक की वसंत विहार अंसल प्लाजा शाखा से 139 करोड़ रुपये का लोन मंजूर करवाया।
ब्यूरो के अनुसार, कंपनी ने कहा था कि उसने किसानों को फसल लगाने के लिए पैसा देना है। बाद में कंपनी किसानों से फसल खरीद कर बाजार में बेचेगी। इससे मिलने वाले पैसे से बैंक की किश्तें दी जाएंगी। ब्यूरो की जांच में खुलासा हुआ कि ऐसा लोन केवल किसानों के किसी ग्रुप को दिया जाता है और इसके लिए नाबार्ड के नियम हैं, लेकिन इसे अनदेखा करते हुए लोन मंजूर हुए।
खानापूर्ति के लिए की वसूली…
जांच में खुलासा हुआ कि यह घोटाला बैंक के तत्कालीन चेयरमैन मुश्ताक अहमद की सोची समझी साजिश के तहत हुआ। यह लोन केवल मैसर्स आरईआइ एग्रो लिमिटेड के चेयरमैन संजय झुनझुनवाला, वाइस प्रेजीडेंट संदीप झुनझुनवाला व मैनेजिंग डायरेक्टर को फायदा पहुंचाने के लिए दिया गया। इस मामले में जब बैंक खाता एनपीए हो गया तो बैंक ने कंपनी की कुछ मशीनें बेच कर 54 करोड़ रुपये वसूल भी किए। इसके बावजूद बैंक को मूल राशि के रूप में 635 करोड़ व ब्याज के रूप में 489.45 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। ऐसे में बैंक को कुल 1124 करोड़ रुपये का घाटा हुआ।