पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कहा की आदेश को 35ए से जोड़कर देखा जा रहा है जिसके गंभीर नतीजे हो सकते हैं। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि अपने कानूनी सलाहकार से बात करने पर पता चला कि इससे 35ए पर किसी प्रकार का प्रभाव नहीं पड़ने वाला है। लेकिन उन्होंने इसके तरीके पर आपत्ति जताई और कहा कि राज्यपाल को संवैधानिक प्रावधानों में बदलाव को मंजूरी देने का कोई अधिकार नहीं है। यह केवल चुनी हुई सरकार कर सकती है। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने भी इस पर आपत्ति जताई और कहा की राज्य की संवैधानिक स्थिति से किसी भी तरह की छेड़छाड़ न हो।
पूर्व सांसद और कांग्रेस नेता तारिक हमीद कर्रा ने कहा कि राज्यपाल के प्रस्ताव को स्वीकार कर केंद्र सरकार काफी खतरनाक खेल—खेल रही है। लोकतंत्र तथा लोकतांत्रिक संस्थाओं को कारसेवक गवर्नर ने फेंक दिया है। पूर्व आईएएस अधिकारी शाह फैसल ने ट्वीट किया कि इससे अनुच्छेद 370 या 35ए में कोई बदलाव नहीं आने वाला है। फिर भी राज्यपाल को संवैधानिक मामलों को छूने से बचना चाहिए। राज्य सरकार ने भी स्पष्ट किया है कि संशोधन से स्थाई निवासियों पर किसी प्रकार का असर नहीं पड़ेगा।