पठानकोट अदालत ने यह फैसला इस केस की सौ से अधिक बार सुनवाई करने तथा 130 से अधिक गवाहों के बयान कलबमद्ध करने के बाद सुनाया है। कठुआ गैंगरेप पर फैसले को लेकर आज सुबह से ही पठानकोट अदालत परिसर को पुलिस छावनी में तबदील कर दिया गया था। पंजाब पुलिस की स्वैट टीमों के अलावा करीब एक हजार पुलिस कर्मियों को अदालत परिसर में तैनात किया गया था। एसपी पठानकोट खुद अदालत परिसर में मौजूद रहे। गैंगरेप पर फैसले को देखते हुए कई संगठनों के प्रतिनिधि भी आज जम्मू से पठानकोट पहुंचे हुए थे।
पठानकोट जिला अदालत गत शुक्रवार को इस मामले में सुनवाई पूरी कर चुकी थी। जिसके चलते आज सुबह करीब साढे दस बजे अदालत की कार्यवाही शुरू हुई। सभी आरोपियों को अदालत में पेश किया गया। जज ने सभी आरोपियों को उन्हें संविधान में दिए अधिकारों से अवगत करवाते हुए कहा कि जो भी फैसला होगा उसे वह उच्च अदालत में चुनौती दे सकते हैं। इसके बाद जज ने सभी आरोपियों के समक्ष पूरा घटनाक्रम पढऩा शुरू किया। जज ने पूरा घटनाक्रम पढऩे के बाद जैसे ही फैसला पढऩा शुरू किया तो उन्होंने सबसे पहले आरोपी विशाल जंगोत्रा के संदर्भ में कहा कि घटना के समय वह मुज्जफरनगर के एक एटीएम से पैसे निकाल रहा था। जज ने यह फैसला सुनाने से पहले सीसीटीवी फुटेज का भी उल्लेख किया। जिसके आधार पर विशाल को बरी कर दिया गया।
इसके बाद अदालत ने सांझी राम व दीपक खजूरिया को इस मामले में मुख्य दोषी करार देने के अलावा आनंद दत्ता, तिलक राज और सुरेंद्र को भी दोषी करार दे दिया गया। अदालत का फैसला आते ही सभी आरोपी कोर्ट रूम के भीतर ही बैठ गए। इसके बाद जज ने बाद में दोपहर तक के लिए अदालत की कार्यवाही को स्थगित कर दिया। दोपहर बाद जब कार्यवाही शुरू हुई तो आरोपियों के वकील ने न्यायधीश के समक्ष सजा सुनाते समय रहम की अपील की। दोषी करार दिए जाने के बाद दोनों पक्षों की अंतिम दलील सुनने के बाद जज ने मुख्य दोषी सांझी राम, पुलिस अधिकारी दीपक खजूरिया तथा प्रवेश कुमार को उम्रकैद तथा तिलक राज, आनंद दत्ता व सुरेंद्र कुमार को पांच-पांच साल की सजा सुनाई।