मुठभेड़ स्थल से जांच एजेंसियों को मिली गोलियों के आधार पर यह बात पुख्ता हो रही है कि हमले में चीन निर्मित गोलियां इस्तेमाल की गई थीं। शायद इसी वजह से बुलेटप्रूफ पहनने के बाद भी सीआरपीएफ कर्मियों के जिस्म पर गोलियां धंस गई थीं। सुरक्षा एजेंसियों की चिंता भी इसी बात को लेकर है।
गत 17 जून को पुलवामा के अरहाल क्षेत्र में आईईडी विस्फोट ( IED Blast ) के कारण 44 राष्ट्रीय राइफल्स के एक बुलेट और माइन प्रूफ वाहन को भी नुकसान हुआ, जिसमें दो सुरक्षाकर्मियों की जान चली गई थी। स्टील की गोलियों के उपयोग की पहली ऐसी घटना दिसंबर, 2017 में देखी गई थी, जब जैश-ए-मोहम्मद ने दक्षिण कश्मीर के लेथपोरा में सीआरपीएफ कैंप पर आत्मघाती हमला किया था। तब सीआरपीएफ के पांच कर्मियों में से एक ने दम तोड़ दिया था। सेना द्वारा प्रदान की जाने वाली एक बुलेट-प्रूफ शील्ड को तब गोली पार कर गई थी।