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अमरनाथ के बाद अब सुरक्षा कारणों से मचैल यात्रा भी रोकी

locationजम्मूPublished: Aug 03, 2019 05:34:02 pm

Submitted by:

Nitin Bhal

Amarnath Yatra: जम्मू और कश्मीर ( Jammu Kashmir ) के किश्तवाड़ जिले में आतंकी खतरे की खुफिया सूचना के बाद मचैल ( Machail Mata ) यात्रा रोकी गई है। किश्तवाड़ के डिप्टी कॉमिशनर अंगरेज सिंह राणा के मुताबिक 15 जुलाई…

After Amarnath yatra Machail mata yatra to be stop

अमरनाथ के बाद अब सुरक्षा कारणों से मचैल यात्रा भी रोकी

जम्मू (योगेश). जम्मू और कश्मीर ( jammu kashmir ) के किश्तवाड़ जिले में आतंकी खतरे की खुफिया सूचना के बाद मचैल ( Machail Mata ) यात्रा रोकी गई है। किश्तवाड़ के डिप्टी कॉमिशनर अंगरेज सिंह राणा के मुताबिक 15 जुलाई से शुरू हुई मचैल यात्रा को एहतियात के तौर पर रोका गया है। राणा ने कहा की अगले आदेश तक हेलीकॉप्टर सेवा भी निलंबित की गई है तथा यात्रियों को वापिस जाना को कहा गया है। बता दें, इससे पहले आतंकी खतरे की खुफिया सूचना के बाद अमरनाथ यात्रा ( Amarnath yatra ) फिलहाल रोक दी गई है। जम्मू कश्मीर के गृह सचिव ने अमरनाथ यात्रियों और पर्यटकों को एडवाइजरी कर उन्हें तुरंत घाटी छोडऩे की सलाह दी है। एडवाइजरी के बाद अमरनाथ यात्री कश्मीर से वापस लौटने लगे हैं। जानकारी हो कि मचैल यात्रा को लेकर सर्व शक्ति सेवक संस्था की ओर से गुरुवार को पत्रकार वार्ता की थी। इसमें संस्था के प्रधान ने बताया था कि माता की छड़ी मुबारक जम्मू से शुरू होगी। उन्होंने बताया था कि वर्षों से चली आ रही प्रथा जिसमेें 18 को यात्रा निकलती थी जिसमें माता की छड़ी भद्रवाह से आती थी। इस बार जम्मू से आएगी। इसमें और अधिक बदलाव नहीं किया जाएगा। अब तक छह हजार लोग माता के दर्शन कर चुके हैं।

पिंडी रूप में होते हैं दर्शन

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पाडर उपखंड के छोटे से गांव मचैल में मां रणचंडी का दरबार है। यहां पर माता के दर्शन वैष्णो देवी दरबार की तरह पिंडी के रूप में होते हैं। बताया जाता है कि मां हिमाचल से यहां लोगों का उद्धार करने आई हैं। दुर्गम क्षेत्र होने के बावजूद लोगों में माता के दरबार के प्रति अगाध श्रद्धा है। कड़ी कठिनाइयों को पार कर लोग माता का आशीर्वाद लेने आते हैं।

संचालकों में हुआ था विवाद

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गत वर्ष 22 अगस्त को जैसी ही छड़ी मचैल माता के दरबार में पहुंची तो वहां संस्था के दो घुटों में आपसी विवाद के बाद झपड़ हो गई थी। कुछ लोगों को मामूली चोटें भी आई थीं। पुलिस को बल प्रयोग कर मामले को ठंडा करना पड़ा था। उसी वक्त से पवित्र छड़ी यात्रा का त्रिशूल मचैल माता के मंदिर में ही रखा गया है। अभी तक विवाद कोर्ट में चल रहा है, जिस कारण यात्रा में पवित्र छड़ी के जाने की संभावना नहीं है।

भगवान अमरेश्वर की पवित्र छड़ी मुबारक की पूजा

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शुक्रवार को हारि पर्वत स्थित मां शारिका भवानी मंदिर में वैदिक मंत्रोच्चार के बीच भगवान अमरेश्वर की पवित्र छड़ी मुबारक की पूजा-अर्चना की गई। इसके बाद छड़ी मुबारक विश्रामस्थल दशनामी अखाड़ा लौट गई। गौरतलब है कि मां शारिका भवानी को श्रीनगर की इष्ट देवी माना जाता है। वह हारि पर्वत पर एक शिलारूप में विराजमान हैं। उन्हें त्रिपुर सुंदरी भी कहा जाता है। महंत दीपेंद्र गिरी ने वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ मां शारिका भवानी की पूजा की। करीब एक घंटे तक छड़ी मुबारक हारि पर्वत पर रही, उसके बाद लौटी।

अमन-चैन के लिए की पूजा

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महंत दीपेंद्र गिरी ने बताया था कि पौराणिक काल से भगवान अमरेश्वर की पवित्र गुफा के लिए रवाना होने से पूर्व छड़ी मुबारक की श्रावण मास की शुक्ल पक्ष द्वितीया के दिन मां शारिका भवानी मंदिर में पूजा की परंपरा चली आ रही है। यह महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। हमने मां शारिका भवानी से बाबा अमरनाथ यात्रा की सफलता और देश में शांति, सुरक्षा, समृद्धि और सौहार्द की कामना की है।

10 अगस्त को छड़ी मुबारक भगवान अमरेश्वर की पवित्र गुफा के लिए करेगी प्रस्थान

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महंत ने बताया कि शनिवार को दशनामी अखाड़ा स्थित अमरेश्वर मंदिर में छड़ी स्थापना का अनुष्ठान हुआ। इसके बाद पांच अगस्त को अमरेश्वर मंदिर में ही नाग पंचमी के दिन छड़ी पूजन होगा। छड़ी मुबारक भगवान अमरेश्वर की पवित्र गुफा के लिए 10 अगस्त की सुबह दशनामी अखाड़ा से यात्रा शुरू करेगी और उसी शाम पहलगाम पहुंचेगी। पहलगाम में दो रात्रि विश्राम होगा और 12 अगस्त को चंदनबाड़ी में पवित्र छड़ी मुबारक पहुंचेगी। शेषनाग में 13 अगस्त और पंचतरणी में 14 अगस्त को छड़ी मुबारक पहुंचेगी। 15 अगस्त की सुबह छड़ी मुबारक पवित्र गुफा में प्रवेश करेगी और उसी दिन तीर्थयात्रा का मुख्य दर्शन होगा। बाबा बर्फानी के दर्शन करने और पवित्र गुफा में पूजा अर्चना के बाद छड़ी मुबारक उसी दिन पहलगाम लौटेगी। महंत दीपेंद्र गिरी ने बताया था कि बाबा अमरनाथ की तीर्थयात्रा का पुण्य तभी है, जब उसे धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक और पुराणों में वर्णित मार्ग से किया जाए।

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